जेल में आत्महत्या मामले पर पारिवारिक आर्थिक सहायता राशि हरियाणा सरकार ने की 5 से साढे 7 लाख रुपए : दीप भाटिया

punjabkesari.in Wednesday, Aug 23, 2023 - 09:15 PM (IST)

चंडीगढ़ (चन्द्र शेखर धरणी) : प्रदेश की जेलों में हो रही आत्महत्या की घटनाओं पर हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुए सरकार को जल्द से जल्द कोई ठोस कदम उठाने के लिए सिफारिश की है। हरियाणा मानवाधिकार आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष दीप भाटिया ने बताया कि मनोवैज्ञानिक चिकित्सकों द्वारा लगातार जेल स्टाफ को भी जागरूक करने की आवश्यकता है। अधिक से अधिक ऐसे चिकित्सक अस्पतालों में भूमिका में लाए जाएं। हालांकि उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा अच्छा फैसला कैदियों के लिए लिया गया है। हरियाणा पहला अग्रणीय प्रदेश है जहां आत्महत्या जैसी घटना के मामले में परिवार को मिलने वाली आर्थिक सहायता राशि 5 लाख परिवार को बढ़ाकर साढे 7 लाख कर दी गई है। राष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी सराहना हुई है और मानवाधिकार आयोग ने इस पॉलिसी को अन्य सभी प्रदेशों में लागू करने की सिफारिश की है।

दीप भाटिया ने बताया कि हमने ऐसी घटनाओं को लेकर गुड़गांव में सभी जेलों के जिम्मेदार अधिकारियों को बुलाकर एक बैठक ली थी। कार्यकुशल पूर्व पुलिस अधिकारी भी इसमें शामिल हुए थे। कैदियों की मानसिक स्थिति को सुधारने को लेकर मंथन हुआ। सुसाइड अनुपात में कमी लाना इसका मकसद था। सरकार और जेल स्टाफ इस मामले में पूरी तरह से सजग है। फिर भी ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं घटती हैं। इसके लिए हमें मानसिक स्थिति को समझते हुए मनोवैज्ञानिक चिकित्सकों की अधिक से अधिक मदद लेनी चाहिए।

पंचकूला, पलवल, फतेहाबाद, दादरी में भी जेल बनाने की आयोग ने की सिफारिश

दीप भाटिया ने बताया कि हरियाणा के पंचकूला, पलवल, फतेहाबाद, दादरी इत्यादि की भी अपनी-अपनी जेले हों, इसके लिए हरियाणा सरकार को सिफारिश की गई है। ताकि अन्य जिलों पर दबाव न रहे। सरकार जल्द से जल्द जमीन सुनिश्चित करे ताकि कार्य शुरू हो सके इसकी सिफारिश हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने की है। रेवाड़ी जेल में चल रहे काम पर बोलते हुए भाटिया ने बताया कि ठेकेदारों और सरकार के बीच का एक मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन के कारण देरी हुई है। उसे लेकर भी हमारे प्रयास हैं कि कोई रास्ता निकले और कार्य शुरू हो। दीप भाटिया ने कहा कि जेल में खाली पड़े पदों को लेकर भी आयोग ने जल्द से जल्द अधिक से अधिक भर्तियों की सिफारिश सरकार से की है।

सभी जिलों में बनी लॉन्ड्री, कैदियों को मिलेंगे धुले हुए कपड़े

एक महत्वपूर्ण विषय पर बोलते हुए मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष दीप भाटिया ने बताया कि अधिकतर जेलों में नियमित चिकित्सक न होने की वजह से चिकित्सकों को रोटेशन पर हेल्थ विभाग से आना होता है। इसलिए बदल बदलकर चिकित्सकों के आने पर उनके पास कैदियों की पास्ट हिस्ट्री नहीं होती। सप्ताह या महीने में अलग-अलग चिकित्सक जेल में जाते हैं। इसलिए परमानेंट चिकित्सको को लगाने के लिए भी सिफारिश की गई है। स्किन डिसीज को लेकर भी अब सरकार ने टेकअप करके सभी जेलों में लॉन्ड्री की व्यवस्था की है। कैदियों को धुलकर कपड़े मिलेंगे। इसके साथ-साथ सरकार द्वारा मशक्कत से मिलने वाले पैसों को भी दो गुना किया गया है। अब विचाराधीन कैदी भी काम करके मशक्कत के पैसे ले सकेंगे। बहुत से जिन कैदियों को बाहर से आर्थिक सहयोग नहीं मिलता, हमारी सिफारिश पर सरकार ने अब मध्यसतता का रास्ता निकालते हुए ऐसे कैदी भी कैंटीन की सुविधा का लाभ उठा सकें। उनकी बेसिक जरूरत को सरकार अब अपने पैसे से पूरा करेगी।

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Content Editor

Mohammad Kumail

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