पांच नगर निगम चुनावों में जीत कामकाज पर मोहर, लोगों में सत्ता विरोधी भाव नहीं: मनोहर लाल

1/8/2019 5:29:18 PM

चंडीगढ़(ब्यूरो): हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को उम्मीद है कि चार साल के कार्यकाल में किए विकास कार्यों के बलबूते भाजपा जींद उप-चुनाव जीत लेगी। हाल में पांच नगर निगम चुनावों में भाजपा की जीत पर कहा कि सरकार के कामकाज पर लोगों की मोहर है। उनका मानना है कि भाजपा सरकार 5वें साल में दाखिल हो चुकी है लेकिन लोगों में सरकार के प्रति किसी तरह का सत्ता विरोधी कोई भाव नहीं है। हरियाणा में भाजपा के अपने बलबूते पर पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने का जिक्र करते हुए उन्होंने दावा किया कि वह लोगों की आकांक्षाओं के मुताबिक काम करने में कामयाब रहे हैं। यह भी दावा किया कि राज्य में आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी लोग भाजपा को विजयी बनाएंगे। राज्य के कई मुद्दों पर पंजाब केसरी के बलवंत तक्षक ने उनके साथ बातचीत की। पेश हैं मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ बातचीत के मुख्य अंश...

प्र. कहते हैं कि अफसरशाही बेलगाम है। गत दिन उद्योग मंत्री विपुल गोयल शिकायत निवारण समिति की बैठक में नारनौल गए थे। उनकी टिप्पणी के खिलाफ अफसर ने मानहानि का मुकद्दमा कर दिया। राज्य सरकार ने अफसर को सस्पैंड कर दिया। अफसर हाईकोर्ट चला गया और बहाल हो गया। क्या आप भी मामले को अफसरशाही के बेकाबू होने के हिसाब से देखते हैं?
उत्तर.    नहीं, एक-आध घटना से जनरलाइज नहीं कर सकते। हमारे यहां सारा सिस्टम ठीक है। राज्य में 800 अफसर हैं। यह नहीं कहता कि सब एक जैसे हैं। काम करने वालों को अच्छी जिम्मेदारी दी जाती है। गत दिनों टिम्बर ट्रेल में चिंतन शिविर किया था, जिसमें 70 आई.ए.एस.-आई.पी.एस. अफसरों ने हिस्सा लिया था। तय हुआ था कि परिवार की तरह काम करना है। काम में समन्वय, तालमेल जरूरी है। सिस्टम को संभालकर चलना पड़ता है और संभालते भी हैं। विरोधी स्वर खड़े करने से कुछ नहीं होता। जो शासन आएगा, सब कर्मचारियों-अफसरों को उस हिसाब से चलना पड़ेगा।  

प्र.    सहकारिता राज्य मंत्री मनीष ग्रोवर ने नगर निगम चुनाव के प्रचार के दौरान आरोप लगाया था कि रोहतक को जलवाने में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की भूमिका है। हुड्डा साहब ने 50 करोड़ की मानहानि का नोटिस भेजा है। आप क्या कहेंगे? 
उ.    नोटिस भेजने से क्या होता है? जो तथ्य हैं, वो सामने आएंगे ही। झा कमीशन की भी रिपोर्ट आएगी। जनता-जनार्दन को पता है कि आंदोलन में उनकी भूमिका क्या थी? प्रो. वीरेंद्र की फोन पर बात सभी ने सुनी है। यह बात रेडियो पर चली, टी.वी. पर चली, अखबारों में भी छपी। जो पकड़े गए, उनके संबंध किससे हैं? सारे तार वहीं जुड़ते हैं? जाट तो सारे हरियाणा में हैं। क्या कारण था कि रोहतक, झज्जर, सोनीपत जिलों में ही झगड़े होते हैं? इसके बाद हुड्डा को रोहतक में घुसने नहीं दिया गया था, जहां से वे चुनाव लड़ते और जीतते रहे हैं। आखिर लोगों के विरोध का कोई तो कारण होगा ही।

प्र. क्या आप भी मानते हैं कि रोहतक में जो कुछ हुआ उसमें हुड्डा साहब का हाथ है
उ. सारे काम पॉलीटिकल ऐंगल से हुए हैं। हमें सोचना चाहिए कि ऐसा क्यों हुआ? कहां से शुरू हुआ? किसने शुरू करवाया? इसके पीछे बड़ी ताकतें हैं। जब तक फाइंडिंग नहीं आती है, टिप्पणी उचित नहीं है।

