किसान आंदोलन और महापंचायत का डर निकल गया, सरकार अपने विकास के पथ पर अग्रसर

9/5/2021 9:20:43 PM

रेवाड़ी (योगेंद्र सिंह): नौ महीने से कृषि कानून को लेकर आंदोलन कर रहे आंदोलनकारियों के निशाने पर केंद्र व हरियाणा की सरकार है। आंदोलनकारी सरकार व सरकारी कार्यक्रमों का लगातार विरोध कर रहे हैं, लेकिन अब लगता है कि सरकार ने भी तय कर लिया है कि वह अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं एवं विकास कार्यों की शुरूआत करने में पीछे नहीं हटेगी। इसका उदाहरण विगत दिनों करनाल में स्थानीय निकाय चुनावों की रणनीति को लेकर बैठक आहूत कर सरकार ने पहले ही दे दिया था और आज खुद सीएम ने रेवाड़ी में इंदिरा गांधी यूनिवर्सिटी में कई योजनाओं का श्रीगणेश कर दिया। 

लगता है कि सरकार के मन से अब किसान आंदोलन एवं आंदोलनकारियों की महापंचायत की धमकियां का डर निकल गया है और उसने भी अब जनता हित में विकास कार्यों को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है। वैसे भी अब भाजपा नेता एवं सरकार के मंत्री आंदोलनकारियों को लेकर साफ शब्दों में कहने लगे हैं कि किसान तो खेतों में काम कर रहे हैं और विपक्ष के इशारों पर दूसरे ही लोग आंदोलन के नाम पर जनता व सरकार को परेशान कर रहे हैं।



दो दिन पूर्व ही केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने भी रेवाड़ी में साफ शब्दों में कहा था कि विपक्ष लोगों को गुमराह कर किसान आंदोलन के नाम पर लोगों को सडक़ पर बैठाए हुए है। वह सरकार के सब्र की परीक्षा ले रहे हैं। दूसरी ओर रविवार को मीरपुर स्थित इंदिरा गांधी यूनिवर्सिटी परिसर में कई योजनाओं का शुभारंभ करने पहुंचे सीएम मनोहरलाल खट्टर ने भी आंदोलनकारियों व महापंचायत करने वालों को सीधा सा संदेश देने का प्रयास किया।   

उन्होंने मुजफ्फरनगर में आयोजित संयुक्त किसान मोर्चा की महापंचायत पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इस महापंचायत का हरियाणा में कोई असर नहीं होने वाला है। लोकतंत्र में हर किसी को अपनी बात कहने और उसको लेकर कार्यक्रम आहूत करने का अधिकार है, लेकिन एक सीमा में रहकर। आज की महापंचायत का हरियाणा से कोई लेना-देना नहीं है। सीएम ने साफ शब्दों में कहा कि हरियाणा के किसान कृषि कानून लागू होने से खुश हैं और विपक्ष के इशारें पर ही कुछ लोग माहौल खराब करने की मंशा को लेकर सडक़ों पर हैं। 

सरकार अब जिस तरीके से सरकारी कार्यक्रम, पार्टी कार्यक्रम एवं तमाम प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहनाने के लिए कार्यक्रम आहूत कर रही है उससे तो यह साफ है कि अब वह विकास कार्यों से कोई समझौता नहीं करना चाहती है। यानि अभी तक किसान आंदोलनकारियों के विरोध-प्रदर्शन व काले झंडे दिखाने के खौफ से सरकार सार्वजनिक कार्यक्रम आहूत करने से कतरा रही थी लेकिन अब जब छोटी सरकार के चुनाव होना है, तो सरकार ने भी मैदान में कूदने का मन बना लिया है। यदि सरकार लोगों के बीच नहीं गई और सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं किए तो उसका नुकसान भी प्रदेश के सत्ता पक्ष को ही होगा। इसी के चलते अब सीएम और प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ ने मोर्चा संभाल लिया है।



डरे तो फिर छोटी सरकार कैसे बनाएंगे
प्रदेश में छोटी सरकार यानि पंचायत एवं स्थानीय निकाय के चुनाव होना है और जिस प्रकार आंदोलनकारी मंत्रियों एवं सरकारी कार्यक्रम का विरोध कर रहे हैं उससे लोगों के बीच सत्ता पक्ष नहीं पहुंच रहा है। यदि लोगों की परेशानी दूर करनी है, उनकी समस्याओं को दूर करना है, तो सरकार को मैदान में आना ही होगा। वहीं प्रदेश में यदि छोटी सरकार पर काबिज होना है, तो लोगों की नाराजगी दूर करने के लिए उनके बीच आना होगा और लगता है कि सरकार ने भी अब मन बना लिया है कि कुछ भी हो लेकिन वह अब बंद कमरे में बैठकर तमाशा नहीं देखेगी।

राव इंद्रजीत नहीं पहुंचे कार्यक्रम, शुरू हुआ चर्चाओं का दौर
सीएम आज रेवाड़ी आए और कई परियोजनाओं का श्रीगणेश किया लेकिन इस कार्यक्रम में स्थानीय सांसद एवं केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत नहीं आए। इसको लेकर राजनीतिग गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। जितने मुंह उतनी बातें। हालांकि सीएम मनोहरलाल खट्टर ने साफ किया कि किसी कारण वश राव इंद्रजीत कार्यक्रम में नहीं आए हैं। बावजूद लोग इसे राजनीतिक चश्में से देखकर राव इंद्रजीत और भूपेंद्र यादव के बाद कृष्णपाल गुर्जर के दो दिवसीय रेवाड़ी दौरे से जोडक़र देखते हुए इसे आगामी समय में अहीरवाल में बदलाव की राजनीति करार देने से नहीं चूक रहे हैं।  
 

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Content Writer

vinod kumar