कांग्रेस और भाजपा के अंदरूनी कल्चर पर बृजेंद्र सिंह ने किया खुलासा, अपनी पार्टी को भी दे डाली नसीहत

punjabkesari.in Monday, Jul 01, 2024 - 09:23 PM (IST)

जींद(प्रदीप श्योकंद): पूर्व सांसद एवं कांग्रेस नेता बृजेंद्र सिंह अपने जनसंपर्क अभियान के तहत हलके के लोधर, मांडी गांव पहुंचे। यहां पहुंचने पर ग्रामीणों ने उनका जोरदार स्वागत किया। इस दौरान पूर्व सांसद  ने ग्रामीणों से विस्तार में कई मुद्दों को लेकर चर्चा की। वहीं जब वह पत्रकारों से रूबरू हुए तो भाजपा औ कांग्रेस के कल्चर पर भी खुलकर बोले।  

हालही में भाजपा छोड़ कर कांग्रेस में आए पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह ने भाजपा, कांग्रेस के कल्चर में फर्क बताते हुए कहा कि भाजपा और कांग्रेस के कल्चर में बहुत फर्क है। सबसे बड़ा फर्क ये है कि बीजेपी में बोलने की अभिव्यक्ति नहीं है। आप कहने को पार्टी के अंदर बात कर सकते हैं, लेकिन वहां भी आम तौर पर जब कोई मीटिंग होती है तो उसमें पहले से ही स्क्रिप्ट तय होती है। सब कुछ रटा रटाया होता है।  भाजपा के अंदर फैसले भी ऐसे लगते हैं कि पहले से ले रखें हैं। औपचारिकता मात्र मीटिंग में चर्चा होती है।

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वहीं कांग्रेस के कल्चर को लेकर कहा कि यहां का कल्चर अलग है। कांग्रेस में जो भीतरी लोकतंत्र है वो बहुत है। आपकी जो भी बात है कोई भी बात हो उसको आप खुलकर बोल सकते हैं, लेकिन एक चीज जरूर कहूंगा कांग्रेस को अपने संगठन का विस्तार नहीं उसको बनाने के ऊपर प्रयास करना चाहिए। कांग्रेस का विस्तार तो बहुत बड़ा है, लेकिन अभी क्या है संगठन के नाम पर जो लोग नेताओं के साथ जुडे़ हैं चाहे वो विधानसभा स्तर पर हो लोकसभा स्तर पर हो राज्यस्तर पर हो उस तरह से संगठन चल रहा है।

जबकि संगठन गांव, ब्लॉक, हलकास्तर, जिलास्तर पर करें तो उसका बहुत प्रभाव रहता है। विधानसभा का जो चुनाव है उसमें उसकी अहमियत और ज्यादा बढ़ जाती है। क्योंकि विधानसभा चुनाव में मुकाबले लोकसभा की अपेक्षा कड़े होते हैं। लोकसभा का चुनाव पार्टी एवं हवा के हिसाब से चलता है। वो ठीक था इस बार लोकसभा में लोगों ने मन बना रख था भाजपा को सबक सिखाने का वो उन्होंने सिखाया, लेकिन पोलिंग वाले दिन संगठन की कमी जरूर महसूस हुई।

वहीं बारिश के दौरान सड़क बनाने की विडियो वायरल होने वाले सवाल पर पूर्व सांसद एवं कांग्रेस नेता बृजेंद्र सिंह ने कहा कि वैसे तो मैंने ऐसी कोई विडियो देखी नहीं है, लेकिन ये जरूर है पिछले दो, तीन दिन में जो बारिश आई उसमें देश के जो बड़े महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट थे, महत्वाकांक्षी इसलिए कह रहा हूं कि देश की छवि उनसे जुड़ी होती है। हमारे जो एयरपोर्ट हैं उनमें जिस प्रकार से बारिश आने से सारा इंफ्राट्रक्चर चरमराया कुछ लोगों की जान भी गई। उनमें से कुछ चीजें ऐसी थी शायद जिनमें जल्दबाजी की हुई थी। सिर्फ ये की चुनाव से पहले उनको चालू कर दिया जाए। इस प्रकार की चीजें अगर हैं तो नहीं होनी चाहिए।  

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Content Editor

Saurabh Pal

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