किसान आंदोलन : गेहूं की बिजाई हो न हो पर यहां से नहीं हटेंगे

12/4/2020 8:51:40 AM

सोनीपत : 3 कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े किसानों के खेतों में इस बार गेहूं की बिजाई व सिंचाई प्रभावित हो सकती है लेकिन आंदोलनरत किसानों को इसका कोई मलाल नहीं है। 10 दिन पहले पंजाब से निकले किसान अब दिल्ली के चौतरफा बार्डरों पर जमे बैठे हैं। 

उनका कहना है कि इस बार भले ही उनके खेतों में गेहूं की फसल पैदा न हो लेकिन वे अपने हक को लिए बिना यहां से नहीं डिगेंगे। एक अनुमान के अनुसार करीब एक लाख किसान पंजाब से आ चुके हैं जिस कारण वे अपने खेतों में गेहूं की बिजाई व सिंचाई नहीं कर पा रहे। अगर किसानों की सरकार से बातचीत नहीं बनी और आंदोलन लंबा चला तो लाखों हैक्टेयर भूमि में इस बार गेहूं की बिजाई नहीं की जा सकेगी। ऐसे में आशंका है कि इस बार पंजाब में गेहूं का उत्पादन बेहद कम हो। 

पंजाब देश के गेहूं उत्पादक राज्यों में सबसे अग्रणी है। यहां के 42 लाख हैक्टेयर रकबे में खेती की जाती है जिसमें से 35 लाख हैक्टेयर में केवल गेहूं की फसल बोई जाती है। देश का पेट भरने में पंजाब व हरियाणा की सबसे ज्यादा भूमिका है। नवम्बर-दिसम्बर का यह समय गेहूं की बिजाई व सिंचाई का होता है लेकिन इस बार पहले से करीब एक लाख किसान पंजाब से निकले हुए हैं। यदि आंदोलन आगे बढ़ा तो पंजाब में लाखों हैक्टेयर भूमि पर गेहूं की बिजाई का समय निकल जाएगा। कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब के किसान पिछले 2 माह से आंदोलनरत हैं लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। पंजाब में रेल रोकने, सड़क मार्ग बाधित करने के बावजूद सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो वे 10 दिन पहले दिल्ली कूच के लिए निकल पड़े थे और अब दिल्ली को चौतरफा घेर कर बार्डरों पर बैठे हुए हैं। 

किसान बोले- एक फसल बर्बाद हो जाए, लेकिन पीढिय़ां बर्बाद नहीं होने देंगे 
कुंडली बार्डर पर जमे लुधियाना के किसान अजमेर सिंह, दीपा सिंह, लखविंद्र ने कहा कि वे यहां से अपना हक लिए बिना जाने वाले नहीं हैं। एक फसल बर्बाद हो जाए लेकिन वे अपनी पीढिय़ां बर्बाद नहीं होने देंगे। इस बार वे गेहूं न भी पैदा करेंगे तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा। किसानों ने कहा कि वे अपने ट्रैक्टर-ट्रालियों में कई माह का राशन लेकर आए हैं जबकि इसके अलावा भी लोकल किसान उन्हें रसद पहुंचा रहे हैं। ऐसे में उन्हें दिक्कत आने वाली नहीं है। पंजाब से भी उनके किसान भाई लगातार दाना-पानी लेकर कुंडली व दूसरे बार्डरों पर पहुंच रहे हैं। 

बार्डर पर हमारे जवान जमे हैं और हम इस बार्डर पर 
पाकिस्तान से लगते सीमावर्ती क्षेत्र तरनतारन से कुंडली बार्डर पर पहुंचे किसान अमरीक सिंह ने बताया कि उनके खेत सीमा पर जीरो प्वाइंट पर हैं। इस समय पाकिस्तान से तनाव के चलते उनके खेतों में जवानों की तैनाती कर दी गई है जबकि वे खुद यहां कुंडली बार्डर पर अपने हक के लिए लड़ रहे हैं। अमरीक सिंह ने अपना दुख बयां करते हुए कहा कि उनके खेतों में इस समय जवानों की तैनाती की वजह से फसल बर्बाद भी हो रही है तो दूसरे नुक्सान भी हो रहे हैं लेकिन वे यहां से हटेंगे नहीं। वे तब तक यहां से नहीं जाएंगे जब तक कि उनका हक उन्हें नहीं मिल जाता। 

Manisha rana