अतीत के झरोखे से: देवी लाल ने दोनों बेटों को चुनाव न लडऩे का सुनाया था फरमान

10/15/2019 11:15:59 AM

डेस्क (संजय अरोड़ा): हरियाणा की सियासत में 3 राजनीतिक लाल प्रसिद्ध हुए हैं, जिनमें देवी लाल, बंसी लाल व भजन लाल शामिल हैं। इन तीनों ही लालों के सियासी घरानों के बारे में अनेक किस्से एवं तथ्य प्रसिद्ध हैं। ऐसा ही एक दौर था जब देवी लाल के बेटों ओम प्रकाश चौटाला एवं रणजीत सिंह में सियासी वर्चस्व को लेकर जंग जारी थी। अपने बेटों के बीच सियासी वर्चस्व की जंग पर विराम लगाने के लिए देवी लाल ने अपने दोनों बेटों के विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारी के नामांकन ही वापस करवा दिए थे और उन्हें चुनावी मैदान से दूर रहने को कह दिया था।  उनके इस फैसले के बाद जहां उनके दोनों बेटे भौचक्के रह गए थे वहीं राजनीतिक गलियारों में भी देवी लाल के इस साहसिक फैसले की सराहना हुई थी। 

गौरतलब है कि 1987 में प्रचंड बहुमत के साथ देवी लाल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 1989 में उप-प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपने बड़े बेटे ओम प्रकाश चौटाला को उत्तराधिकारी घोषित करते हुए प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया। 1987 में देवी लाल के मुख्यमंत्रित्व काल में उनके छोटे बेटे रणजीत सिंह कृषि मंत्री थे और सरकार में उनकी ही चलती थी। ऐसे में जब ओम प्रकाश चौटाला को मुख्यमंत्री बनाया गया तो ओम प्रकाश व रणजीत सिंह दोनों में सियासी विरासत को लेकर जंग छिड़ गई। 

1990 में महम कांड के बाद तो दोनों भाइयों में यह जंग और तेज हो गई। इसी बीच 1991 में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो गया। तब ओमप्रकाश चौटाला दड़बा कलां से जबकि रणजीत सिंह ने रोड़ी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लडऩे के लिए नामांकन पत्र दाखिल कर दिया। इस दौरान चौ. देवी लाल को किसी ने सलाह दी कि दोनों बेटों को चुनाव मत लड़वाओ अन्यथा वर्चस्व की जंग और तेज हो जाएगी। यह बात देवी लाल को समझ में आ गई और उन्होंने दोनों बेटों को आदेश दिया कि वह अपने-अपने नामांकन पत्र वापस ले लें और कोई चुनाव नहीं लड़ेगा। तब दोनों ही बेटों ने पिता का आदेश मानते हुए नामांकन पत्र वापस ले लिए। गौरतलब है कि इसके बाद रणजीत सिंह ने अपनी अलग सियासी राह पकड़ ली थी। नवम्बर, 1993 में रणजीत सिंह ने लोकदल से अलग होकर कांग्रेस का दामन थाम लिया था।

जब दोनों भाई लड़े आमने-सामने
1991 के बाद वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में भी देवी लाल के दोनों बेटों ओमप्रकाश चौटाला व रणजीत सिंह के बीच सियासी जंग तेज दिखी। वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में ओम प्रकाश चौटाला इनैलो की टिकट पर रोड़ी के चुनावी समर में उतरे। उनके सामने कांग्रेस से उम्मीदवार थे उनके अपने छोटे भाई रणजीत सिंह। देवी लाल  परिवार के सदस्य पहली बार चुनावी रण में आमने-सामने थे।  कुल 97,256 वोटों में से ओमप्रकाश चौटाला ने 57,397 (60.10 प्रतिशत) वोट हासिल किए जबकि रणजीत सिंह को 34,791 (36.43 प्रतिशत) वोट ही मिले। इस तरह से ओम प्रकाश चौटाला ने 22,606 (23.67 प्रतिशत) वोटों से जीत हासिल की।  इसके बाद ओम प्रकाश चौटाला के नेतृत्व में प्रदेश में इंडियन नैशनल लोकदल की सरकार बनी।                                       

Isha