संगठन होता तो हरियाणा में हमारी सरकार होती : नीरज शर्मा
4/26/2022 6:18:07 PM
चंडीगढ़(धरणी): हरियाणा कांग्रेस में आपसी फूट जगजाहिर होने तथा प्रदेशाध्यक्ष बदलने के लगातार आ रहे संकेतों के बावजूद कांग्रेसी विधायकों के एकता के दावों को अभी भी आसानी से सुना जा सकता है। इस महत्वपूर्ण विषय को लेकर फरीदाबाद एनआईटी के कांग्रेसी विधायक नीरज शर्मा ने कहा कि कांग्रेस में किसी प्रकार की कोई फूट नहीं है। संगठन ना बनने को लेकर हमारी प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा बेशक चिंतित हैं और कई बार उन्होंने संगठन बनाकर हाईकमान के पास भी भेजा है। हम भी सोनिया गांधी से मिलकर आए थे। बिना संगठन के ही 31 सीटें देने वाली हरियाणा की जनता के चरणों में हम सभी को दंडोति करनी चाहिए। संगठन होता तो प्रदेश में आज कांग्रेस की सरकार होती। बिना संगठन के कांग्रेस इतनी मजबूत स्थिति में है कि भाजपा आज बैसाखी पर सरकार चला रही है।
पंजाब सत्ता परिवर्तन के बाद हरियाणा में पलायन करने वालों में सबसे अधिक कांग्रेसी यह विशेष चिंताजनक : नीरज शर्मा
शर्मा ने कहा कि संगठन ना बनने के कारण आज कांग्रेस का कार्यकर्ता गलत दिशा में जा रहा है। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद आज हरियाणा में पलायन की स्थिति है और ज्यादातर साथी कांग्रेस के ही पलायन कर रहे हैं। यह बेहद चिंताजनक विषय है। लेकिन मैं एक बात कहना चाहता हूं कि जितनी इज्जत अपने घर में होती है बाहर नहीं है। फरीदाबाद के बहुत से साथी कांग्रेस को त्याग कर गए, लेकिन जो पहली पंक्ति में या स्टेज पर बैठा करते थे आज पांचवी पंक्ति में पहुंच गए हैं। शर्मा ने कहा कि हमारी राष्ट्रीय नेता सोनिया गांधी लगातार बैठकें कर ले रही हैं। पूरी तरह से फिर से सक्रिय हो चुकी हैं। हरियाणा के नेताओं से लगातार मिलकर कुछ ना कुछ समाधान निकलेगा।
सभी 31 विधायक हाथ के पंजे पर चुनाव जीत कर आए, हम ना हुड्डा के साथ हैं और ना ही शैलजा के :
इस मौके पर नीरज शर्मा ने एक बड़ा संदेश देते हुए कहा कि हम हरियाणा में 31 विधायक हाथ के पंजे पर चुनाव जीत कर आए हैं। ना हम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ हैं और ना ही हम शैलजा के साथ हैं। हुड्डा भी एक ऐसे विधायक हैं जो हाथ के पंजे पर ही जीत कर आए हैं। हम सभी 31 हुड्डा, शैलजा और सभी सम्माननीय नेताओं के साथ हैं। शर्मा ने कहा कि मैं स्वयं अकेले पार्टी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री वेणुगोपाल से मिलकर आया और एक बार 5 विधायकों के ग्रुप में भी मिलकर आया था। लेकिन नेतृत्व परिवर्तन/प्रदेशाध्यक्ष हटाने जैसी कोई बात वहां नहीं हुई। थोड़ा बहुत आपसी मतभेद सभी पार्टियों में होता है। केवल कांग्रेस में ही नहीं है।
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