बीजेपी को झटका, इस नेता ने थामा इनेलो का दामन
3/6/2022 7:25:39 PM
पानीपत(सचिन): हरियाणा में कुछ दिनों में नगर निकाय के चुनाव होने वाले हैं लेकिन उससे पहले ही हरियाणा बीजेपी को झटका लगा है क्योंकि बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष राजेश झटटीपुर ने पार्टी को अलविदा कह दिया और इनेलो पार्टी को ज्वाइन कर लिया। उन्होंने इनेलो नेता अभय चौटाला की मौजूदगी में इनेलो का दामन थामा । इस दौरान उन्होंने कहा कि बीजेपी में पुराने कार्यकर्ताओं की अनदेखी की जा रही है। बता दें कि राजेश झटटीपुर पिछले 27 सालों से बीजेपी के साथ थे लेकिन अब उन्होंने बीजेपी से दूरी बनाने का फैसला किया है।
इस दौरान अभय चौटाला ने भी मौजूदा सरकार के साथ साथ कांग्रेस पर हमला बोला और कहा कि भाजपा जजपा और कांग्रेस से लोगों का विश्वास उठ चुका है और तीनों पार्टियों के लोग प्रदेश को कमजोर करने के लिए आपस में मिले हुए हैं। अभय चौटाला ने तो यहां तक कहा कि ऐलनाबाद उपचुनाव में मौजूदा सरकार ने जीत हासिल करने के लिए सरकारी तंत्र का उपयोग किया और सरकारी लोगों के माध्यम से वोटरों को खरीदने की कोशिश की गई और उनको पैसा बांटने की कोशिश की गई जिन सब के सबूत उनके पास है और लोग एफिडेविट देने के लिए भी तैयार है । अभय चौटाला ने कहा कि ऐलनाबाद के उपचुनाव ने यह स्पष्ट कर दिया था कि तीनों पार्टियां किस प्रकार आपस में मिली हुई है। ऐलनाबाद उपचुनाव में सत्ता पक्ष ने सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया तो वही पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भाजपा पार्टी के उम्मीदवार लिए वोट मांगे थे। उन्होंने कहा कि वो सदन में इस मामले को लेकर जांच की मांग करेंगे लेकिन अगर विधानसभा स्पीकर उनके इन तथ्य देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं करते तो उन्हें अपना पद छोड़ देना चाहिए।
धर्म परिवर्तन के कानून पर अभय सिंह चौटाला बोले इस बिल की कोई जरूरत नहीं थी और ना ही इस बिल के किसी ने डिमांड की थी और ना ही इस प्रकार की शिकायत किसी को मिली थी। और यह बात है मुख्यमंत्री वह गृहमंत्री से पूछ भी गई थी लेकिन उनके पास इसका कोई जवाब नहीं था। यह तो केवल लोगों का ध्यान बांटने के लिए वह लोगों को आपस में लड़ाने के लिए बिल लाया गया है।
वहीं प्रदेश सरकार द्वारा बुजुर्गों की पेंशन आय के आधार पर जोड़ी गई है इस पर अभय सिंह चौटाला बोले कि उन्होंने यह बात विधानसभा में उठाई थी और मुख्यमंत्री कल इस पर जवाब देंगे अगर मुख्यमंत्री की ओर से इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया जाता है तो वह आंदोलन खड़ा करेंगे और इस सरकार को मजबूर कर देंगे कि उन्हें दोबारा बुजुर्गों को आय के आधार को ना देखते हुए पेंशन देनी पड़े। अगर फिर भी सरकार नहीं मानती है तो वह जैसा किसान आंदोलन हुआ था ऐसे ही आंदोलन खड़ा करेंगे और बुजुर्गों को दोनों पर बैठा देंगे।
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