1100 KM दूर से हिंद महासागर पर नजर.., हरियाणा के इस जिले में पहला नेवी बेस, जानिए इसकी खासियत...
punjabkesari.in Friday, Sep 12, 2025 - 05:47 PM (IST)

डेस्कः भारतीय नौसेना ने 12 सितंबर 2025 को इतिहास रचते हुए एक ऐसा नौसैनिक अड्डा तैयार किया है, जो समुद्र से सैकड़ों किलोमीटर दूर होने के बावजूद हिंद महासागर की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस अत्याधुनिक बेस का नाम है आईएनएस अरावली (INS Aravalli), जिसे हरियाणा के गुरुग्राम में नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने कमीशन किया।
समुद्र से दूर, फिर भी बेहद महत्वपूर्ण
रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुरुग्राम से सबसे नजदीकी समुद्री तट गुजरात का कांडला पोर्ट लगभग 1,148 किलोमीटर दूर है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि समुद्र से इतनी दूरी पर स्थित यह नौसैनिक अड्डा देश की समुद्री और तटीय सुरक्षा में कैसे योगदान देगा? इसका उत्तर है आधुनिक तकनीक, सूचना युद्ध क्षमता और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस एकीकृत सूचना नेटवर्क, जो देशभर के समुद्री क्षेत्रों पर रियल-टाइम नजर रखने में सक्षम है।
INS अरावली क्यों है खास?
INS अरावली को एक हाई-टेक कोऑर्डिनेशन और डेटा फ्यूजन सेंटर के रूप में तैयार किया गया है। यह केंद्र भारतीय नौसेना के:-
- कमांड एंड कंट्रोल ऑपरेशंस
- खुफिया गतिविधियों का संचालन
- और समुद्री सुरक्षा मिशनों की निगरानी करेगा।
यह बेस खासतौर पर मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस (MDA) को बढ़ाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है, जिससे हिंद महासागर क्षेत्र में किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर रियल-टाइम मॉनिटरिंग संभव हो सकेगी।
नाम और प्रतीक का गहरा महत्व
इस नौसैनिक अड्डे का नाम लिया गया है अरावली पर्वत श्रृंखला से जो सदियों तक विदेशी आक्रमणों के खिलाफ भारत की ढाल बनी रही।
INS अरावली का मोटो है:
“सामुद्रिकसुरक्षायाः सहयोगं” सामूहिक सहयोग के साथ समुद्री सुरक्षा। इसका प्रतीक चिन्ह अरावली की मजबूती और उगते सूरज की ऊर्जा को दर्शाता है, जो शक्ति, स्थायित्व और नए युग की शुरुआत का प्रतीक है।
तकनीकी रूप से सशक्त 'सुपर ब्रेन सेंटर'
INS अरावली को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह नौसेना के सभी सूचना और संचार नेटवर्क से जुड़ सके। यहां पर रियल-टाइम डेटा कलेक्शन और विश्लेषण, खुफिया एजेंसियों और तटीय सुरक्षा बलों से समन्वय और पूर्व चेतावनी तंत्र के तहत समुद्री खतरों की पहचान की जा सकेगी।
BEL के साथ रणनीतिक साझेदारी
जुलाई 2025 में भारतीय नौसेना ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) के साथ नेशनल मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस प्रोजेक्ट (NMDA) के तहत एक अहम समझौता किया। इसका उद्देश्य है:
- विशाल स्तर पर समुद्री डेटा एकत्र करना
- उसे मल्टी-एजेंसी नेटवर्क के साथ साझा करना
- और समुद्री सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देना
इस साझेदारी के तहत INS अरावली को भारत का एक तरह का "सुपर ब्रेन सेंटर" कहा जा रहा है, जो जमीन पर रहकर भी समुद्र की गहराइयों तक निगरानी रखने में सक्षम है।
AI और Big Data से लैस अत्याधुनिक सिस्टम
INS अरावली में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और बिग डेटा एनालिटिक्स की मदद से यह सिस्टम तुरंत यह पहचान कर सकता है कि कोई जहाज मित्र राष्ट्र का है या संदिग्ध गतिविधियों में शामिल है। इस तकनीक के माध्यम से नौसेना हर समय अपडेटेड और सतर्क रह सकेगी।
25 देशों के 43 सेंटर से जुड़ी लाइव फीड
INS अरावली की एक और बड़ी खासियत यह है कि यह बेस 25 देशों के 43 मल्टीनेशनल सेंटर से लाइव फीड प्राप्त करता है। इससे न केवल भारत को रीयल-टाइम जानकारी मिलेगी, बल्कि आपातकालीन स्थितियों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग और ग्लोबल मैरीटाइम नेटवर्किंग में भी भारत को बढ़त मिलेगी। इस नेटवर्क से अमेरिका, फ्रांस, जापान, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन जैसे प्रमुख देश भी जुड़े हुए हैं।
गैरकानूनी समुद्री गतिविधियों पर कड़ी नजर
यह सेंटर निम्नलिखित गैरकानूनी गतिविधियों की निगरानी और रोकथाम में अहम भूमिका निभाएगा:-
- समुद्री डकैती
- आतंकवाद
- मानव तस्करी
- ड्रग्स की तस्करी
- और IUU फिशिंग (अवैध, अनियमित और अनरिपोर्टेड मछली पकड़ना)
हिंद महासागर में भारत की पकड़ होगी और मजबूत
हिंद महासागर एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र है क्योंकि यहां से दुनिया का 80% तेल परिवहन और 75% समुद्री व्यापार गुजरता है। ऐसे में गुरुग्राम स्थित INS अरावली, भारत की समुद्री सुरक्षा को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। चीन जैसी शक्तियों की बढ़ती गतिविधियों के बीच यह बेस भारत को हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक बढ़त दिलाने में अहम भूमिका निभाएगा। समुद्र से सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित होकर भी INS अरावली तकनीक, समन्वय और रणनीति का ऐसा केंद्र बन गया है, जो आने वाले समय में भारत की समुद्री शक्ति का आधार स्तंभ साबित होगा।