रोजी-रोटी के लिए पहुंचे थे डेरे में और बन गए प्रेमी

8/30/2017 8:47:50 AM

सिरसा (नवदीप सेतिया):पंजाब, हरियाणा व राजस्थान ही नहीं, बल्कि रोजगार के लिए यू.पी., दिल्ली और बिहार के लोग भी प्रेमी बन गए थे। ये लोग डेरे की फैक्टरियों, खेतों, सत्संग हाल और चिनाई से लेकर मजदूरी के दूसरे कामों में लगे थे। किसी को 7 हजार रुपए प्रति माह तो किसी को 150 से 300 रुपए प्रतिदिन मजदूरी दी जाती थी। अब ये तबका अपने घरों की ओर जाने लगा है। गत ऐसे सैंकड़ों मजदूर डेरा के विभिन्न हिस्सों से बाहर निकले। इस दौरान डेरे में ही डेरा डाले हुए पुलिस कर्मचारियों ने गहनता से जांच करने के बाद इन्हें ऑटो से बाजेकां नाके तक पहुंचाया। पूरी जांच की वीडियोग्राफी भी करवाई गई। 

दरअसल, डेरा सच्चा सौदा में बहुत से ऐसे लोग हैं जो काम के लालच में पिछले काफी समय से डेरा में आए और यहीं रहने लगे। उत्तरप्रदेश के अम्बेदकर नगर के सुनील ने कहा कि वह करीब 8 माह पहले डेरे में आया था। वह यहां चिनाई का काम करता था। उसके साथ करीब 20 अन्य भी काम करते थे। अब यहां माहौल ठीक नहीं है, इसलिए लौट रहे हैं। 20 नम्बर मोटर पर खेतों में काम करने वाले बिहार के महेश ने कहा कि वहां अब भी कुछ लोग हैं, पर डरे हैं। समस्तीपुर के रामवीर ने बताया कि वह 18 अगस्त 2017 को डेरे में आया था। उसके किसी साथी ने ही डेरे में उसे रोजगार दिलाने के नाम पर बुलाया था। डेरे में पहुंचा तो यहां हजारों की भीड़ थी। काम नहीं मिला। 10 रोज बड़ी मुश्किल से काटे, खासकर पिछले 6 दिन तो उसकी सांसें अटकी रहीं। अब वह घर लौट रहा है। डेरे से पिछले कुछ दिनों में बिहार, दिल्ली और यू.पी. के हजारों की संख्या में लोग अब तक डेरे से बाहर आ चुके हैं। अधिकतर डेरे में ये मजदूरी करते थे और यहीं रहने का प्रबंध था। रोजगार के लालच में हजारों लोग किसी न किसी तरह से डेरे में प्रेमी बन गए।

लॉकेट को कर रहे गायब
खास बात यह है कि डेरे से निकलकर आने वाले अधिकतर लोगों के गर्दन में लॉकेट नहीं हैं। ये लॉकेट बैग में छिपाए हुए थे तो कुछेक ने बताया कि उन्होंने लॉकेट डर के मारे रास्ते में फैंक दिए। गौरतलब है कि डेरा की ओर से नामदान लेने व जाम-ए-इन्सां पीने वाले प्रेमियों को एक विशेष प्रकार का लॉकेट दिया जाता है। गले में डालने वाला यह रोमन के 1 आकार का बना है।