जज्बा: देशसेवा के बाद अब पूर्व सैनिक युवाओं को दे रहे सेना भर्ती की फ्री ट्रेनिंग

2/3/2020 4:21:48 PM

बेरी: एक सैनिक के अंदर का अनुशासन, जज्बा और देशप्रेम की भावना कभी खत्म नहीं होती है। चाहे वह बॉर्डर पर हो या फिर गांव के दंगल में। ऐसा ही अनुशासन और देश सेवा झज्जर के गांव दूबलधन में देखने को मिल रही है। दरअसल, 2 साल पहले सेना से सेवानिवृत होकर पूर्व सैनिक मंजीत सिंह अपने गांव दूबलधन आए तो उन्होंने देखा कि खेलों का क्रेज कुछ कम हो रहा है। वहीं गांव के कई युवा नशे के दलदल में भी फंस रहे हैं। ऐसे में पूर्व सैनिक मंजीत सिंह ने इन युवाओं को देशसेवा में लगाने की ठानी।

युवाओं को सेना में भर्ती करवाने और खेलों में आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने फ्री कोचिंग और रिषी दुर्वासा एकेडमी शुरू की। उन्होंने अपने साथियों के सहयोग से मैदान तैयार करवाया। एकेडमी में युवाओं को कुश्ती, कबड्डी, जूडो और कराटे के प्रशिक्षण के साथ-साथ फिजिकल की भी तैयारी करवाई जा रही हैं। एकेडमी में बेरी, माजरा, दूबलधन, चिमनी, ढराणा, मुढ़ाल और भिवानी के बच्चे आकर प्रैक्टिस कर रहे हैं। करीब 200 लड़के और 70 लड़कियों को में फ्री ट्रेनिंग दी जा रही है।

खिलाडिय़ों को हरियाणा पुलिस, बीएसएफ, दिल्ली पुलिस और सेना भर्ती के लिए फिजिकल के लिए तैयार किया जा रहा है। हर सप्ताह मैच करवाए जाते हैं। अब उनके साथ कबड्डी खिलाड़ी नसीब सिंह, पूर्व सैनिक अनूप सिंह, रविन्द्र कादयान और जोगेन्द्र भी खिलाडिय़ों को तराशने में लग गए हैं। एक साल में 1 दर्जन के करीब लड़के व लड़कियां सेना और पुलिस में भर्ती हो चुके हैं।

कभी खत्म नहीं होती देश प्रेम की भावना
सैनिक के अंदर का अनुशासन, जज्बा और देशप्रेम की भावना कभी खत्म नहीं होती। चाहे वह बॉर्डर पर हो या फिर गांव के दंगल में। रोहतक में 10 फरवरी से 4 जिलों की सेना भर्ती है। ऐसे में हम यहां बात कर रहे हैं दो ऐसे सैनिकों की जो युवाओं को सेना भर्ती के लिए बिना किसी स्वार्थ के तैयार कर रहे हैं। सेना, पुलिस व पैरा मिलिट्री फोर्स में भर्ती के साथ-साथ ये सैनिक युवाओं को खेलों में तैयार कर रहे हैं। वहीं, लड़कियों को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दे रहे हैं। 

सेना के ऑल इंडिया बेस्ट शूटर रहे हैं मनजीत
मनजीत सिंह का कहना है कि 22 साल पहले वे आर्मी में भर्ती हुए थे और फिर ब्लैक कमांडो बने। उन्हें सेना में 2009 में ऑल इंडिया में बेस्ट स्नैप शूटर का अवॉर्ड मिल चुका है। कमांडो होने की वजह से वे फिटनेस को लेकर ज्यादा ध्यान रखते हैं। 

इधर, सेना से छुट्‌टी मिलते ही श्रीओम राठी तैयार करते हैं सैनिकों की नई पीढ़ी 
लाखनमाजरा: लाखनमाजरा निवासी व असम राइफल्स में कार्यरत श्रीओम राठी छुट्टियों में जब भी गांव में आते हैं तो वे यहां पर युवाओं व बच्चों को सेना भर्ती व खेलों के लिए तैयार करते हैं। आर्यन पब्लिक स्कूल में उन्होंने प्रैक्टिस के लिए मैदान व संसाधन जुटाए हुए हैं। वे करीब 14 वर्ष से युवाओं को प्रैक्टिस करवा रहे हैं। वे युवाओं खासकर लड़कियों को मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण देते हैं ताकि वे अपनी सुरक्षा खुद कर ।

अभी दिसम्बर में छुट्टी पर आए थे तो टिटोली स्कूल में मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण दिया था। राजकीय महाविद्यालय महम व लाखनमाजरा महिला महाविद्यालय में भी श्रीओम राठी ने आत्मरक्षा के गुर सिखाने के लिए कैंप लगाए हुए हैं। श्रीओम राठी मार्शल आर्ट के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी एवं ब्लैक बैल्ट हैं। इसके अलावा श्रीओम का नाम लिम्का बुक व गिनीज बुक में भी दर्ज हो चुका है।

Edited By

vinod kumar