जायज बातें ही मानी जाती हैं, भीड़ तंत्र के कारण फैसले लिए या बदले नहीं जाते: अनिल विज

9/11/2021 8:26:17 AM

चंडीगढ़ (धरणी) : लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन को लेकर लंबे समय तक हरियाणा सरकार के मंत्री पूरी तरह से मौन थे। किसी भी प्रकार की किसान आंदोलन के विरोध में टिप्पणी करने से परहेज कर रहे थे। लेकिन लगातार तथाकथित किसान नेताओं द्वारा हरियाणा सरकार से दो-दो हाथ करने के प्रयास जारी रहे। कानून केंद्र ने बनाए, आंदोलन पंजाब से शुरू हुआ, लेकिन हमेशा हरियाणा का मुख्यमंत्री और हरियाणा की भाजपा सरकार के अकारण विरोध में किसान नजर आए। 28 अगस्त को मुख्यमंत्री के आगमन का विरोध कर रहे किसानों पर मजबूरन पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। इसी विरोध में संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग को लेकर किसान एकाएक करनाल में आंदोलन पर बैठ गए।

हालांकि उसी दौरान ही पंजाब के मोगा में भी किसानों पर लाठीचार्ज हुआ। लेकिन किसान नेताओं द्वारा इस मामले पर पूर्ण रूप से मौन धारण कर लिया गया। अब 11 सितंबर को फिर से करनाल में महापंचायत का आयोजन किसान नेताओं द्वारा किया गया है। लेकिन सरकार के मंत्री पूर्ण रूप से मुखर होकर इस आंदोलन पर खुलकर बोलने लगे हैं। आज पंजाब केसरी ने हरियाणा के गृह, स्वास्थ्य एवं शहरी निकाय मंत्री अपने बेबाक और स्पष्ट वादी विचारधारा के लिए विख्यात अनिल विज से विशेष बातचीत की।जिसमें उन्होंने विपक्ष के नेताओं को इस मामले के लिए पूर्ण रूप से जिम्मेदार ठहराया। साथ ही साथ यह भी स्पष्ट कर दिया कि निष्पक्ष जांच में न केवल अधिकारी बल्कि किसान या किसान नेता भी दोषी होंगे, उन्हें भी बख्शा नहीं जाएगा। उनके इस सख्त अंदाज के बाद यह तो साफ है कि सरकार झुकने के मूड में तो कतई नहीं है। इस बयान से तथाकथित किसान नेताओं को मौके की नजाकत समझ जाना अति आवश्यक है। उनसे बातचीत के कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं:-

प्रश्न : गन्ने के भाव एकाएक बढ़ाए जाने का कदम कहीं किसानों को मनाए जाने का प्रयास तो नहीं ?
उत्तर : 
जिस दिन से हमारी सरकार बनी, हम किसानों के हित में हर वो फैसला कर रहे हैं जो हम कर सकते हैं। हमने सबसे ज्यादा मुआवजा दिया। पहले भी देश में सबसे अधिक हम गन्ने का भाव दे रहे थे और अब हमने और बढ़ा दिया है।

प्रश्न : किसानों के आंदोलन का केंद्र बिंदु आखिर हरियाणा क्यों बनाया जा रहा है ?
उत्तर : 
दिल्ली ने आगे जाने नहीं दिया तो यह लोग हरियाणा के बॉर्डर पर बैठ गए। आए तो वह दिल्ली में बैठने थे।

प्रश्न : करनाल में 11 सितंबर को फिर से महापंचायत बुलाने के फैसले को किस नजर से देखते हैं ?
उत्तर : 
यह उनका संगठनात्मक फैसला है। क्या करते हैं और क्या नहीं करते ? इससे हमें कोई सरोकार नहीं है।

प्रश्न : क्या 11 सितंबर के लिए कानून व्यवस्था को लेकर पर्याप्त तैयारियां हैं ?
उत्तर : 
कानून व्यवस्था का हमने पूरा इंतजाम कर रखा है। हमें उम्मीद है कि कानून व्यवस्था ठीक रहेगी।

