बदल गई टैक्स की पुरानी परंपरा, हरियाणा के लिहाज से यहां जानें GST की बारीकियां

7/1/2017 1:01:45 PM

चंडीगढ़:आज भले ही 1 जुलाई है, लेकिन लोगों को कई सौगातों का मजा भी मिलेगा। जहां देशभर में जीएसटी लागू हो गया है। वहीं, आज हरियाणा में भी फल, सब्जियां, दालें, गेहूं, चावल आदि पहले की तरह टैक्स फ्री हैं। जबकि चिप्स, बिस्किट, मक्खन, चाय और कॉफी जैसे प्रोडक्ट्स पर 10% तक ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा। वहीं, दूसरी ओर रसोई घर में इस्तेमाल होने वाले तेल पर टैक्स 7% कम लगेगा। घर बनाने वाले सामान जैसे कि सीमेंट, प्लाईबोर्ड और टाइल्स आदि पर 8.75% तक ज्यादा टैक्स लगेगा।

खपत के हिसाब से वस्तुओं पर मिलेगा टैक्स 
हरियाणा देश का बड़ा उत्पादक प्रदेश है। यहां देश का 33 फीसदी टू-व्हीलर और 50 फीसदी कार का उत्पादन हो रहा है। 1670 बड़े और मध्यम श्रेणी के उद्योग हैं। इसी की बदौलत हरियाणा देश में नंबर वन प्रदेश बनने का दावा करता है। मगर, अब इसका सरकार को कोई खास लाभ नहीं होगा। पहले यहां बनाई गई वस्तुएं पूरे देश में बिकती थीं, जिस पर सरकार को सेंट्रल सेल्स टैक्स (सीएसटी) के एवज में 2500 करोड़ रुपए का टैक्स मिलता था। मगर अब सरकार को उतनी ही वस्तुओं पर टैक्स मिलेगा, जितनी हरियाणा में खपत होगी। प्रदेश में 25 हजार कंपनियां/एजेंसियां सर्विस टैक्स के दायरे में आ रही हैं, जिससे केंद्र सरकार को लगभग 55 हजार करोड़ का टैक्स मिल रहा था। अब इसमें से आधा हिस्सा, लगभग 27 हजार करोड़ रुपए हरियाणा की तिजोरी में आना तय है। भविष्य में इसमें वृद्धि हो सकती है।

30 हजार करोड़ से ज्यादा सरकार को मिलेगा टैक्स
हरियाणा लग्जरी वस्तुओं का बड़ा उपभोक्ता प्रदेश भी है। हरियाणा में लगभग 2.5 लाख डीलर जीएसटी के दायरे में आ रहे हैं। हालांकि, अब तक लगभग 2 लाख डीलर्स ने ही जीएसटी के तहत पंजीकरण करवाया है। खरीद-बिक्री पर प्रदेश सरकार को वैट के एवज में अब तक 30 हजार करोड़ रुपए का राजस्व मिलता रहा है। मगर, अब जी.एस.टी. लागू होने पर इस 30 हजार करोड़ के अतिरिक्त उन वस्तुओं पर भी सरकार को टैक्स मिलेगा, जिसका उत्पादन अन्य प्रदेशों में हो रहा था और खपत हरियाणा में। गुड़गांव, फरीदाबाद और चंडीगढ़ जैसे शहर में लग्जरी कार की खपत अपेक्षाकृत अधिक है। अकेले गुड़गांव में हर महीने एक हजार कार की बिक्री हो रही है, जिसमें से औसतन 300 लग्जरी कार शामिल हैं, जिसकी कीमत 10 लाख से अधिक है। जितनी अधिक कीमत उतनी अधिक टैक्स लाभ।

