मिसाल: गुजरात की भगती में गजब की है महिलाओं की मदद करने की शक्ति

11/25/2019 1:27:48 PM

कुरुक्षेत्र(धमीजा): अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2019 के सरस मेले में स्टाल नम्बर -845 में महिलाओं के लिए एक मिसाल के रूप में नजर आ रही है गुजरात की भगती देवी। इनके चेहरे पर जोश और आत्मविश्वास देखकर सहजता से अहसास किया जा सकता है कि आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में कम नहीं हैं। सिर्फ मन में एक जज्बा पैदा करने की जरूरत है, इतना ही नहीं पिछले 4 सालों से भगती कुरुक्षेत्र के अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में पर्यटकों के लिए स्पार्कल पेंटिंग बनाकर ला रही हैं।

यह पेंटिंग भगवान श्रीकृष्ण के गीता उपदेश को दर्शा रही है, इसी उद्देश्य को जहन में रखकर ही सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव को एक बड़ा स्वरूप दिया है। शिल्पकार भगती ने विशेष बातचीत के दौरान बताया कि जम्मू कश्मीर को छोड़कर देश के सभी राज्यों में शिल्प मेलों में स्पार्कल पेंटिंग को लेकर जा चुकी है। इसके अलावा स्टोन, जरदोशी की शिल्प कला को सभी राज्यों में खूब सराहा गया है। इस समय ग्रुप के साथ 11 पुरुष और 60 से ज्यादा विधवा महिलाएं काम कर रही हैं। सरकार से 7 हजार रुपए की आॢथक सहायता लेने के बाद 6 वर्ष पहले एक छोटा सा व्यवसाय शुरू किया था और अब यह व्यवसाय बड़े स्तर पर पहुंच चुका है और हर माह 2 लाख रुपए की बिक्री करके करीब 50 हजार रुपए मासिक लाभ कमा रही हैं।

कैंसर से पीड़ित पिता और मां के घर सम्भालने के बाद मन में जगी महिलाओं को सहारा देने की अलख
गुजरात के जामनगर के गांव बालपुर की भगती में बेसहारा महिलाओं की निस्वार्थ भाव से मदद करने की गजब की शक्ति है, अपने इस दृढ़ संकल्प से भगती 60 बेसहारा महिलाओं (विधवाओं) की मदद कर रही। अहम पहलू यह है कि गुजरात की भगती के मन में यह अलख 7 साल पहले जगी जब पिता भीखू बाई को कैंसर की बीमारी ने जकड़ लिया और इसके बाद अपनी मां अस्मिता बाई को अपने परिवार को पालने का संघर्ष देखा।

इस संघर्ष के बाद ही भगती ने मन में ठाना कि जहां अपने पैरों पर खड़ा होना है, वहीं बेसहारा महिलाओं को भी रोजगार के अवसर मुहैया करवाने हैं। उन्होंने कहा कि बेसहारा महिलाओं की मदद करना उनका जनून बन चुका है, अपनी मां द्वारा किए गए संघर्ष से ही उनको प्रेरणा मिली, आज भी उनके पिता कैंसर की बीमारी से लड़ रहे हंै और उनकी बहन भी बीमारी से ग्रस्त होकर बिस्तर पर है। 

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vinod kumar