प्रश्न : टिकरी-सिंधु-रेवाड़ी और पलवल बॉर्डर पर कब्जे के बाद अब केंद्र बिंदु करनाल बनाया गया है।इसे कितनी बड़ी दिक्कत मानते हैं ?
उत्तर : 
आंदोलन करना- मांग करना हर संस्था का प्रजातांत्रिक अधिकार है। लेकिन जायज बातें ही मानी जाती हैं। जो ठीक होती हैं और स्थिरता की कटौती पर पूरी उतरती हैं। भीड़ तंत्र के कारण कभी न तो फैसले लिए जाते हैं और ना ही बदले जाते हैं।

प्रश्न : करनाल में आंदोलन के लिए बॉर्डर की तरह ही स्थाई व्यवस्तथा की जा रही है। लंगर इत्यादि भी शुरू कर दिए गए हैं। क्या इससे वहां तनाव की स्थिति का डर नहीं ?
उत्तर : 
वहां पर बैठे रहे, हमें क्या एतराज है। पहले दिन से मेरा यही स्टैंड है कि आंदोलन करना उनका प्रजातांत्रिक अधिकार है। लेकिन कानून को हाथ में ना लें और आम आदमी की स्वतंत्रता को बाधित ना करें।आंदोलन करें, देश में बड़े-बड़े लंबे-लंबे आंदोलन चले हैं। 

प्रश्न : किसानों का आरोप है कि सरकार आंदोलन को बिखेरने पर लगी है ?
उत्तर : 
हमने उन्हें करनाल में नहीं बुलाया है। वह खुद आए हैं। हमने तो नहीं कहा कि तुम करनाल में आओ।

प्रश्न : डेढ़ साल तक कानूनों पर रोक के बावजूद किसानों की जिद की वजह आखिर क्या मानते हैं ?
उत्तर : 
यह राजनीति से प्रेरित आंदोलन है। जिन लोगों ने इन्हें आगे करके यह चलाया है वह चाहते हैं कि पंजाब के चुनावों तक यह आंदोलन इसी प्रकार से सुलगता रहे। क्योंकि वह लोग पंजाब के चुनाव में इसे कैश करना चाहते हैं।

प्रश्न : 28 अगस्त को लाठीचार्ज मामले में संबंधित अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग पर किसान अड़े हैं ?
उत्तर : 
दोषी कौन है यह जांच के बाद ही पता चलता है। हम निष्पक्ष जांच के लिए तैयार हैं। दोषी कौन है यह जांच के बाद ही पता चलता है। उसमें अगर कोई अधिकारी दोषी होगा तो उसके खिलाफ कार्यवाही होगी। अगर कोई किसान या किसान नेता दोषी पाया गया तो उसको भी कार्यवाही भुगतनी पड़ेगी।

प्रश्न : किसानों का आरोप है कि एसडीएम पब्लिक सर्वेंट है। उसके खिलाफ सरकार कार्रवाई करने से गुरेज कर रही है ?
उत्तर : 
वहां से उसकी ट्रांसफर कर दी गई है। जांच के बाद कार्यवाही होगी। यह तो मैंने पहले ही कह दिया है। बिना जांच के कुछ नहीं किया जा सकता।

प्रश्न : अंडर इंक्वायरी सस्पेंड करने की मांग कर रहे हैं किसान ?
उत्तर : 
किसी के कहने पर ऐसे ही हम किसी को फांसी पर नहीं चढ़ा सकते।

प्रश्न : किसान नेताओं ने डीसी- एसपी से वार्ता करने से इनकार करते हुए हाई लेवल पर मुख्यमंत्री या बड़े नेता से बात करने की मांग की है ?
उत्तर : 
यह उनकी मर्जी है कि वह क्या चाहते हैं। मैंने तो आपको बता दिया कि वह इसका समाधान ही नहीं करना चाहते। वह इसे लंबा खींचना चाहते हैं। केंद्र सरकार ने कई बार कहा कि आकर बात कर लो। बात करने नहीं जाते। केंद्र सरकार ने बिलों में कमियां पूछी। 9 महीने में यह एक भी कमी नहीं बता पाए या बताना नहीं चाहते। कुल मिलाकर आज तक के इनके रवैया से यही लगता है कि यह राजनीतिक महत्वाकांक्षा को लेकर-राजनीतिक एजेंडे को लेकर यह सारा आंदोलन किया गया है।

