निराशा भरे दिशाविहीन बजट को देख प्रदेश के भविष्य को लेकर काफी चिंतित हूं: गीता भुक्कल

3/21/2021 4:23:17 PM

चंडीगढ़(धरणी): अन्नदाता आज अपने हकों की लड़ाई के लिए बहन- बेटियों के साथ आंदोलन के लिए बैठने के लिए मजबूर है। उम्मीद थी कि प्रदेश के इस बजट में किसानों को कम-से-कम इस एमएसपी और मंडियों की गारंटी की बात रहेगी। हमारे समय में जो किसान मॉडर्न स्कूल खोले थे। उन पर ध्यान दिया जाएगा। लेकिन यह बजट दिशा विहीन और उम्मीद विहीन बजट साबित हुआ। किसान मित्र की बात करने वाली सरकार किसानों से दुश्मनों जैसा बर्ताव कर रही है। यह बात पंजाब केसरी से बातचीत के दौरान प्रदेश की पूर्व शिक्षा मंत्री एवं मौजूदा विधायक गीता भुक्कल ने कही।

भुक्कल ने कहा कि आज कोरोना के चलते बहुत सी इंडस्ट्री, उद्योग धंधे बंद हो चुके हैं। बेरोजगार नौजवान नौकरी के लिए जगह-जगह धक्के खा रहे हैं। रोजगार मिल नहीं रहा। आर्थिक मंदी के इस दौर में बेरोजगारों को बजट से बहुत उम्मीदें थी। आज प्रदेश सरकार सक्षम के तहत रोजगार देने की बात कहकर मजाक उड़ा रही है। पढ़े-लिखे युवाओं को एक मजदूर से भी कम दिहाड़ी दी जा रही है। प्रदेश को उम्मीद थी कि कुछ ऐसे फैसले लिए जाएंगे। जिससे नौजवानों को फायदा होगा। बेरोजगारी भत्ते में बढ़ोत्तरी की जाएगी, लेकिन इस बात का जिक्र तक नहीं किया गया। यह निराशाजनक बजट साबित हुआ। 

भुक्कल ने कहा कि इस सरकार ने सोशल सेक्टर के लिए भी कुछ नहीं किया। राजीव गांधी एक्सीडेंटल स्कीम इन्होंने बंद कर दी। आज लॉ एंड आर्डर में प्रदेश की हालत बहुत बदतर है। पुलिस बजट कम करके इन्होंने प्रदेश के लोगों को और मुश्किलों में डाल दिया। महंगाई की मार प्रदेश की बहन-बेटियां झेल रही हैं। पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों से प्रदेश के लोग त्रस्त हैं। व्यापारी वर्ग की भी मुश्किलें बढ़ चुकी हैं। वैट कम करने की घोषणा होनी चाहिए थी। लेकिन यह कुर्सियों पर बैठे लोग प्रदेश की त्राहिमाम-त्राहिमाम करती जनता को देखकर हंसते हुए से लग रहे हैं। प्रदेश का यह बजट आम जनमानस के लिए दुखदाई बजट साबित हुआ है। 

भुक्कल ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री कहते हैं कि डॉक्टरों की भारी कमी है लेकिन क्या उन्हें नहीं पता कि बिना मेडिकल कॉलेज खोले सीटें बढ़ाएं यह कमी पूरी नहीं होगी। यह मेडिकल की सीटें तो क्या बढ़ाएंगे नर्सिंग कॉलेज तक नहीं खोले जा रहे। इन्होंने हर जिलेवार मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की। लेकिन एक भी नहीं खोला गया। इस बजट में 100 बेड वाले अस्पताल को 200 बेड का करने के बात इन्होंने कही है, लेकिन अगर डॉक्टरों की पहले ही भारी कमी है तो फिर इससे भी फायदा क्या होगा।

कोरोना की वापसी के चलते कई प्रदेशों में लॉकडाउन और कफ्र्यू जैसी स्थिति बन चुकी है। इसके चलते सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं पर ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए था, लेकिन सरकार के इस बजट में इस प्रकार का कोई फैसला देखने को नहीं मिला। सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही। कई स्कूलों में कोरोना के कई मामले सामने आए। लेकिन उसके बावजूद स्कूल खोलने की जिद पर सरकार अड़ी नजर आ रही है। इस सरकार ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले गरीब बच्चों को स्मार्ट फोन, टेबलेट देने का वायदा किया, लेकिन दिए नहीं। जिसके चलते ऑनलाइन शिक्षा में प्रदेश के गरीब बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित रह गए। शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है और सरकार का फंडामेंटल राइट है। उम्मीद थी कि इस प्रकार की घोषणा भी इस बजट में होगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

 

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Content Writer

Shivam