फसल नुकसान का किसान को दिया 6 रुपये मुआवजा, जानिए कहां का है ये मामला
punjabkesari.in Thursday, Nov 06, 2025 - 05:10 PM (IST)
डेस्कः महाराष्ट्र में फसल नुकसान के मुआवजे को लेकर किसानों में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। राज्य के कई जिलों में किसानों को केवल सिंगल या डबल डिजिट में मुआवजा राशि मिल रही है। ताजा मामला छत्रपति संभाजीनगर जिले की पैठण तहसील के दावरवाड़ी गांव का है, जहां किसान दिगंबर सुधाकर तांगड़े को भारी बारिश और बाढ़ से फसल बर्बाद होने पर सरकार से केवल 6 रुपये का मुआवजा मिला है।
किसान दिगंबर तांगड़े के अनुसार, उनके पास 2 एकड़ जमीन है और अगस्त-सितंबर की भारी बारिश में उनकी पूरी फसल चौपट हो गई थी। सरकार ने इस नुकसान का मुआवजे के नाम पर सिर्फ 6 रुपये आए हैं। किसान ने भारी मन से कहा कि इस रकम से तो मैं एक कप चाय भी नहीं खरीद सकता।
किसानों का आक्रोश
तांगड़े ने कहा कि सरकार किसानों के साथ मज़ाक कर रही है। “सरकार को शर्म आनी चाहिए, दो महीने से मुआवजे की उम्मीद थी और अब 6 रुपये भेजकर अपमान किया गया है। हमें कर्जमाफी चाहिए, न कि इस तरह की दिखावटी मदद।” उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के कार्यकाल में किसानों को कर्जमाफी दी गई थी, जबकि मौजूदा सरकार ने घोषणा तो की थी पर अब तक उस दिशा में कुछ नहीं हुआ।
उद्धव ठाकरे के दौरे के दौरान सामने आया मामला
यह मामला तब उजागर हुआ जब शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे मराठवाड़ा क्षेत्र के दौरे पर थे और किसानों से बातचीत कर रहे थे। उसी दौरान दिगंबर तांगड़े ने मीडिया के सामने अपनी बात रखी। उन्होंने यह भी कहा कि किसान दिन-प्रतिदिन बदहाल होते जा रहे हैं और सरकार केवल वादे कर रही है।
पहले भी मिल चुकी है मामूली राहत
यह कोई एकमात्र घटना नहीं है। हाल ही में अकोला जिले में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत कई किसानों को 3 रुपये, 21 रुपये और 24 रुपये तक की मुआवजा राशि दी गई थी। आक्रोशित किसानों ने इसे “मजाक” बताते हुए कलेक्टर दफ्तर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और मुआवजे के चेक लौटा दिए थे।
राहत पैकेज के बावजूद आवंटन में गड़बड़ी
राज्य सरकार ने पिछले महीने 31,628 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की थी, जिसमें फसल क्षति, मिट्टी कटाव, घरों और पशुशालाओं के नुकसान सहित अन्य मदों के लिए सहायता का प्रावधान किया गया था। लेकिन जमीनी स्तर पर किसानों को अब तक उचित राहत नहीं मिल पाई है।