प्रश्न : पंजाब मुख्यमंत्री ने कहा है कि भाजपा इसका समाधान ही नहीं करना चाहती। बीजेपी के डिक्टेटरशिप के कारण आंदोलन लंबा हो रहा है ?
उत्तर : 
कैप्टन अमरेंद्र सिंह खुद पंजाब में इनको नियंत्रित नहीं कर पाए। अभी हाल ही में मोगा में लाठीचार्ज और अन्य हो रही घटनाओं पर अमरेंद्र सिंह का कोई नियंत्रण नहीं है।

प्रश्न : पिछले दिनों हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्री में ट्विटर वार को कैसे देखते हैं ?
उत्तर : 
इसमें कैप्टन अमरिंदर सिंह की बहुत बड़ी गलती है। जब पहली बार इन्होंने दिल्ली कूच किया तो हमारे मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बार-बार अमरेंद्र सिंह से पूछा कि आप बताओ कि कितने लोग आ रहे हैं ?कब आ रहे हैं ?क्या हुआ है ? पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। आखिर हम दोनों एक देश की सरकारें हैं और एक दूसरे का सहयोग हमें करना चाहिए। इन्हें बताना चाहिए था, लेकिन नहीं बताया। यह एक बहुत बड़ी गलती थी।

प्रश्न : कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरह सुखबीर सिंह बादल भी भाजपा की तानाशाही की बात कह रहे हैं ?
उत्तर : 
जिस समय यह बिल पास हुए, यह खुद सरकार का हिस्सा थे। इन्होंने एक भी बात नहीं बोली।अब अपनी धरती खिसकती देख यह सरकार से अलग हो गए और अब इस प्रकार की बातें कर रहे हैं।

प्रश्न : निष्पक्ष जांच करवाने जैसे आपकी तरफ से बड़े बयान आए। इन बयानों का अर्थ क्या समझा जाए ?
उत्तर : 
अर्थ यही है कि निष्पक्ष जांच करवाएंगे। केवल एसडीएम की ही नहीं बल्कि किसान या किसान नेता जहां-जहां भी दोषी हैं, सारे एपिसोड की-सारे करनाल की जांच करवाएंगे। जांच में अगर कोई अधिकारी दोषी है तो उसके खिलाफ कोई कार्यवाही होनी चाहिए और अगर किसान या किसान नेता दोषी पाए जाएंगे तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी। इंसाफ का तकाजा तो यही है।

प्रश्न : चढूनी ने भी कहा है कि अगर किसानों के खिलाफ कार्रवाई होती है तो अधिकारियों के खिलाफ भी होनी चाहिए ?
उत्तर : 
जो कुछ भी होगा जांच के बाद ही होगा।

प्रश्न : करनाल के उपायुक्त की एक वीडियो वायरल हुई। जिसमें ऊपर के आदेशों पर प्रशासन कार्यवाही करता है। इसके बाद सुरजेवाला ने कई आरोप लगाए हैं ?
उत्तर : 
रणदीप सुरजेवाला तो पूरे दिन माचिस की डिब्बी लेकर आग लगाने के लिए तैयार बैठे रहते हैं।कहीं पर कोई मौका मिले तो पेट्रोल की शीशी और माचिस की डिब्बी उनके हाथ में रहती है।

प्रश्न : आपने गृह विभाग की रेंज वाइज समीक्षा करने के लिए ग्राउंड जीरो पर जाने का निर्णय लिया। इसकी जरूरत आखिर क्यों पड़ी ?
उत्तर : 
यह बहुत पहले ही मैंने कहा था। लेकिन 2 साल कोरोना को कंट्रोल करने में निकल गए। अपनी सारी एनर्जी कोरोना को रोकने में लगाई। अब समय है। इसलिए यह शुरू कर दिया है। मैं गुडगांव कमिश्नरी की मीटिंग लेकर आया हूं। इसी तरह बाकी सभी कमिश्नरी और सभी रेंजो की मीटिंग ले रहा हूं।

प्रश्न : आपके पास आई लोगों की शिकायतों की एक्शन टेकन रिपोर्ट से आप कितने संतुष्ट हैं ?
उत्तर : 
हम एक्शन रिपोर्ट भी लेते हैं और उन्हें एग्जामिन भी करते हैं। मैंने अभी कुरुक्षेत्र के एसपी की एक्सप्लेनेशन काल की है कि 892 गई मेरी शिकायतों में से एक का भी मेरे पास जवाब नहीं आया।

