किसान के बेटे ने गांव की मिट्टी में खेलकर की मेहनत, आज प्रो कबड्डी में बना करोड़पति(Video)

6/12/2018 10:41:46 AM

हांसी(संदीप सैनी): सफलता सुविधाओं की नहीं बल्कि कड़ी मेहनत की मोहताज होती है। यह बात किसान के बेटे मोनू गोयत ने सच साबित कर दी है। हांसी की जगदीश कॉलोनी में रहने वाले मोनू गोयत ने प्रो कबड्डी लीग 2018 की नीलामी में नामी विदेशी खिलाड़ियों को पछाड़ दिया है। हरियाणा स्टीलर्स टीम ने उन्हें 1.51 करोड़ रुपए की बोली देकर खरीद लिया है। प्रो कबड्डी लीग के इतिहास में हरियाणा स्टीलर्स ने मोनू गोयत को अब तक के सबसे महंगे खिलाड़ी के रूप में खरीदा है। मोनू के लिए ये दोहरी खुशी का पल है कि एक तो सबसे महंगे खिलाड़ी के रूप में चुने जाने का व दूसरी खुशी अपने प्रदेश हरियाणा का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है।

मोनू के पिता आज भी करते हैं खेती का काम
मोनू का परिवार मूल रूप से भैणी कुंगड़ गांव का रहने वाला है व पिछले कुछ सालों से हांसी की जगदीश कॉलोनी में रहता है। उसके पिता रामभक्त गोयत आज भी गांव में खेती का काम करते हैं व मां के कंधों पर घर चलाने की जिम्मेदारी है। 

कड़ी मेहनत कर पाया ये मुकाम
मोनू ने गांव में मिट्टी के मैदान में कबड्डी खेलने की शुरुआत की थी। मोनू ने बगैर किसी सुविधाओं के केवल अपने हौंसले व कड़ी मेहनत के दम पर इस मुकाम को हासिल किया है। प्रो कबड्डी लीग में सबसे महंगे खिलाड़ी के रूप में चयनित होने के बाद मोनू गोयत कबड्डी वाला के नाम से वह शहर का सबसे चर्चित नाम बन गया है। देश ही नहीं विदेशी मीडिया भी मोनू के साक्षात्कार के लिए उनके घर पहुंच रहा है।

प्रो कबड्डी लीग में 2 बार हो चुका है चयन
मोनू गोयत इससे पहले भी प्रो कबड्डी लीग के लिए दो बार चयनित हो चुके हैं। वर्ष 2016 में बंगाल वारियर्स ने उसे 18 लाख रुपए में खरीदा था। वहीं 2017 में पटना पायरेट ने उन्हें 44 लाख रुपए में खरीदा था। मोनू का कबड्डी लीग के अलावा अन्य प्रतियोगिताओं में लगातार बेहतर प्रदर्शन रहा। जिसके चलते कबड्डी लीग 2018  में सबसे बड़ी नीलामी 1.51 करोड़ रुपे में मोनू को खरीदा गया। लीग में पहली बार इतनी बड़ी राशि में किसी खिलाड़ी को खरीदा है। कबड्डी लीग के मैच अक्टूबर 2018 में शुरु होंगे।  

चाचा बने रोल माडल और महज 8 साल की उम्र में रखा कबड्डी के मैदान में कदम
जिस उम्र में बच्चे मौज मस्ती करते हैं, उसी में अपने चाचा विजेंद्र सिंह को गांव के कबड्डी के मैदान में खेलते देख मोनू के मन में कबड्डी खेलने की चाहत पैदा हो गई थी। मोनू की कबड्डी खेलने की चाहत को उसके चाचा विजेंद्र ने बखूबी पूरा किया और उसे कबड्डी प्लेयर बनाने की ठान ली। शुरुआत गांव में होने वाले कबड्डी के टूर्नामेंट में खेलने से हुई और देखते ही देखते मोनू ने आस-पास के गांवों में कबड्डी के खेल में अपनी धाक जमा ली। मोनू गोयत का कहना है कि उसकी सफलता में उसके चाचा का बहुत अधिक योगदान है। मोनू के चाचा विजेंद्र भी कबड्डी के राष्ट्रीय प्लेयर रहे हैं और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।​

Nisha Bhardwaj