सांग में उत्कृष्ट योगदान के लिए वेदप्रकाश अत्री को सरकार देगी लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड, मिलेगा 1 लाख का इनाम

10/20/2023 9:22:40 PM

चंडीगढ़ (चन्द्र शेखर धरणी) : हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की लोक कलाकारों को पुरस्कृत करने घोषणा के अनुरूप समृद्ध लोक रंगमंच सांग के क्षेत्र में प्राप्त उपलब्धियों एवं उत्कृष्ट योगदान के लिए पंडित लख्मीचन्द की प्रणाली के सांगी वेद प्रकाश अत्री को धनपत सिंह सांगी लाईफटाईम अचीवमेन्ट अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा।

यह जानकारी देते हुए सूचना, लोक संपर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग के महानिदेशक डॉ अमित अग्रवाल ने बताया कि हरियाणा में सांग का बहुत समृद्ध इतिहास रहा है। सांग एक ऐसी लोक विधा है, जिसमें नृत्य, गायन, अभिनय, संवाद एवं उद्बोधन साथ-साथ चलते हुए सामाजिक सरोकारों को उठाते हुए रचनात्मक संदेश देते हैं। यह विधा बहुत ही प्रभावशाली विधा है, क्योंकि यह समाजिक कुरितियों पर सीधा चोट पहुंचाते हुए जनमानस को जोड़ती है।

उन्होंने बताया कि हरियाणवी संस्कृति को सहेजने एवं आगे बढ़ाने में धनपत सिंह सांगी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। जिसके चलते मुख्यमंत्री द्वारा उनके नाम से लाईफटाईम अचीवमेन्ट अवार्ड शुरू करने की घोषणा की गई थी। इसके लिए पुरस्कार विजेता को 1 लाख रुपये की नगद राशि, प्रशस्ती पत्र एवं शॉल से सम्मानित किया जाएगा।

इसके लिए प्रदेशभर से 18 सांग निर्देशकों ने आवेदन किया। कुरूक्षेत्र के कलाकृति भवन में सांग महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें सभी सांग निर्देशकों ने अपनी-अपनी प्रस्तुति दी। इसके लिए सभी सांग निर्देशकों को 30-30 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि भी दी गई।

सांगो की समीक्षा के लिए एक विशेष प्रकार की समीक्षा समिति का गठन किया गया। जिसमें सांग विषय पर शोध करने वाले शोधार्थी, प्रोफेसर तथा राष्ट्रपति से सम्मानित महत्वपूर्ण लोगों को बतौर सदस्य शामिल किया गया। समीक्षा समिति द्वारा अपनी समीक्षा रिपोर्ट मुख्यालय की उच्चस्तरीय समिति को दी गई। उच्चस्तरीय समिति द्वारा समीक्षा रिपोर्ट के आधार पर सभी प्रस्तुतियों के निरीक्षण, प्रशिक्षण के बाद वेद प्रकाश अत्री को धनपत सिंह सांगी स्मृति पुरस्कार के लिए अनुशंसा की गई।

उन्होंने बताया कि वेद प्रकाश अत्री का जन्म 1966 में हरियाणा के ढाठरथ गांव में साधारण परिवार में हुआ था। 1972 में छोटी सी उम्र में उन्होंने लख्मीचन्द्र भंभेवा को अपना गुरू मान लिया और उनके सांग बेड़े में काम करने लगे। धीरे-धीरे सांग विधा को सीख कर 1999 में अपना अलग बेड़ा बना लिया और निकल पड़े देशभर में सांग करने के लिए। वेद प्रकाश ने मंदिर, पाठशाला, गौशाला, अनाथ आश्रम आदि के लिए हजारों की संख्या में सांगों के शो किये। इनके सांगो में हरियाणवी संस्कृति एवं सभ्यता की छटा देखने को मिलती है। सांगो में आपसी भाईचारा प्रेम तथा सामाजिक सरोकारों का मिश्रण देखने को मिलता है।

(हरियाणा की खबरें अब व्हाट्सऐप पर भी, बस यहां क्लिक करें और Punjab Kesari Haryana का ग्रुप ज्वाइन करें।) 
(हरियाणा की खबरें टेलीग्राम पर भी, बस यहां क्लिक करें या फिर टेलीग्राम पर Punjab Kesari Haryana सर्च करें।)

Content Writer

Saurabh Pal