प्रश्न : मुजफ्फरनगर- करनाल की महा पंचायतें कहीं पांच राज्यों के चुनावों को प्रभावित करने के लिए तो नहीं की गई ?
उत्तर : 
मैं पहले से ही कह रहा हूं कि यह सारा आंदोलन राजनीति को सामने रखकर हो रहा है और वह लोग पीछे से इन्हें आगे करके खुद सब कुछ करवा रहे हैं।

प्रश्न : तीसरी लहर आई तो क्या ऑक्सीजन की हमारे पास मात्रा पर्याप्त है ?
उत्तर : 
हमने हर तरफ से पूरी तैयारी कर रखी है। मैं हरियाणा को ऑक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भर बनाने जा रहा हूं। हमें पीएम केयर की तरफ से 42 पीएसए प्लांट मिले हैं। 139 प्लांट का मैंने टेंडर कर दिया है। हम हर 50 बेड से ऊपर के अस्पताल में अपनी ऑक्सीजन लगाने जा रहे हैं। हरियाणा में सभी निजी अस्पतालों को भी हमने अपनी जरूरत के हिसाब से ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाने के आदेश जारी कर दिए हैं। अगर कोई नहीं लगाएगा तो हम उनके रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर देंगे।

प्रश्न : सीएमआईई के आंकड़ों में हरियाणा को बेरोजगारी के मामले में 35.7 फ़ीसदी के हिसाब से नंबर वन प्रदर्शित किया गया है ?
उत्तर : 
सीएमआईई के आंकड़े विश्वसनीय आंकड़े नहीं होते। वह केवल हुड्डा साहब के लिए आते हैं। हमने हरियाणा में काफी नौकरियां दी हैं। इनके आंकड़ों पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

प्रश्न : खिलाड़ियों को जो कैश अवार्ड-भीम अवार्ड दिए गए। उनकी स्पेशल ऑडिट की बात सामने आ रही है ?
उत्तर : 
समय-समय पर हर चीज की ऑडिट होती रहती है। उसमें कोई ऐसी बात नहीं है। ऑडिट तो होनी भी चाहिए।

प्रश्न : फतेहाबाद के तहसीलदार ने शिकायत दी है कि उनके जाली साइन करके रजिस्ट्रीयां की गई हैं ?
उत्तर : 
मेरे संज्ञान में ऐसी कोई बात नहीं आई है। अगर मामला मेरे संज्ञान में आता है तो हम उसकी जांच भी करवाएंगे और कार्यवाही भी करवाएंगे।

प्रश्न : डायल 112 को लेकर आप कितने संतुष्ट हैं ?
उत्तर : 
डायल 112 की रिपोर्ट बहुत अच्छी आ रही है और उससे लोगों में बहुत विश्वास बना है। लोगों को ऐसा लगता है कि जैसे पुलिस हमारे अंग-संग है। हमारी गाड़ी पहुंचने का एवरेज टाइम 17 मिनट आ रहा है। हम इसमें और सुधार करने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस की काम करने की क्षमता में इससे काफी सुधार हुआ है।

प्रश्न : पुलिस की विश्वसनीयता जनता की कसौटी पर खरा नहीं उतर पा रही। उसे सुधारने को लेकर क्या करेंगे ?
उत्तर : 
मैंने गुरुग्राम कमिश्नरी की मीटिंग में दो-तीन सुझाव दिए हैं। पहला सुझाव मैंने दिया कि हर डीसीपी-एसपी हफ्ते में कम से कम एक थाने को विजिट जरूर करें। दूसरा हमारा एसपी 11 से 12 बजे तक जनता की शिकायतें सुने। तीसरा हमारा एसपी जनता के साथ अच्छे तालमेल के लिए वहां के मोहजीज व्यक्तियों के साथ महीने में कम से कम एक मीटिंग अवश्य करें। जिससे हमें जनता का फीडबैक भी मिलेगा और जनता में पुलिस के प्रति विश्वसनीयता और आदर भी बढ़ेगा।

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Content Writer

Manisha rana