हाइकोर्ट पहुंची हरियाणा सरकार, कहा- मुअावजा लेने नहीं अा रहे किसान

4/27/2018 11:53:56 AM

चंडीगढ़: बीते वर्षों में सुखे से बर्बाद हुई 10 लाख एकड़ भूमी की फसलों का मुअावजा देने के लिए तैयार है, लेकिन मुअावजा लेने के लिए किसान ही अागे नहीं अा रहे हैं। प्रदेश सरकार ने किसानों को मुअावजा दिलवाने के लिए दाखिल जनहीत याचिका पर सुनवाई के दौरान ये जानकारी दी। जानकारी पर याचि ने अपना पक्ष रखने के लिए समय मांगा है। इस पर हाइकोर्ट ने सुनवाई टाल दी। अखिल भारतीय किसान सभा हरियाणा की ओर से दायर याचिका में हरियाणा सरकार पर किसानों का 700 करोड़ से अधिक की मुआवजा राशी न देने का अारोप लगाया था। 

किसान सभा हरियाणा ने कोर्ट  को बताया कि सरकार ने 2015 में पांच जिलों का सर्वे करवाया था। किसान सभा हरियाणा ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने 2015 में पांच जिलो का सर्वे करवाया था। इनमें हिसार, सिरसा, फतेहाबाद, भिवानी और जींद शामिल हैं। सर्वे के दौरान 10 लाख एकड़ जमीन को सूखाग्रस्त बताया था। इसका मुअावजा 700 करोड़ अधिक का बताया जा रहा है। याचि ने कहा कि राशि किसानों की है और किसान को जारी करने के लिए सरकार गंभीर है। याची ने कहा था कि पिछले साल राज्य में 39 प्रतिशत कम बारिश हुई थी। इस कारण सरकार को सुखाग्रस्त राज्य घोषित किए गए प्रभावित किसानों को मुअावजा देना चाहिए था। लेकिन सरकार ने सफेद मक्खी से खराब हुई कपास की फसल के पीड़ितों को ही मुअावजा दिया।  

मुअावजा लेने नहीं अा रहे
सरकार को हर फसल के नष्ट होने का मुअावजा देना चाहिए न कि केवल कपास का। याचिका के अनुसार, राज्य के 14 जिलों से सूखे की मार पड़ी है, लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही। इस याचिका पर हाइकोर्ट ने हरियाणा सरकार भिवानी, हिसार,फतेहाबाद, सिरसा, जींद के डीसी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था। जिस पर  मुअावजे के लिए दावेदार न होने की बात कही है। हालाकिं, हरियाणा सरकार की इस दलील पर अगली सुनवाई पर याचि अपना पक्ष रखेंगे। याचि में वीरवार को भी कोर्ट में कहा कि एेसा कैसे हो सकता है कि किसी की फसल बर्बाद हुई हो और वह अपनी फसल के लिए मुअावजा नहीं चाहता। याचि ने अगली सुनवाई पर किसानों की ओर से पक्ष रखने के लिए समय मांगा, जिसे मंजूर करते हुए कोर्ट ने सुनवाई टाल दी। 

केंद्र सरकार ने लौटाई 
गौरतलब है कि 2016 में उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार को बर्खास्त करक राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की सिफारिश को जस्टिस जोसेफ ने निरस्त किया था। कांग्रेस का अारोप है कि उन्हें इस एक फैसले की सजा मिल रही है। जबकि केंद्र का कहना है कि उस फैसले का नाम वापसी से कोई नाता नहीं है। अब कोलेजियम सरकार की राय मानकर पीछे हट सकती है। वह जस्टिस जोसेफ का नाम दोबाराभेज सकती है। एेसे में सरकार सिफारिश लौटा नहीं सकतीी। हां, यह बात अलग है कि सरकार उस फाइल को रोके रही। 

Deepak Paul