Farmers protest : आज की बैठक अहम, बात नहीं बनी तो किसान 17 को करेंगे बैठक

1/15/2021 8:38:33 AM

सोनीपत (ब्यूरो) : दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए किसानों को 50 दिन हो गए हैं। किसानों और सरकार के बीच शुक्रवार को नौवें दौर की बातचीत होगी। उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के दखल और किसानों के उग्र तेवर को देखते हुए सरकार इस बैठक में समाधान की ओर आगे बढ़े। किसानों का कहना है कि वे जो कहना चाहते थे, कह चुके हैं। अब तो गेंद केंद्र सरकार के पाले में है, वह कानून रद्द कर दे, किसान अपने घर लौट जाएंगे। अगर बैठक में हल निकलता नहीं दिखा तो 17 को संयुक्त मोर्चा की बैठक है। इस बैठक में किसान 26 जनवरी को ट्रैक्टर तिरंगा परेड को लेकर रूट प्लान और रणनीति पर मंथन करेंगे। संभव है कि इसी दिन किसानों की ओर से इस परेड का प्रारूप भी घोषित कर दिया जाए।

किसानों ने इस बीच यह संकेत दिया है कि वे आंदोलन जरूरी जारी रखेंगे, परंतु इसका मतलब यह नहीं है कि बातचीत का रास्ता बंद करेंगे। अगर सरकार सकारात्मक रुख अपनाती है तो वे बातचीत के लिए आगे भी तैयार हैं, लेकिन एजैंडा एक ही है कि तीनों कानून रद्द हों और एम.एस.पी. पर लिखित में कानूनी गारंटी मिले। यह 2 मांगें सरकार पूरी कर दे, किसान उनका धन्यवाद करते हुए अपने घर चले जाएंगे। किसान नेताओं का कहना है कि अगर ऐसा नहीं होता है तो 26 जनवरी तक का आंदोलन पहले से घोषित है। आगे का आंदोलन इसके बाद तय हो जाएगा। किसान बॉर्डर तब तक नहीं छोड़ेंगे, जब तक तीनों कानून वापस नहीं होते। 

किसान नेता शमशेर सिंह दहिया, रत्नमान, गुरनाम सिंह चढूनी व अन्य का कहना है कि इसमें कोई लंबा-चौड़ा विषय नहीं है। सरकार को बस कानून वापस लेने हैं और एम.एस.पी. पर गारंटी देनी है। ये दोनों ही मांगें मुख्य हैं और इनको लेकर शुक्रवार को वार्ता के लिए किसान जाएंगे, लेकिन किसान अब की बार बेवजह समय जाया नहीं करेंगे। सरकार से दो-टूक बात करनी है हां या ना। इस बीच किसान नेता राजेंद्र आर्य ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी में पंजाब की ओर से सदस्य भूपेंद्र मान का इस्तीफा इस आंदोलन की वैचारिक जीत का उदाहरण है। भूपेंद्र सिंह मान ने कहा है कि वह किसानों की भावनाओं के साथ है, इसके लिए उनका धन्यवाद। उन्होंने कहा कि वह भूपेंद्र सिंह मान को भी आंदोलन के लिए आमंत्रित करते हैं कि वह किसानों के साथ आएं।

Manisha rana