गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत पहुंचे अंबाला, शहीद की पत्नी को किया सम्मानित

9/28/2022 9:52:34 PM

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने गोवा मुक्ति आंदोलन में शहीद हुए सरदार करनैल सिंह बेनिपाल की वीरता का सम्मान करने के लिए हरियाणा के अंबाला जिले के बड़ौला गांव पहुंचकर उनकी पत्नी चरणजीत कौर से भेंट की और उन्हें 10 लाख रुपये का चेक देकर सम्मानित किया। इस सम्मान की घोषणा सरकार ने आजादी का अमृत महोत्सव और गोवा के मुक्ति के 60 साल मनाते हुए की थी। 

 

गोवा मुक्ति आंदोलन में शहीद हुए सरदार करनैल सिंह बेनिपाल की वीरता का सम्मान करने के लिए गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने हरियाणा के अंबाला जिले के बड़ौला गांव पहुंचकर उनकी पत्नी चरणजीत कौर से भेंट की और उन्हें 10 लाख रुपये का चेक देकर सम्मानित किया। माता चरणजीत कौर को इस साल आजादी के अमृत महोत्सव पर गोवा सरकार ने विशेष रूप से आमंत्रित किया था तबीयत खराब होने की वजह से वे नहीं जा पाईं। उनकी जगह उनके परिजन पहुंचे थे। गोवा के मुख्यमंत्री ने उनके भाई-भाभी से वादा किया था कि वे खुद चरणजीत कौर के दर्शन करने अंबाला पहुंचेंगे। अब गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत आज अंबाला के गांव बड़ौला पहुंचे और यहां माता चरणजीत कौर व उनके परिजनों से मुलाकात की। हरियाणा सरकार ने गोवा के मुख्यमंत्री की अंबाला जिले के बड़ौला गांव की यात्रा के आयोजन के लिए अपना पूरा सहयोग किया। 

 

सरदार करनैल सिंह बेनिपाल भारत को स्वतंत्रता प्राप्त होने के बाद गोवा को पुर्तगाली शासन से मुक्त देखना चाहते थे। इस बीच गोवा की मुक्ति के लिए काम करने वाले पुणे स्थित एक संगठन गोवा विमोचन सहायक समिति ने 15 अगस्त 1955 को गोवा की सीमा पार करके सामूहिक सत्याग्रह का फैसला किया। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से भी मदद मांगी। तदनुसार, सत्याग्रहियों को समूहों में विभाजित किया गया। एक समूह ने पतरादेवी बॉर्डर से गोवा में प्रवेश करने की कोशिश की, जबकि दूसरे ने पोलेम बॉर्डर और कैस्टलरॉक बॉर्डर के माध्यम से दक्षिण गोवा में प्रवेश करने की योजना बनाई। पतरादेवी में अन्य साथियों के साथ सत्याग्रहियों के समूह का नेतृत्व करते हुए मध्य प्रदेश की एक युवा विधवा सहोद्रा देवी राय भारतीय तिरंगा पकड़े हुए थी। जैसे ही उनके समूह ने गोवा में प्रवेश की कोशिश की तो सहोद्रा देवी को रोकने के प्रयास में उन पर गोली चला दी गई। इस मौके पर पंजाब के इसडू गांव के 25 वर्षीय सरदार करनैल सिंह बेनिपाल आगे आए और पुलिस को महिलाओं पर हमला करने के बजाय उन पर गोली चलाने की चुनौती दी। उन्हें भी गोवा की सीमा पर पतरादेवी में गोली मार दी गई थी और वे एक शहीद हो गए। गोवा के इतिहास में इस घटना के बारे में राष्ट्रीय स्तर पर शायद ही कोई जानकारी हो, जिसमें भारत के विभिन्न हिस्सों से कई निहत्थे सत्याग्रहियों को 15 अगस्त 1955 को पुर्तगाली अधिकारियों द्वारा गोली मार दी गई थी। इन निहत्थे सत्याग्रहियों का मानना था कि गोवा भारत का एक अभिन्न अंग है और गोवा की मुक्ति के बिना भारत की स्वतंत्रता अधूरी होगी।

 

(हरियाणा की खबरें टेलीग्राम पर भी, बस यहां क्लिक करें या फिर टेलीग्राम पर Punjab Kesari Haryana सर्च करें।)

Content Writer

Gourav Chouhan