स्वर्ण जयंती समारोह पर खर्चे को लेकर मुख्यमंत्री व वित्तमंत्री के अलग-अलग सुर

11/4/2017 10:41:50 AM

चंडीगढ़ (बंसल): हरियाणा सरकार में कई मामले ऐसे सामने आ चुके है जिसमें मुख्यमंत्री किसी योजना को लेकर कुछ बताते है व मंत्री या फिर अधिकारी कुछ और जानकारी देते हैं तथा इससे ऐसा आभास होता है कि या तो इनमें से किसी को तथ्यों की सही जानकारी नहीं या फिर मामला कुछ और है। पिछले दिनों के.एम.पी. के निर्माण के समय बारे मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर तथा मुख्य सचिव डी.एस. ढेसी ने अलग-अलग समय बताया था तो वही स्वर्ण जयंती समारोह को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा था कि समारोहों का बजट 100 करोड़ रुपए था, लेकिन 40 करोड़ रुपए खर्च हुए है तो वहीं आज वित्त मंत्री कै. अभिमन्यु ने कहा कि समारोहों में करीब 27 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। 

दूसरी ओर विपक्षी दल कह रहे हैं कि सरकार ने स्वर्ण जयंती समरोहों पर 1600 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। वित्त मंत्री कै. अभिमन्यु हरियाणा निवास के सभागार में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। हालांकि कै. अभिमन्यु ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके सांसद पुत्र दीपेंद्र हुड्डा के आरोपों पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे जिसमें दोनों हुड्डा ने स्वर्ण जयंती समारोहों पर 1600 करोड़ रुपए खर्च करने का आरोप लगाया था। पत्रकारों ने जब यह सवाल किया कि मुख्यमंत्री ने 40 करोड़ रुपए खर्च होने का दावा किया था तो वित्त मंत्री ने कहा कि वित्त मंत्रालय के पास अभी तक इतनी ही राशि के बिल पहुंचे है और हो सकता है कि बाकी बिल आने शेष हों।

जाट आरक्षण आंदोलन की हिंसा के लिए हुड्डा जिम्मेदार
कै. अभिमन्यु ने 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन में हुई हिंसा के लिए हुड्डा को जिम्मेदार ठहराया। डेरा प्रकरण प्रकरण बारे पूछने पर उन्होंने कहा पुलिस तथा प्रशासन की भूमिका की सराहना की। वहीं अभिमन्यु ने कहा कि प्लाईवुड और कृषि उपकरणों पर टैक्स करने की मांग उन्होंने 6 अक्तूबर को हुई जी.एस.टी. की बैठक में उठाई थी और इस मामले को 10 नवम्बर को गुवाहाटी में होने वाली बैठक में भी उठाएंगे।

हुड्डा ने बढ़ते कर्जे के तथ्यों को तोड़-मरोड़कर बताया
कै. अभिमन्यु ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा तथा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कर्जें का आंकड़ा तोड़-मरोड़ कर बताया है। उन्होंने कहा कि 10 वर्ष राज कर लिया न तथ्यों का पहले ज्ञान था और न ही आज है। उन्होंने कहा कि 2014-15 में प्रदेश पर 70 हजार 900 करोड़ रुपए का कर्जा था, लेकिन दीपेंद्र यह बात छिपा रहे हैं कि उनकी सरकार के कुप्रबंधन की वजह से बिजली निगमों पर भी 36 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्जा था। यह मोटी ब्याज दर तक लिया गया था। मौजूदा सरकार ने इसमें से 25 हजार 950 करोड़ रुपए का ऋण अपने सिर लिया है। अगर इस राशि को भी जोड़ा जाए तो हुड्डा कार्यकाल में प्रदेश पर 97 हजार करोड़ रुपए का कर्जा था और अब 1 लाख 41 हजार करोड़ रुपए का है।