सरकार के 'सरोकार' में सूत्रधार बन रहे 'सहयोगी', शासन व आमजन के बीच कड़ी का काम कर रहे अधिकारी

8/13/2020 10:17:20 PM

संजय अरोड़ा: वर्ष 2014 में सत्ता परिवर्तन के साथ ही उस वक्त न केवल परम्परागत राजनीति में बदलाव देखने को मिला बल्कि बतौर मुख्यमंत्री कमान संभालने वाले मनोहर लाल खट्टर ने प्रयोगरूपी राजनीति को भी प्रदेश की जमीन पर लागू किया। इन प्रयोगों के साकार होते परिणामों की ही बानगी है कि शासन-प्रशासन के सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए भी मुख्यमंत्री खट्टर ने ही हरियाणा की शायकीय व्यवस्था में नया प्रयोग कर मुख्यमंत्री सुशासन सहयोगियों की नियुक्ति की। 

ये अधिकारी जहां शासन-प्रशासन के बीच की कड़ी के रूप में साबित हुए तो वहीं इनकी जमीनी रिपोर्ट से प्रदेश की जनता भी सीधे रूप से सुविधाओं से जुड़ी। मंगलवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सुशासन सहयोगी अधिकारियों के पांचवें बैच के साथ के साथ एक बैठक की और सभी से सुशासन व्यवस्था को कायम रखने व और बेहतर करने का संकल्प दिलवाया। 

2016 में शुरू हुआ था सुशासन सहयोगी कार्यक्रम
पहली बार मुख्यमंत्री बने मनोहर लाल खट्टर ने एक नया प्रयोग करते हुए जनता व शासन-प्रशासन के बीच की दूरियां कम करने की मंशा से वर्ष 2016 में सुशासन सहयोगी कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर प्रदेश के सभी 22 जिलों में मुख्यमंत्री सुशासन सहयोगियों की नियुक्तियां की। 

इन सहयोगियों का कार्य जहां सरकार की नीतियों को आमजन तक पहुंचाना सुनिश्चित किया गया वहीं इन सहयोगियों को यह भी जिम्मेदारी दी गई कि वे जिला स्तर पर उपायुक्त व प्रशासनिक अधिकारियों से तालमेल स्थापित करके संबंधित जिलों में लोगों के समक्ष आ रही समस्याओं का समाधान करवाने के साथ साथ उन्हें सरकार तक पहुंचाने का कार्य करें। मुख्यमंत्री की इस महत्वकांक्षी योजना का यह भी उद्देश्य रहा कि इससे जनता को इन सहयोगियों के माध्यम से शासन-प्रशासन के और नजदीक आने का मौका मिलेगा और वे सरकार की नीतियों व योजनाओं का पूरी तरह से लाभ उठा पाएंगे। 2016 से शुरू हुई यह योजना अब अपने 5वें वर्ष में प्रवेश कर गई है और इस योजना के तहत वर्ष 2020 के लिए चयनित सुशासन सहयोगी आवंटित जिलों में अपना कार्यभार संभाल चुके हैं। 

मुख्यमंत्री व परियोजना निदेशक को करते हैं रिपोर्ट
प्रदेश के सभी 22 जिलों में तैनात मुख्यमंत्री सुशासन सहयोगी जिला स्तर पर अपनी रिपोर्ट संबंधित जिला उपायुक्त को सौंपते हैं जबकि प्रदेश स्तर पर सुशासन सहयोगियों द्वारा सीधे मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर व सुशासन सहयोगी कार्यक्रम के परियोजना निदेशक डा. राकेश गुप्ता को दी जाती है।

इन सुशासन सहयोगियों की नियुक्ति निर्धारित मापदंडों के अनुसार बकायदा आवेदनों के जरिए एक पारदर्शी प्रक्रिया के तहत की जाती है और इन्हें सरकार की बजाए निजी कंपनियों की ओर से प्रति माह 50 हजार रुपए मानदेय प्रदान किया जाता है। सुशासन सहयोगी सरकार की उपलब्धियों के साथ साथ प्रशासन द्वारा लागू की जा रही नीतियों में आने वाली खामियों पर भी फोकस करते हैं ताकि फील्ड की सही तस्वीर सरकार तक पहुंचाई जा सके। 

