जान जोखिम में डालकर किया एवरेस्ट फतेह: आशा

5/31/2017 2:24:09 PM

रेवाड़ी (मोहिंद्र भारती):एवरेस्ट फतेह कर घर लौटने के बाद आशा झाझड़िया ने कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का मैसेज जो मोदी जी देना चाहते हैं, उसे मैंने एवरेस्ट पर तिरंगा लहराकर देश और पूरी दुनिया को पूरा कर दिखाया है। अब देखना यह है कि मोदी जी मेरे लिए क्या करते है ? उन्होंने कहां कि परिवार में आकर मुझे बहुत खुशी महसूस हो रही है, क्योंकि जहां हम गए थे उस रास्ते में 17 डेड बॉडीज पड़ी हुई थीं। उन सबको पार करके मैने एवरेस्ट को फतह किया है।

जान जोखिम में डालकर किया एवरेस्ट फतेह:आशा झाझड़िया 
एवरेस्ट पर जाना अपनी जान को हथेली पर लेकर जाने के बराबर है। एक आस्ट्रेलिया का बंदा पीक पर जाकर डेड हो गया और उसकी डेडबॉडी आज भी वहीं पर है। वहां का मौसम बहुत खराब था। मैं सही सलामत अपने घर पहुंची हूं और अपने परिवार को देखकर बहुत खुश हूं। 

महिलाओं को दिया संदेश
उन्होंने कहां कि महिलाएं घर से बाहर निकलकर अपनी छुपी हुई प्रतिभा को पहचाने और अपने दिल में दबे सपनों को साकार करें। सपने को पूरा करने की कोई उम्र नहीं होती। अपने अंदर के जुनून को परखने में मुझे पुरे 40 साल लग गए। अपनी सफलता के पीछे मैं स्वम हूं। सफलता हासिल करने के बाद से मैं इतनी खुश हूं कि मैं शब्दों में ब्यान नहीं कर सकती। आशा झांझड़िया 39 वर्ष की हैं। उनकी शादी 1998 में हरियाणा पुलिस के जवान अजय से हुई थी। आशा 2 बच्चों की मां होने के साथ ही स्टाफ नर्स भी है। और उसकी बेटी पढ़-लिखकर डॉक्टर बनना चाहती है और अपनी मां की तरह ही हरियाणा का नाम रोशन करना चाहती है।