किसान आंदोलन : सरकार का रुख व किसानों के कड़े फैसले बढ़ा सकते हैं टकराव

4/3/2021 10:25:04 AM

सोनीपत : कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों का आंदोलन कुछ शिथिलता के बाद फिर से तेज हो सकता है। लगातार सरकार के उदासीन रुख व किसानों के कड़े फैसलों ने हलचल तेज कर दी है। ऐसा माना जा रहा है कि दिल्ली कूच के फैसले से किसानों व सरकार में फिर से टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है। इसका सबसे बड़ा कारण यह भी माना जा रहा है कि किसानों को रोकने का प्रयास होगा तो वे बवाल कर सकते हैं। अब ऐसे में बातचीत का रास्ता खुलने की उम्मीद भी दिख रही है।

किसान 4 महीने से ज्यादा समय से कुंडली बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इस बीच किसानों व सरकार के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है तो गृह मंत्री अमित शाह भी किसानों से वार्ता कर चुके हैं। इसके बावजूद कोई हल अभी तक नहीं निकल सका है लेकिन यह जरूर है कि सरकार व किसानों के बीच बैठक का दौर लगातार जारी था। किसानों व सरकार के बीच आखिरी बैठक 22 जनवरी को हुई थी और उसके बाद से बातचीत का रास्ता बंद पड़ा है। सरकार व किसान एक-दूसरे से पहल चाहते हैं लेकिन दोनों में कोई भी पहल करने को तैयार नहीं है। सरकार के इस रुख को देखते हुए ही किसानों ने चक्का जाम से लेकर रेल तक रोकी तो भारत बंद भी किया गया, उसके बावजूद सरकार व किसानों के बीच बातचीत का रास्ता नहीं खुल सका।

इससे किसानों की नाराजगी बढ़ गई है और इसलिए ही किसानों ने अब बड़े फैसले लेने शुरू कर दिए हैं ताकि सरकार पर दबाव बनाकर बातचीत का रास्ता खोला जा सके। किसानों का संसद कूच करने का फैसला सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति के तहत ही माना जा रहा है लेकिन किसानों के इस फैसले से दोबारा टकराव के आसार बनने लगे हैं। अब हर किसी की नजर इस पर ही टिकी है कि संसद कूच से पहले सरकार व किसानों के बीच बातचीत होती है या नहीं।किसान नेता गुरनाम चढूनी ने बताया कि किसान पिछले 4 महीने से ज्यादा समय से बॉर्डर पर बैठे हुए हैं और उनकी लगातार मौत होने के बाद भी सरकार कोई सुध लेने को तैयार नहीं है। किसानों की बात तक सरकार नहीं सुन रही है तो ऐसे में किसानों को कड़े फैसले लेने पड़ रहे हैं।

अमरीका की किसान संगत ने शुरू करवाई शूटिंग बाल प्रतियोगिता
किसान आंदोलन में इस समय युवाओं की भागीदारी काफी कम दिख रही है और युवाओं को आंदोलन से जोडऩे के लिए अभियान चलाया जा रहा है। वहीं अब युवाओं की टीमें बनाकर एक विशाल शूटिंग बाल प्रतियोगिता भी कुंडली बॉर्डर पर पार्कर मॉल के सामने शुरू करवाई गई है जिसमें देशभर के नामी खिलाडिय़ों के साथ ही धरनारत युवा भाग ले रहे हैं। खास बात यह है कि यह प्रतियोगिता अमरीका की एक सिख संगत द्वारा करवाई जा रही है जिसमें पहला ईनाम 1 लाख रुपए व दूसरा ईनाम 70 हजार रुपए रखा गया है। प्रतियोगिता किसानों का मनोबल बढ़ाने के लिए करवाई जा रही है। प्रतियोगिता में वे खिलाड़ी भी शामिल हो सकते हैं जो आंदोलन में शामिल नहीं हैं। इसमें कुल 40 टीमें भाग ले रही हैं जिनमें हरियाणा, यू.पी., पंजाब और राजस्थान की टीमें भी शामिल हैं। शुक्रवार को किसान नेताओं ने रिबन काटकर प्रतियोगिता की शुरूआत की।

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Content Writer

Manisha rana