गायत्री कौशल जगा रही झुग्गी-झोंपड़ी में रहने वाले जरूरतमंद बच्चों में शिक्षा की लौ

11/15/2019 12:24:56 PM

कुरुक्षेत्र (धमीजा) : झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले एवं जरूरतमंद बच्चों में शिक्षा की लौह जगा रही कुरुक्षेत्र की बेटी गायत्री कौशल समाजसेवा के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रही है। उसका कहना है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने लिए तो जीता है लेकिन दूसरों की सहायता करने के लिए कम ही लोग आगे आते हैं। समाज में ऐसे हजारों जरूरतमंद बच्चे हैं जो धन के अभाव में शिक्षा-दीक्षा नहीं ले पाते। झुग्गी-झोपड़ी एवं बस्तियों में रहने वाले बच्चे स्कूल नहीं जा पाते और साधन न होने के कारण अभिभावक उन्हें पढ़ा नहीं पाते। जिस कारण वह अपना भविष्य नहीं बना पाते। इस सपने को साकार करने के लिए एक संस्था संकल्पित फाऊंडेशन बनाई।

गायत्री का कहना है कि सही वक्त पर बच्चों को उन्हें मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाकर उनका जीवन बनाने में टीम के सदस्य हर तरह की सहायता करते हैं, ताकि वह अशिक्षा के अंधेरे में न खो जाएं। इसके अलावा विशेष कक्षाएं लगाई गईं। कई बच्चों को प्रोफैशनल कोॢसस के लिए प्रशिक्षण भी दिया गया। इसके अलावा अनेक विद्यार्थियों की पढ़ाई का पूरा खर्च संस्था वाहन कर रही है। अब तक 200 से अधिक बच्चों को शिक्षा की राह पर आगे बढ़ाया गया है। समय-समय पर धर्मनगरी के पर्यटन स्थलों की सैर करवाई जाती हे। पंजाब केसरी ने जाना कि आखिर गायत्री कौशल ने कैसे क्यों पकड़ी।

इसके अलावा बच्चों को चरित्र निर्माण व अन्य विषयों पर जागरूक किया जाता है ताकि बच्चे गलत संगत न पड़ सके। समय-समय पर बच्चों को होटलों में ले जाकर खाना भी खिलाया जाता है। करीब 8 वर्ष पहले संकल्पित फाऊंडेशन का गठन किया गया था और 2 वर्ष जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाने का काम हाथ में लिया गया।  

गायत्री कौशल का कहना है कि कुछ बच्चों के अभिभावक मजदूरी करते हैं। झुग्गी-झोंपड़ी एवं बस्तियों में रहने वाले बच्चे हर काम में तेज होने के बाद भी अशिक्षा के बाद पिछड़ जाते हैं। उन्हें देखकर उसमें जुनून जागा। उसने ठान लिया कि वह उन्हें शिक्षित करके ही रहेंगी। शुरूआत में 8 बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। कुछ ही दिनों में उनके व्यवहार में सुधार आया और भाषा में भी बदलाव आया। इस काम में उन्हें परिवार के सदस्यों के अलावा टीम मैम्बर्स का भी सहयोग मिल रहा है। वह भी मदद के लिए तैयार हो गए। परिचितों ने भी सहायता की। कई बच्चों की स्कूलों में फीसें भी कम करवाई गई। 

Isha