गिरोह का आतंक, बना मौत का हाइवे, टोल टैक्स वसूली में नंबर-1

7/17/2018 11:47:32 AM

गुडग़ांव(पी मार्कण्डेय): सड़क दुर्घटनाओं के लिहाज से एनसीआर और खासकर गुडग़ांव सबसे बड़ा डेंजर जोन के रूप में वैश्विक स्तर पर उभर रहा है। यहां पर तकरीबन रोजाना करीब साढ़े तीन लाख वाहनों का प्रवेश होता है जो दिल्ली से गुडग़ांव होते हुए जयपुर के लिए निकलते हैं। लगभग एक लाख वाहन तो गुडग़ांव से जयपुर के लिए निकल जाते हैं लेकिन दो लाख के आसपास वाहन गुडग़ांव में ही रुकते हैं। 
 

करीब 60 हजार से अधिक वाहन औद्योगिक कंपनियों से निर्मित माल लेकर आते-जाते हैं। अनुमान के मुताबिक 50 हजार के आसपास कमर्शियल वाहनों में से अधिकतर ओवरलोड और गैर प्रशिक्षित चालकों द्वारा चलाए जाते हैं। दूसरी तरफ दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या आठ मौत का हाईवे बन गया है।

हर साल यहां पर सड़क दुर्घटना में सैकड़ों लोग जिंदगी गवां रहे हैं। सिर्फ गुडग़ांव और आसपास के क्षेत्र से गुजरने वाले एनएच 8 पर दुर्घटना संभावित क्षेत्र करीब डेढ़ दर्जन है, जहां लोग मौत के घाट उतर रहे हैं। गत एक दशक में जिले भर में मार्ग दुर्घटना में मौत के आंकड़े देखा जाए तो करीब 5,000 लोग दुर्घटना में काल-कवलित हो गए। जबकि अंग-भंग और घायलों की तादात 9,500 हजार के आसपास बताई जाती है। पिछल महज छह माह में ही सड़क हादसों में मरने वाले लोगों की संख्या 250 सौ बताईजा रही है।  

वाहनों का भारी दबाव रहता है शहर में: शहर में रोजाना तकरीबन तीन से साढ़े तीन लाख वाहनों का प्रवेश होता है। इन वाहनों में लगभग एक लाख वाहन तो गुडग़ांव से जयपुर के लिए निकल जाते हैं लेकिन दो लाख के आसपास वाहन शहर में ही रुकते हैं। तकरीबन 90 हजार वाहन मेहरौली रोड से, तो दो लाख से अधिक वाहन नियमित रुप से हाइवे के माध्यम से शहर में प्रवेश करते हैं।  इसके अलावा रोजना करीब 60 हजार से अधिक वाहन औद्योगिक कच्चा माल लेकर उद्योग विहार, आईएकटी मानेसर, सेक्टर 34, सेक्टर 10 और सेक्टर 37 पहुंचते है। इतने ही वाहन जिनमें बड़े ट्राले भी शामिल हैं इन औद्योगिक क्षेत्रों की हजारों कंपनियों से निर्मित माल लेकर वापस जाते हैं। 

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का गठन हुआ तो कहा गया कि राजमार्ग राष्ट्र की धमनियां हैं। इनमें से ही महत्वपूर्ण धमनी राष्ट्रीय राजमार्ग-8 है जो धौलाकुआं से शुरू होकर मुंबई तक जाती है। इसके निर्माण के तुरंत बाद ही धौलाकुआं से खेड़कीदौला के मार्ग को एक्सप्रेस वे में तब्दील करना पड़ा। इसके लिए एक बड़ी निर्माण कंपनी को 555 करोड़ का प्रोजेक्ट दिया गया था। इस 28.5 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेस वे पर सर्वाधिक टोल टैक्स वसूली का रिकार्ड है, लेकिन यहां असुविधाओं का टोंटा बना हुआ है। इसके निर्माण पर लगे लागत की वसूली के बाद इसे एनएचएआई को वापस करना था। इसके चालू होते ही टोल टैक्स वसूली में देश के नंबर वन एक्सप्रेस वे के रुप में यह जाना जाने लगा। 
 

यहां तक की घंटो तक टोल देने वाले वाहनों की लंबी कतार लगने लगी और लोगों की आपत्तियों के बाद सिरहौल टोल को हटाना पड़ा था। अगर राजस्व वसूली के लिहाज से देखे तो साल 2012 में इस एक्सप्रेस वे पर तकरीबन 1200 करोड़ रुपए की वसूली की गई। साल 2015 से 2016 के मध्य में बताया जाता है कि 5 हजार करोड़ तक वसूली पहुंच गई है। रोजाना 3 से 3.5 लाख से वाहन इस एक्सप्रेस वे से गुजरते हैं।
 जिनमें तकरीबन 6 से 8 लाख लोग नियमित सफर करते हैं। देश में सर्वाधिक टोल की वसूली होती है लेकिन राजमार्ग अपनी असुविधाओं और विसंगतियों से जूझ रहा है। जो कि हादसों का कारण बन रहा है।

Deepak Paul