4 साल में बने 5 मुख्यमंत्री तो 85 विधायकों वाली सरकार चली मात्र 4 साल

7/8/2019 9:27:02 AM

धरणी : हरियाणा की राजनीति में सक्रिय रहे 3 लालों का इस रिकॉर्ड पर भी कब्जा रहा था कि वे एक बार से ज्यादा सी.एम. बने जिनके क्रम को बढ़ाने के लिए प्रदेश के चौथे लाल भाजपा से सी.एम. बने मनोहरलाल खट्टर भी वर्तमान में पूर्ण रूप से प्रयासरत हैं। उल्लेखनीय है कि उनके नेतृत्व में भाजपा ने जहां लोकसभा की सभी 10 सीटें जीतीं वहीं इससे पूर्व हुए जींद उपचुनावों के बाद भाजपा विधायकों की संख्या 48 हो गई जोकि 2014 के विधानसभा चुनाव दौरान 47 थी। उधर इनैलो के हाथ से जहां विधायकों की गिनती कम होती जा रही है वहीं नेता प्रतिपक्ष पद भी चला गया है। प्रदेश में भाजपा मुख्यमंत्री मनोहरलाल के नेतृत्व में अक्तूबर में होने वाले चुनावों में कम बैक करने की तैयारी में जोर-शोर से जुट गई और इसका फायदा वह कांग्रेस की गुटबाजी व इनैलो की पारिवारिक जंग से भी उठा रही है।  

लालों को सत्ता से दूर करने के लिए कभी बना था ग्रुप अब प्रदेश में महागठबंधन की तैयारी
प्रदेश की राजनीति में एक दौर ऐसा भी था जब सत्ता में कोई न कोई लाल ही काबिज होता था। यह दौर था चौ. देवीलाल, चौ. बंसीलाल व चौ. भजनलाल का। उक्त तीनों लाल प्रदेश की राजनीति के पर्यायवाची बन चुके थे। इनमें से 2 लाल भजनलाल व बंसीलाल कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय थे। प्रदेश की राजनीति के वर्तमान माहौल पर अगर एक नजर डालें तो फिलहाल यही बात निकल कर आ रही है कि भाजपा को प्रदेश की सत्ता से दूर करने के लिए प्रदेश की अन्य राजनीतिक पाॢटयां व कई दिग्गज नेता एकजुट होकर महागठबंधन की तैयारी में लगे हैं और इसको लेकर मीटिंगों का दौर भी चल रहा है।

ऐसा ही एक दौर1996 से 2004 के बीच भी आया था जब भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में एक ग्रुप बना था जिसने लालों की राजनीति की खिलाफत शुरू की थी तथा लालों से मुक्ति के लिए बने प्लेटफॉर्म पर एक दर्जन से अधिक रैलियां पूरे प्रदेश में की थीं। इस ग्रुप में तब अधिकांश विरोधी भजनलाल के शामिल हुए थे इनमें प्रमुख रूप से तत्कालीन पूर्व केंद्रीय मंत्री कर्नल राम सिंह, तत्कालीन सांसद पंडित चिरंजी लाल शर्मा, तत्कालीन सांसद व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलेजा, पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा, पूर्व मंत्री करतार देवी जैसे दिग्गज चेहरे शामिल थे। अब देखना यह होगा कि अतीत की तरह क्या इस बार महागठबंधन होता है या फिर यह बनने से पूर्व ही बिखर जाएगा। 

1966 में हरियाणा विधानसभा की थीं 54 सीटें 
अगर हम प्रदेश की स्थिति पर नजर डालें तो हरियाणा 1 नवम्बर 1966 को अस्तित्व में आया था और उस समय इसमें 54 सीटें थीं जिनमें से 10 अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित थीं। मार्च 1967 में संख्या को बढ़ाकर 81 किया गया और 1977 में इसे 90 किया गया जिनमें 17 अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित हैं। मनोहरलाल : अक्तूबर 2014 में भाजपा प्रदेश में पहली बार अकेले सत्ता में आई व इसके मुखिया मनोहरलाल चुने गए। 26 अक्तूबर 2014 को उन्होंने 10वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। मनोहरलाल खट्टर प्रदेश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो गैर-जाट समुदाय से आते हैं। वह भाजपा तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक भी रह चुके हैं। 