3000 लघु इकाइयों को 450 करोड़ रुपए की सौगात मिलेगी
इस नए कानून ने फरीदाबाद शहर में जॉब वर्क करने वाली 3000 लघु इकाइयों को अभयदान दिया है। एक्साइज ड्यूटी और वैट के रूप में जॉब वर्क सेगमेंट में एक इकाई का न्यूनतम 15 लाख रुपए आबकारी एवं कराधान विभाग में पड़ा था, लेकिन जीएसटी में कनवर्ट होते ही 18 प्रतिशत टैक्स दायित्व के बाद उक्त सारी रकम इनपुट क्रेडिट के रूप में उद्यमी को वापस मिल जाएगी। इस श्रेणी में आने वाली लघु इकाइयों को 1 जुलाई से 450 करोड़ रुपए की सौगात मिलेगी। कुछ उद्यमी जीएसटी को वरदान तो कुछ प्रत्यक्ष रूप से भगवान की संज्ञा दे रहे हैं। जीएसटी इंपेक्ट और तैयारियों पर दैनिक भास्कर ने कुछ अहम पहलुओं पर जानकारी जुटाकर उन्हें समझाने की कोशिश की है।

देखें, GST का सेना की कैंटीन पर प्रभाव
GST लागू होने से सेना की कैंटीन पर भी प्रभाव देखने को मिला। सीएसडी कैंटीन के लिए ये दरें आधी रखी गई हैं। आने वाले सामान पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कोई छूट नहीं है। इसमें राज्यों ने वैट में छूट दी है। इस छूट के चलते जो भी वित्तीय बोझ आएगा, उसे केंद्र और राज्य मिलकर वहन करेंगे।


1 जुलाई के बाद भी पुराने माल पर लगेगा एंट्री टैक्स
एक्साइज टैक्सेशन विभाग ने स्पष्ट किया कि पुराने माल पर एक जुलाई के बाद भी एंट्री टैक्स लगेगा। पुराने माल पर वैट सिस्टम के तहत ही टैक्स लिया जाएगा। कई दिनों से इस बात को लेकर असमंजस चल रहा था कि जिस माल की बिलिंग 30 जून या उससे पहले हुई है, उस पर एंट्री टैक्स का क्या होगा। कुछ अधिकारियों का कहना था कि एक जुलाई के बाद आने वाले पुरानी बिलिंग के माल पर एंट्री टैक्स से छूट मिल जाएगी जबकि कुछ का कहना था कि टैक्स लगेगा। 

आज से गांव में भी ई.एस.आई.सी.
अधिकारियों की मानें तो आज ईएसआईसी से वंचित इलाकों को भी इसके दायरे में शामिल करने को लेकर प्रयास शुरू कर दिए हैं। बताया गया है कि अभी तक केवल शहरी औद्योगिक क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को ही इसका लाभ मिल पाता था लेकिन केंद्रीय श्रम व रोजगार मंत्रालय द्वारा एक जुलाई से देशभर में ईएसआईसी के विस्तार के आदेश दिए गए हैं। जिससे रोजगार, पेंशन, आश्रित हित लाभ, प्रसूति हितलाभ सहित लोगों को कई तरह के फायदे मिलेंगे। बताया गया है आदेश के बाद से जिले में बीमित व्यक्तियों की संख्या 10 लाख से बढ़कर 20 के करीब पहुंच जाएगी।

GST क्या है ?
GST का मतलब गुड्स एंड सर्विसेस टैक्‍स है। इसको केंद्र और राज्‍यों के 17 से ज्‍यादा इनडायरेक्‍ट टैक्‍स के बदले में लागू किया जाएगा। ये ऐसा टैक्‍स है, जो देशभर में किसी भी गुड्स या सर्विसेस की मैन्‍युफैक्‍चरिंग, बिक्री और इस्‍तेमाल पर लागू होगा। इससे एक्‍साइज ड्यूटी, सेंट्रल सेल्स टैक्स (सीएसटी), स्टेट के सेल्स टैक्स यानी वैट, एंट्री टैक्स, लॉटरी टैक्स, स्टैम्प ड्यूटी, टेलिकॉम लाइसेंस फीस, टर्नओवर टैक्स, बिजली के इस्तेमाल या बिक्री और गुड्स के ट्रांसपोर्टेशन पर लगने वाले टैक्स खत्म हो जाएंगे।