मनमाने दाम वसूलने वाले डॉक्टरों पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी में हरियाणा सरकार: ज्ञान चन्द

6/15/2021 7:40:52 PM

चंडीगढ़ (धरणी): इतिहास गवाह है कि जब-जब देश पर संकट आया बहुत से मुनाफाखोर-बहुत से गद्दार एक्टिवेट हुए हैं। ऐसे लोगों ने संकट की घड़ी में भी न किसी की मजबूरी को समझा और न ही परेशानी को। लेकिन आज उंगली ऐसे समाज पर उठी है जिसे हमेशा भगवान का दर्जा दिया जाता रहा है। कोरोना काल में जब पूरा देश त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रहा था। तब डॉक्टरी का चोला पहनें बहुत से यह लोग पीड़ित-परेशान-दुखी लोगों की जेब पर डाका मार रहे थे, हालात भयावह थे। कोरोना की दहशत दिमाग पर इतनी हावी थी कि हर व्यक्ति सहमा- डरा परिवार की बेहतरी और खैरियत की दुआ मांग रहा था। 

संक्रमण होने पर तो सदस्य की जान बचाने के लिए परिवार हर कुर्बानी देने को तैयार था। बस इसी बात का फायदा हरियाणा में बहुत से प्राइवेट अस्पताल संचालकों ने उठाया। भर्ती होने पर खूब लूट बाजारी की गई। ऐसे ओवरचार्जिंग के बहुत से मामलों की शिकायत हरियाणा सरकार के पास पहुंची थी। जिस पर हरियाणा के मुख्यमंत्री ने बिलों को ऑडिट करने के लिए जिले वाइज कमेटियों के गठन के आदेश जारी किए थे। उस पर किस प्रकार की कार्यवाही हुई, इसकी जानकारी के लिए आज पंजाब केसरी ने हरियाणा विधानसभा स्पीकर ज्ञान से बातचीत की। 

ज्ञान चंद गुप्ता ने बताया कि कोरोना काल के दौरान कुछ निजी अस्पतालों ने सरकार की गाइडलाइंस की अनदेखी करते हुए, सरकार द्वारा तय रेट्स और डायरेक्शन को न मानते हुए मनमाने रेट वसूले। इसकी बहुत शिकायतें उन तक पहुंची। पंजाब तक से शिकायतें आई। जिसकी सूचना मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री को दी गई। इसे लेकर जिला स्तर पर एडीसी की अध्यक्षता में 4 सीनियर डॉक्टर, एक ऑडिटर के साथ 8 सदस्य कमेटी का गठन किया गया. जोकि शिकायत वाले 1-1 बिल की बारीकी से जांच कर रहे हैं। 

बहुत सी जगह पर जहां बिल पांच लाख का बनना चाहिए था, वहां 18-18 लाख रुपए का बिल वसूला गया। इस प्रकार के 18 केसों में उपायुक्त द्वारा नोटिस दिए हैं। नोटिस का जवाब देने की अंतिम तिथि 18 निश्चित की गई है। जिन अस्पतालों का जवाब संतोषजनक नहीं पाया जाएगा। उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने के लिए हम संकल्पित हैं। क्योंकि बहुत से गरीब लोगों ने अपनी जमीन, अपने घर के गहने तक बेच कर इन लोगों को पेमेंट की है। गरीब व्यक्ति के साथ बहुत बड़ा जुल्म किया गया है। ऐसे लोगों को पैसे वापस मिलने चाहिए। इसके लिए हम संकल्प बद है। कुछ जगह पर अस्पतालों को सील भी किया गया है। कार्यवाही जारी है।

इसके साथ गुप्ता ने कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा द्वारा उनकी तारीफ करने पर  कहा कि विधायक 2-3 लाख लोगों का जनप्रतिनिधि होता है। फिर चाहे वह विपक्ष से हो या सत्ता पक्ष से। अधिकारियों को उनकी सुननी ही पड़ेगी। लोकतंत्र में जनता राजा और ब्यूरोक्रेसी जनता की सेवक है। जनप्रतिनिधि जनता और सरकार के बीच समस्याओं के समाधान के लिए एक कड़ी है। अगर कोई विधायक अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए बात कर रहा है तो अधिकारी उसकी सुने या ना सुने। लेकिन जनकल्याण और जन समस्याओं की बात अधिकारियों को सुननी ही पड़ेगी। मैंने इस सोच से अधिकारियों को इस प्रकार की डायरेक्शन दी हैं। यह मेरा फर्ज था और मैंने कोई एहसान नहीं किया है।

वहीं कमेटियों की वर्किंग कोरोना के बढ़ते प्रभाव के कारण विधानसभा अध्यक्ष द्वारा स्थगित कर दी गई थी जो कि करीब एक हफ्ता से दोबारा शुरू की गई हैं। इस पर गुप्ता ने बताया कि 1 साल का समय पूरा होने पर लगभग सभी कमेटियों को रिपीट किया गया है। क्योंकि सभी विधायकों ने अच्छा काम करके दिखाया है। उन्होंने कहा कि जो विधानसभा को ई-विधानसभा बनाने की हमारी योजना थी, जो एमओयू साइन हुआ था, उस काम पर भी कोरोना के चलते कहीं ना कहीं ब्रेक लगी है। जिसके चलते नेवा के साथ दोबारा जल्द ही मीटिंग होनी है। उसके बाद इस काम को भी स्पीड दी जाएगी।
 

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Content Writer

vinod kumar