गीता महोत्सव: गीता व्यक्ति को जीवन जीने की कला सिखाती है

12/14/2021 9:52:37 PM

गुरुग्राम (मोहित): साइबर सिटी की सुशांत यूनिवर्सटी में गीता महोत्सव का आयोजन किया गया। इस अवसर पर यूनिवर्सटी के रजिस्ट्रार ने उपस्थित छात्रों को गीता का महत्व बताया। 

गीता अधर्म पर धर्म की विजय का संदेश देती है। भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का संदेश देते हुए उनका जीवन की वास्तविकता से परिचय करवाया। गीता व्यक्ति को जीवन जीने की कला सिखाती है। कर्म पर व्यक्ति का अधिकार है, जीवन में जो क्रिया हम करते हैं, उसका फल हमें निश्चित तौर पर ही भोगना पड़ता है। जब भीष्म पितामह बाणों की शय्या पर लेटे हुए थे, उनके शरीर में बाणों वाले स्थान से खून बह रहा था और उस वक्त जब भगवान श्रीकृष्ण भीष्म पितामह से मिलने आए तब उन्होंने भगवान श्री कृष्ण से पूछा कि आखिर उन्होंने क्या पाप किया था? जिसकी सजा उन्हें मिली। इस पर भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें कहा कि आप स्वयं शक्तियों का प्रयोग करते हुए देखें कि आपने ऐसा क्या कर्म किया था। 

तब भीष्म पितामह ने पाया कि एक बार जब भीष्म पितामह अपनी फौज के साथ जा रहे थे तो रास्ते में उन्हें एक सांप मिला था, जिस पर सैनिकों ने उन से पूछा कि रास्ते में एक सांप है, इसका क्या करना चाहिए। इस पर भीष्म ने उस सांप को लकड़ी से बांधकर झाडिय़ों में फेंकने के निर्देश दिया था, जिससे लहूलुहान होकर वह सांप 6-7 दिन में मर गया। इस पर भीष्म ने कहा कि उन्होंने तो उस सांप की रक्षा के लिए कर्म किया था जिस पर भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि क्रिया तो आप ने की थी और आपकी क्रिया से उस सांप की मृत्यु हुई। भले ही वह क्रिया आप ने जानबूझकर ना की हो। 

गीता हमें कर्म की प्रधानता बताने वाला पवित्र ग्रंथ है, इसलिए हमें अपने जीवन में कर्म को महत्व देना चाहिए। गीता से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। बेशक आज बच्चे आधुनिक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं परंतु उन्हें आधुनिकता के साथ संस्कारी शिक्षा भी लेनी जरूरी है। गीता जैसे ग्रंथ हमारे जीवन में पथ प्रदर्शक का काम करते हैं। आज हमारी देश की सभ्यता व संस्कृति का पूरे विश्व में अनुसरण किया जा रहा है।
 

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Content Writer

Shivam