हरियाणा में गिरता भू-जलस्तर चिंताजनक, अभी नहीं संभले तो बन जाएगा जलसंकट

2/6/2020 1:56:37 PM

सिरसा (सेतिया) : हरियाणा में भू-जल के लिहाज से स्थिति ङ्क्षचताजनक होती जा रही है। पिछले 2 दशक में हरियाणा में भू-जलस्तर 10.18 मीटर तक नीचे चला गया है। 2013-18 की अवधि के दौरान 2.41 मीटर भू-जलस्तर नीचे पहुंचा है। हर साल करीब आधा मीटर भू-जल के नीचे जाने से आने वाले समय में संकट पैदा हो सकता हे। सबसे अधिक ङ्क्षचताजनक स्थिति फतेहाबाद, कुरुक्षेत्र, कैथल व  महेंद्रगढ़ जिलों में हैं।

हरियाणा महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार फतेहाबाद में 1999 की तुलना में 2018 में भू-जलस्तर 23.36, कुरुक्षेत्र में 21.86 मीटर, कैथल में 21.55 मीटर, महेंद्रगढ़ में 23.53 मीटर तक नीचे चला गया है। धान का बढ़ता रकबा, ट्यूबवेलों की संख्या में लगातार हो रहे इजाफे के बाद यह स्थिति पैदा हुई है। हरियाणा में साल 1999 में औसतन 9.39 मीटर पर भू-जल उपलब्ध था तो जब 19.57 मीटर तक पहुंच गया है।

दरअसल, हरियाणा में भू-जलस्तर के लिहाज से स्थिति अब संकटप्रद होने लगी है। ङ्क्षचतनीय पहलू यह है कि साल-दर-साल धान का एरिया बढ़ रहा है। हरियाणा में साल 1966 में धान का रकबा 1 लाख हैक्टेयर था जो अब 13 लाख हैक्टेयर से अधिक हो गया है। ङ्क्षचता की बात है कि प्रदेश में पिछले 50 साल में नलकूपों की संख्या 30 गुणा बढ़ गई है। 1966 में डीजल आधारित 7767 जबकि बिजली आधारित 20190 नलकूप थे। 2015 में डीजल आधारित नलकूपों की संख्या 301986, जबकि बिजली आधारित नलकूपों की संख्या 575165 हो गई है। 

Isha