हर तीन माह में होगी समीक्षा
2016 में शुरू हुई इस योजना के पांचवें वर्ष में प्रवेश करने पर वर्ष 2020 के लिए चयनित सुशासन सहयोगियों के साथ मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने जहां मंगलवार को एक अहम बैठक करते हुए उनका परिचय हासिल किया तो वहीं उन्हें उनकी जिम्मेदारी से अवगत करवाते हुए कहा कि चूंकि वर्तमान में कोविड संकट चल रहा है और सरकार वर्ष 2020 को सुशासन संकल्प वर्ष के रूप में मना रही है, ऐसे में सुशासन सहयोगियों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। 

सभी सरकारी योजनाओं का लाभ हर पात्र व्यक्ति तक पहुंचे, यह सुशासन का एक अहम लक्ष्य है और सुशासन सहयोगियों को इस लक्ष्य पर पूरा फोकस करना है और महामारी के इस दौर में भी लोगों के स्वास्थ्य को लेकर भी जागरूकता अभियान चलाना है। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि वे हर तीन माह बाद उनसे एक बैठक अवश्य किया करेंगे ताकि किए गए कार्यों की समीक्षा हो सके और आगे का लक्ष्य तय किया जा सके।

22 जिलों में तैनात हैं ये सहयोगी
प्रदेश के सभी 22 जिलों में जिन सुशासन सहयोगियों को नियुक्त किया गया है उनमें आंकक्षा सांगवान यमुनानगर, आशिमा ठक्कर कुरुक्षेत्र, अंबालिका खन्ना पानीपत, अमरुथा दात्ला करनाल, अॢचत वत्स पलवल, आयुश ङ्क्षसघल भिवानी, दीपसुरेश ठक्कर हिसार, धनश्री जाधव नूंह, ज्योति यादव फतेहाबाद, कनिका कोचर गुरुग्राम, कौस्तभ महेंद्रगढ़, मृदुला सूद रेवाड़ी, न्योनिका बासू गुरुग्राम, पंखूड़ी गुप्ता कैथल, प्रागुण अग्रवाल सोनीपत, रुपकंवर ङ्क्षसह दादरी, रुपाला सक्सेना फरीदाबाद, शालेत जोश पंचकूला, सौम्या पंचौली हिसार, सुहिता डुगर जींद, सुकन्या जर्नाधन सिरसा, सुप्रिया सिन्हा झज्जर, टिवंक्ल मल्हान पंचकूला, उत्सव शाह अंबाला व वरुण श्रीधर रोहतक शामिल हैं। प्रदेश के तीन जिलों गुरुग्राम, पंचकूला व हिसार में 2-2 सुशासन सहयोगी नियुक्त किए गए हैं।

इस वर्ष में यह तय किया लक्ष्य
सरकार द्वारा चयनित किए गए इन सुशासन सहयोगियों को सरकार की नीतियों को आमजन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी देने के साथ साथ जिन अन्य नीतियों को धरातली रूप देने का लक्ष्य दिया गया है उनमें अंत्योदया सरल के माध्यम से ई-सेवा का विस्तार, सक्षम शिक्षा, सक्षम कौशल एवं रोजगार योजना, महिला सुरक्षा के साथ साथ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ व कोरोना संक्रमण के दौर में आमजन की सहायता करना शामिल है। इसके अतिरिक्त इन सुशासन सहयोगियों का ई-ऑफिस व शोध पर भी फोकस होगा। 

आमजन को शासन-प्रशासन से सीधा जोडऩा ही मुख्य लक्ष्य: खट्टर
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि वर्ष 2016 में मुख्यमंत्री सुशासन सहयोगी कार्यक्रम इसलिए शुरू किया गया था ताकि जनता को सुशासन प्रदान हो सके। आम जन को शासन-प्रशासन से सीधा जोडऩा इस सरकार का मुख्य लक्ष्य रहा है और सुशासन सहयोगियों ने पिछले 4 वर्षों में इसमें अहम भूमिका अदा की है। इसलिए 5वें वर्ष में सहयोगियों से और अधिक बेहतरी की उम्मीद करते हैं। उन्होंने कहा कि चूंकि सुशासन का रास्ता ई-गवर्नेंस के माध्यम से ही आता है, इसलिए सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे पात्र तक पहुंचाना सहयोगियों का अहम कार्य है।

Edited By

vinod kumar