दिग्गजों की कब्रगाह साबित हुए हैं हिसार, सोनीपत संसदीय क्षेत्र

3/14/2019 11:07:21 AM

जींद (जसमेर मलिक): प्रदेश की जाटलैंड में स्थित हिसार और सोनीपत संसदीय क्षेत्र राजनीतिक दिग्गजों की कई बार कब्रगाह साबित हुए हैं। यहां के मतदाताओं ने राजनीतिक दिग्गजों को लोकसभा चुनावों के दंगल में धूल चटाकर चौंकाने वाले नतीजे दिए हैं।

 1984 के लोकसभा चुनाव में हिसार में मुकाबला कांग्रेस के बीरेंद्र सिंह और दमकिपा के ओमप्रकाश चौटाला के बीच हुआ था। तब ओमप्रकाश चौटाला को बीरेंद्र सिंह के मुकाबले हैवी वेट प्रत्याशी माना गया था लेकिन हिसार के मतदाताओं ने ओमप्रकाश चौटाला जैसे दिग्गज को हरवाने का काम किया था। 1989 में कांग्रेस के दिग्गज निवर्तमान कांग्रेसी सांसद बीरेंद्र सिंह तथा जनता दल के नए-नवेले जय प्रकाश उर्फ जे.पी. के बीच मुकाबले में बीरेंद्र सिंह हार गए थे। 1991 में मुकाबला तत्कालीन केंद्रीय मंत्री जय प्रकाश और कांग्रेस के बेहद कमजोर समझे जाने वाले प्रत्याशी मास्टर नारायण सिंह के बीच था। इसमें नारायण सिंह ने जयप्रकाश उर्फ जे.पी. को पराजित किया था। 1998 में पूर्व केंद्रीय मंत्री जय प्रकाश उर्फ जे.पी., पूर्व सांसद ओमप्रकाश जिंदल तथा इनैलो के सुरेंद्र सिंह बरवाला के बीच हुए मुकाबले में सुरेंद्र बरवाला ने जीत दर्ज की।

1999 में कांग्रेस के बीरेंद्र सिंह को इनैलो के सुरेंद्र बरवाला ने करारी मात दी थी। 2009 में इनैलो के डा. अजय सिंह चौटाला और हजकां के पूर्व सी.एम. भजनलाल के बीच मुकाबले में अजय चौटाला फैवरेट होते हुए हजकां के भजनलाल से लगभग 10 हजार मतों के अंतर हार गए थे। 2011 के उप-चुनाव में भी अजय चौटाला को हजकां के कुलदीप बिश्रोई ने लगभग 6 हजार मतों के अंतर से हरा दिया था। 2014 में हजकां-भाजपा गठबंधन के प्रत्याशी कुलदीप बिश्रोई का मुकाबला इनैलो के दुष्यंत चौटाला से था। इस चुनाव में दुष्यंत चौटाला ने कुलदीप बिश्रोई को लगभग 30 हजार मतों के अंतर से पराजित कर दिया था। 

सोनीपत संसदीय क्षेत्र में चौधरी देवीलाल सरीखे दिग्गजों को करना पड़ा हार का सामना
1980 में हुए चुनाव में सोनीपत से चौधरी देवीलाल सांसद चुने गए थे। 1982 में चौधरी देवीलाल महम से विधायक बने तो उन्होंने सोनीपत संसदीय सीट से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद हुए उप-चुनाव में कांग्रेस ने रिजक राम को अपना प्रत्याशी बनाया था जबकि लोकदल की तरफ से चौधरी देवीलाल प्रत्याशी बने थे। इसमें लगभग 13 हजार मतों के अंतर से रिजक राम ने चौधरी देवीलाल को पराजित कर सभी को हैरान कर दिया था। 

1984 में हुए चुनावों में सोनीपत से पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने नामांकन दाखिल किया था। चौधरी चरण सिंह अपने नामांकन पत्र में उम्र का कालम नहीं भर पाए थे और उनका नामांकन रद्द हो गया था। तब चौधरी देवीलाल ने कवरिंग कैंडिडेट के रूप में पहले ही अपना नामांकन भरा हुआ था और उनका मुकाबला कांग्रेस के धर्मपाल मलिक से हुआ था। 

धर्मपाल मलिक ने चौधरी देवीलाल को लगभग 4100 मतों के अंतर से पराजित किया था। 1989 में धर्मपाल मलिक निवर्तमान सांसद थे और उनका मुकाबला जनता दल के कपिल देव शास्त्री से हुआ था, जो राजनीति में पहली बार उतरे थे। 

उन्होंने अपने से कहीं मजबूत समझे जाने वाले कांग्रेस के धर्मपाल मलिक को पराजित किया था। 1991 में कपिल देव शास्त्री को कांगे्रस के धर्मपाल मलिक ने पराजित कर दिया था। 1996 में पहली बार सोनीपत संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय अरविंद शर्मा ने तमाम दिग्गजों को मात देते हुए लोकसभा में दस्तक दी थी। 

2004 में सोनीपत से भाजपा के किशन सिंह सांगवान की जीत सभी को हैरान करने वाली थी। तब मुकाबला कांग्रेस के धर्मपाल मलिक और इनैलो की कृष्णा मलिक के बीच माना जा रहा था लेकिन भाजपा के किशन सिंह सांगवान ने यह मुकाबला लगभग 6 हजार मतों के अंतर से जीता था। 

Shivam