प्र. भाजपा के कु छ विधायकों, खासकर दक्षिण हरियाणा से चुनी विधायक विमला चौधरी ने उपेक्षा के आरोप लगाए हैं। उनके साथ जन स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. बनवारी लाल व विधायक ओमप्रकाश भी थे। हकीकत क्या है?
उ. सभी 90 क्षेत्रों में समान विकास किया है। विमला चौधरी के पटौदी क्षेत्र में भी काम में कोई कसर नहीं छोड़ी। पटौदी में एक कार्यकत्र्ता ने कुछ लोग इकट्ठे कर चाय पर आमंत्रित किया। इस बारे में विमला चौधरी को जानकारी दी और बुलाया भी। उन्होंने हां की पर आई नहीं। कायदे से ऐतराज मुझे होना चाहिए लेकिन फिर भी कोई बात नहीं है। स्थानीय स्तर के कार्यकत्र्ताओं की बात है जिनकी विधायक से नहीं बनती है। विमला ने अपनी बात कह दी, मामला खत्म हो गया। कोई समस्या नहीं आएगी। मैं संभाल लूंगा।  

प्र. दक्षिण हरियाणा से ही रह-रहकर विरोध के स्वर उठते हैं। पहले भाजपा विधायक उमेश अग्रवाल और रणधीर सिंह कापड़ीवास ने भी ऐसे ही आरोप लगाए थे?
उ. कई बार बात कहने का ढंग होता है। मन में बात आई है तो छिपाने की क्या जरूरत? आखिर लोकतंत्र है। घर में बैठ बात की जाए तो अच्छा है। सार्वजनिक तौर पर कहना ठीक नहीं। मामले को पहले भी संभाल लिया था, आगे भी संभल जाएगा, कोई कठिनाई नहीं है। 
प्र. क्या आपको इन विधायकों की नाराजगी के पीछे केंद्रीय उर्वरक राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की कोई भूमिका नजर आती है? 
उ. नहीं, ऐसा कुछ नहीं है। वे अच्छे सांसद और केंद्रीय मंत्री हैं। अपने इलाके में कार्यकत्र्ताओं के साथ जो तालमेल है, वह अच्छा है। वे भाजपा में आए हैं। भाजपा की अपनी संस्कृति है। पुराने लोग उसे ठीक से जानते हैं। उनके साथ जब बैठेंगे तो विचार-विमर्श कर सब ठीक कर लेंगे, कोई दिक्कत नहीं आएगी।  

प्र. कहा जा रहा है कि राव इंद्रजीत की तुलना में लोक निर्माण मंत्री राव नरबीर को ज्यादा तरजीह देते हैं। क्या यह भी एक कारण है, आप से उनकी नाराजगी का?
उ. नहीं, उनकी आपस में राजनीति की कोई बात हो सकती है। मेरे लिए दोनों बराबर हैं। किसी से दूरी या नजदीकी जैसी कोई बात नहीं है। दोनों अपने क्षेत्र के नेता हैं। हां, यह जरूर है कि मंत्री होने के नाते चंडीगढ़ में, मंत्रिमंडल की बैठक में राव नरबीर से मिलना-जुलना ज्यादा होता है। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत से मिलना कम होता है।  गुरुग्राम में जब भी कोई कार्यक्रम होता है, मैं दोनों से ही मिलता हूं।  

प्र. केंद्रीय इस्पात मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के आई.ए.एस. अफसर बेटे बृजेन्द्र सिंह राजनीति में किस्मत आजमाने के इच्छुक हैं। क्या जींद उप चुनाव में भाजपा उन्हें उम्मीदवार बना सकती है?
उ. अभी हमारे पास ऐसा कोई  प्रस्ताव नहीं आया है। भाजपा एक डैमोक्रेटिक पार्टी है। ऐसी कोई बात होगी तो विचार किया जाएगा। पार्टी की चुनाव समिति एक-एक नाम पर विचार-विमर्श के बाद उम्मीदवार का नाम फाइनल करेगी और उसे चुनाव लड़वाएगी। मैं जींद उप चुनाव में भाजपा की जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त हूं।

प्र. दिल्ली में आम आदमी पार्टी के किसी विधायक की डिग्री फर्जी मिलती है तो पुलिस फौरन गिरफ्तार कर लेती है लेकिन हरियाणा के मंत्री राव नरबीर की डिग्री फर्जी होने की खबरें छपी हैं। आर.टी.आई. एक्टिविस्ट हरेंद्र ढींगरा ने भी आरोप लगाए हैं। आपकी सरकार मंत्री के खिलाफ क्यों कोई कार्रवाई नहीं कर रही है?  
उ. उनको आगे कहीं और चले जाना चाहिए, अगर सरकार पर भरोसा नहीं है तो। हमें कोई आपत्ति नहीं होगी। कभी वे कहते हैं कि डिग्री फर्जी है, कभी कहते हैं कि दो हैं, कभी कहते हैं नाम ठीक नहीं है। यह विषय मंत्री और आर.टी.आई. एक्टिविस्ट के बीच का है। मेरा कोई लेना-देना नहीं है।