बंसीलाल : चौधरी बंसीलाल 1968, 1972, 1986 और 1996 में 4 बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। वह भगवत दयाल शर्मा एवं राव बीरेंद्र सिंह के बाद प्रदेश के तीसरे मुख्यमंत्री थे। वह 31 मई 1968 को पहली बार मुख्यमंत्री बने। बंसीलाल को 1975 में आपातकाल दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी व उनके पुत्र संजय गांधी का करीबी विश्वासपात्र माना जाता था। उन्होंने दिसम्बर 1975 से मार्च 1977 तक रक्षा मंत्री के रूप में सेवाएं दीं एवं 1975 में केंद्र सरकार में बिना विभाग के मंत्री के रूप में उनका एक संक्षिप्त कार्यकाल रहा। उन्होंने रेलवे और परिवहन विभागों का भी संचालन किया। उन्होंने 1996 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अलग होकर हरियाणा विकास पार्टी की स्थापना की।

भजनलाल : 1979, 1982 व 1991 में 3 बार मुख्यमंत्री बने। यह सर्वविदित है कि भजनलाल के राज में आया राम गया राम की राजनीति काफी चर्चा में रही। भजनलाल गैर-जाट नेताओं के अंदर सर्वाधिक प्रभावशाली नेता रहे। राजनीति के चाणक्य और कई दलबदल के ‘इंजीनियर’ रहे भजनलाल अंतिम दिनों में बनाई अपनी पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस के सदस्यों को दल बदलने से नहीं रोक सके। 1968 में वह बंसीलाल सरकार में शामिल हुए थे और लम्बे समय तक उनके संकट मोचक बने रहे। 1972 में वह मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार के रूप में सामने आए। इसके बाद 1975 में उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया गया। हालांकि जोड़-तोड़ की बदौलत वह 1979 में मुख्यमंत्री बने और बाद में 1980 में पूरे जनता पार्टी विधायक दल का कांग्रेस आई में दल-बदल करा दिया।

उनका राजनीतिक सफर प्रदेश तक ही सीमित नहीं रहा। उन्होंने केंद्र में कांग्रेस नीत सरकार में कई पदों पर योगदान दिया। 
2007 में उन्होंने आधिकारिक रूप से कांग्रेस से अलग होने व नई पार्टी बनाने की घोषणा की तथा इसका नाम हरियाणा जनहित कांग्रेस रखा। वर्ष 2008 में कांग्रेस ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए भजनलाल को पार्टी से निलंबित कर दिया।   

देवीलाल : 1977, 1978, 1979, 1987 में मुख्यमंत्री रहे तथा उप-मुख्यमंत्री के रूप में 1989 से 1991 तक पद संभाला। 1987 से 1991 में देवीलाल युग में भाजपा-इनैलो ने रिकॉर्ड बनाया और 90 में से 85 सीटें जीतीं। यह रिकॉर्ड आज तक कोई राजनीतिक दल या गठबंधन तोड़ नहीं पाया है। इस दौरान एक रिकॉर्ड और बना, 5 मुख्यमंत्री बने मगर 85 विधायकों वाली सरकार में शासन पूरे 5 साल नहीं चल सका व 4 साल बाद पुन: विधानसभा चुनाव हरियाणा को झेलने पड़े। इस दौरान ओम प्रकाश चौटाला (2.12.1989 से 23.5.1990), बनारसी दास (23.5.1990 से 12.7.1990) ओम प्रकाश चौटाला (12.7.1990 से 17.7.1990), हुकम सिंह (17.7.1990 से 22.3.1991) ओम प्रकाश चौटाला (22.3.1991 से 6.4.1991) तक मुख्यमंत्री रहे। 

Edited By

Naveen Dalal