घोषणा के बाद भी शहीद छोटू राम के नाम पर नहीं किया सरकारी स्कूल का नाम, भारत चीन युद्घ में हुए थे शहीद

8/22/2022 10:21:01 AM

डबवाली (संदीप) : हरियाणा सरकार में 15 अगस्त तक राज्य के सभी जिलों में शहीदों के नाम पर स्कूलों के नाम रखने का निर्णय लिया था लेकिन अफसरों की उदासीनता के चलते डबवाली के गांव लोहगढ़ में सरकारी स्कूल का नाम अभी भी शहीद छोटू राम के नाम पर नहीं रखा जा सका है। सरकार द्वारा शहीदों को दिए जाने वाला वह सम्मान गांव लोहगढ़ के निवासी शहीद छोटू राम को 15 अगस्त बीत जाने के बाद भी नहीं मिल पाया है। आज भी परिवार सरकार की इस घोषणा के तहत गांव लोहगढ़ के स्कूल का नाम शहीद के नाम पर होने का इंतजार कर रहे है। 



बता दें कि इस घोषणा के पीछे सरकार का मकसद है कि शहीदों को सम्मान दिया जाए। इसके अलावा जिन स्कूलों का नामकरण शहीदों के नाम पर होगा वहां पढऩे वाले बच्चों में राष्ट्र भक्ति की भावना जागृत होगी। लेकिन जिला प्रशासन की उदासीनता के चलते सरकार के ये प्रयास सिरे नहीं चढ़ पा रहे हैं।


शहीद की पत्नी प्रशासन से लगा चुकी गुहार


1962 में भारत चीन युद्ध में शहीद हुए छोटू सिंह की पत्नी भूरो देवी ने गांव लोहगढ़ के राजकीय स्कूल का नाम प्रदेश सरकारी की घोषणा के तहत शहीद के नाम पर रखे जाने को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र भी लिखा। जिला शिक्षा अधिकारी को लिखे पत्र में शहीद की पत्नी भूरो देवी ने बताया कि उनके पति 1962 में भारत चीन युद्घ में शहीद में हो गए थे। भारत व हरियाणा सरकार द्वारा उसे पेंशन के अलावा कोई भी सहयोग नहीं मिला है। भूरो देवी ने जिला शिक्षा अधिकारी को लिखे पत्र में हरियाणा सरकार की घोषणा याद दिलाते हुए कहा कि गांव लोहगढ़ में सरकारी स्कूल का नाम शहीद छोटू सिंह के नाम करवाए जाने की मांग की। हालांकि परिवार द्वारा गुहार लगाए जाने के बाद अभी तक इस स्कूल का नाम शहीद छोटू सिंह के नाम पर नहीं रखा गया है। सरकार ने भी प्रशासन को निर्देश दिए थे कि 15 अगस्त तक स्कूलों के नाम शहीदों के नाम पर रखे जाए।


शव नहीं पहुंच पाया था घर


शहीद छोटू सिंह के बड़े बेटे निर्मल सिंह के मुताबिक उनके पिता भारत व चीन युद्घ में लद्दाख में भारत-चीन बार्डर पर तैनात थे। छोटू सिंह यूनिट 4 सिखलाईट इनफैंट्री  में तैनात थे। वे 1956 में भारतीय सेना की सिख रेजिमेंट में भर्ती हुए थे। शहीद छोटू सिंह के बेटे निर्मल सिंह के मुताबिक शहादत के समय उनके पिता की उम्र 26 वर्ष थी। युद्घ में उनके पिता का शव घर नहीं पहुंचा था। सेना के जवान उनका बिस्तर व अन्य सामान लेकर गांव आए थे। शहीद के दो बेटे व दो बेटियां है। शहीद छोटे सिंह के बेटे निर्मल सिंह के मुताबिक उनके पिता ने देश की खातिर प्राण न्यौछावर कर दिए थे। ऐसे में प्रशासन केअधिकारियों को भी गंभीर होकर सरकार की घोषणा को लागू करना चाहिए। निर्मल सिंह के मुताबिक गांव के स्कूल में शहीद छोटू सिंह के नाम से गौरव पट्ट स्थापित किया गया है।

जिला शिक्षा अधिकारी संत कुमार के मुताबित उन्होंने इस स्कूल का नामकरण शहीद के नाम पर करने प्रक्रिया शुरू करने के लिए लोहगढ़ राजकीय स्कूल के प्रिंसीपल को निर्देश दिए हैं। स्कूल का नामकरण शहीद के नाम पर करने का फाइनल निर्णय जिला उपायुक्त का होता है। ग्राम पंचायत को भी इसके लिए प्रस्ताव पारित करना होता है।

Content Writer

Manisha rana