प्र. इंडियन नैशनल लोकदल दो फाड़ हो गया है। विपक्ष के नेता अभय चौटाला और सांसद दुष्यंत में किसका राजनीतिक भविष्य आपको ज्यादा उज्जवल नजर आता है?
उ. मैं भविष्य वक्ता नहीं हूं लेकिन अनुमान जरूर लगा सकता हूं। अभी तक तो लगता था कि विपक्ष की भूमिका निभाने के मामले में इनैलो भी कांग्रेस के बराबर खड़ा है लेकिन विभाजन से उसकी स्थिति बदतर हो गई है। वह बहुत पीछे चला गया है। हां, नई पार्टी के प्रति उस समय उत्साह होता है कि बहुत बड़ा सिस्टम बन जाएगा लेकिन कभी-कभी गुब्बारा फटता भी है। आपको ध्यान होगा कि कुलदीप बिश्नोई भी मुख्यमंत्री बनने की इच्छा लेकर बाहर निकले थे और बहुत बड़ी रैली की थी लेकिन बाद में क्या हुआ? भाजपा के साथ समझौते के तहत लोकसभा की दो सीटें लड़ीं और दोनों पर ही हार गए। विधानसभा चुनाव में उनके छह विधायक आए और कांग्रेस में चले गए।  फिर वे खुद भी कांग्रेस में शामिल हो गए। अब उनका कहीं कोई स्थान नहीं है। इसी तरह मुझे लगता है कि अब जो गुब्बारा बना है, वह फूटेगा और दुष्यंत को भी नुक्सान होगा। मैं इनमें से किसी का भी भविष्य उज्जवल नहीं देखता हूं।


प्र. जींद में उप चुनाव है। देखा जाए तो भाजपा जींद में कभी जीत नहीं पाई है। किस आधार पर उप चुनाव में जीतने की सोच रहे हैं?
उ. भाजपा के प्रति पहली बार जनता का विश्वास बना है। पहले कभी भाजपा की प्रदेश में अपनी सरकार नहीं बनी थी। मैं पहली बार विधायक बना और पहली बार ही मुख्यमंत्री भी। लोगों को लगता था कि हम अच्छा करेंगे और किया भी। यही वजह है कि पांचों नगर निगमों में जीत दिलवा कर नीतियों पर मोहर लगाई। यही अच्छाई जींद में भी दिख रही है। जींद में हर प्रकार की अनुकूलता है, इसलिए भाजपा इस उप चुनाव में निश्चित रूप से जीत हासिल करेगी।

प्र. कांग्रेस ने किसानों की कर्ज माफी के मुद्दे पर तीन राज्यों में जीत हासिल की। क्या आप पर भी किसानों की कर्ज माफी का कोई दबाव है? 
उ.देखिए, हमारे मन में किसानों की आय दोगुना करने की बात है। मुआवजे की दर बढ़ाकर 12 हजार रुपए प्रति एकड़ की है। भावान्तर भरपाई योजना शुरू की है। किसानों का जोखिम कम करने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना तो है ही। बाजरे की सरकारी खरीद की। गन्ने का रेट 10 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाया है। फसल विविधीकरण की तरफ ले जा रहे हैं और पैरी अर्बन फाॄमग शुरू की है। खेती के मामले में हरियाणा देश में पहले स्थान पर है। हम पर कर्ज माफी का कोई दबाव नहीं है। कर्ज माफी कई बार हो चुकी है, यह स्थायी समाधान नहीं है। अभी इस बारे में कोई निर्णय नहीं लिया है। अभी कह नहीं सकते कि भविष्य में इस बारे में क्या निर्णय लेंगे। 

प्र. प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जब भी हरियाणा आए, हमेशा आपकी पीठ थपथपा कर गए। यह भी कह दिया कि अगले चुनावों में आप ही भाजपा का चेहरा होंगे। आप क्या चुनौतियां देखते हैं?
उ. चुनौतियां तो कई तरह की हैं। सबसे बड़ी रोजगार देने की है। हर साल दो लाख लोग रोजगार के लिए लाइन में लग जाते हैं, जबकि सरकारी नौकरी तो दस-बीस हजार को ही मिल सकती है। निजी उद्योग बढ़ाने के प्रयत्न किए हैं। 22 हजार नए उद्योग लगाए हैं, जिनमें डेढ़ लाख लोगों को रोजगार मिला है। इस दौरान 32 हजार लोगों को सरकारी महकमों में भी नियुक्तियां दी हैं। हरियाणा लोक सेवा आयोग के जरिए भी अढ़ाई हजार युवाओं को नौकरी मिली है। 35 हजार नौकरियां अभी पाइप लाइन में हैं। नौकरियों में भ्रष्टाचार को खत्म किया है। पलवल में विश्वकर्मा स्किल डिवैल्पमैंट यूनिवर्सिटी स्थापित की, जिसमें 800 कोर्स शुरू किए। इसके अलावा किसान की आय को बढ़ाकर एक लाख रुपए प्रति एकड़ करने की चुनौती भी हमारे सामने है।

प्र. पांच नगर निगम चुनावों में विरोधी दलों को भारी शिकस्त दी। राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा की हार के बाद हरियाणा में आपने कैसे चमत्कार कर दिखाया?
उ. देखिए, हर राज्य के अलग मुद्दे होते हैं। पांचों नगर निगम चुनावों में भाजपा की जीत का यही मतलब है कि हरियाणा की जनता में हमारी सरकार के प्रति कोई नाराजगी नहीं है। परिणामों से साफ है कि जनता ने हमारे प्रति पूरा सद्भाव दिखाया है। हम अच्छा काम कर रहे हैं और आगामी लोकसभा व विधानसभा चुनाव में भी लाभ मिलेगा। जहां तक तीन राज्यों में हार की बात है तो यही कहूंगा कि छत्तीसगढ़ में भाजपा जरूर हारी है लेकिन मध्यप्रदेश में 15 साल सत्ता में रहने के बाद भी भाजपा को कांग्रेस से ज्यादा वोट मिला है। राजस्थान में भाजपा का वोट आधा फीसदी ही कम हुआ है।

प्र. हरियाणा में पहली बार मेयर के सीधे चुनाव हुए। निगम चुनाव से पहले 3 राज्यों के परिणाम जब पार्टी के खिलाफ चले गए तो वर्कर आशंकित थे कि कहीं हरियाणा पर असर न पड़ जाए। क्या आपको भी ऐसी आशंका थी?
उ. चुनाव परिणाम विपरीत आएंगे, ऐसी आशंका नहीं थी लेकिन कई लोगों ने टोका-टोकी जरूर की थी। आखिर तक आश्वस्त था कि जनता के हित में काम किए हैं और हमें फल मिलेगा। मेयर के सीधे चुनाव कराना ठीक है, जनता ने भी समझा है। जनता ने हक में फैसला देकर मोहर लगा दी है कि मेयर के लिए सीधे चुनाव अच्छा कदम था। 

प्र. कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट डाली थी कि आप सिर्फ पंजाबी जाति के मुख्यमंत्री हैं, बाकी से कोई लेना-देना नहीं है?
उ. गलत खबर को उठा वायरल किया। ऐसी खबरों से समाज और राजनीति को नुक्सान होता है। जो जातिगत दृष्टि से लोगों को बांट स्वार्थ सिद्ध करते रहे हैं, उन्हें तकलीफ हो रही है कि भाजपा सरकार जाति से ऊपर उठकर कैसे काम कर रही है। मैंने तो ‘एक हरियाणा-एक हरियाणवी’ का नारा दिया था। हरियाणा का गौरव बढ़ाना है और विकास को गति देनी है तो सभी को हरियाणवी बन कर बढऩा पड़ेगा। वर्ष 1966 से पहले तो हम सभी पंजाबी ही थे। हरियाणा जब पंजाब से अलग हो गया तो हरियाणवी हो गए।  

प्र. सोशल मीडिया पर कोई जब ऐसी पोस्ट डालता है, क्या आपके नारे ‘एक हरियाणा-एक हरियाणवी’ की सार्थकता धूमिल नहीं होती?     
उ. मैंने तो कहा है कि ऐसा नहीं करना चाहिए। यह उचित नहीं है। इससे समाज में तनाव बढ़ता है। दूरियां बढ़ती हैं। किसी को आलोचना करनी है तो खुले मंच पर करनी चाहिए। सोशल मीडिया पर ऐसी चीजें वायरल करने से, जिनमें सत्यता नहीं है, भ्रम फैलता है।   

प्र. आरोप है कि निगम चुनावों से पहले सोशल मीडिया पर जब पोस्ट डली  तो कोई कार्रवाई नहीं की लेकिन जब आपके खिलाफ पंजाबी मुख्यमंत्री होने की पोस्ट वायरल हुई तो रातों-रात पुलिस ने इनसो और ‘आप’  के कार्यकत्र्ताओं को उठवा लिया?   
उ. हमारा कोई रोल नहीं है। पुलिस ने पोस्ट का विश्लेषण किया तो माना कि समाज में गलत संदेश जाएगा। सामान्य आदमी करे तो अलग बात, लेकिन राजनीतिक दलों के जिम्मेदार व्यक्ति करें तो मकसद होता है। मकसद पूरा नहीं हो, इसलिए पुलिस ने वह कार्रवाई की, जो करनी चाहिए थी।

Deepak Paul