ब्ल्यू बर्ड में बर्ड फ्लू ने दी दस्तक

11/4/2016 4:26:22 PM

हिसार: टूरिस्ट कॉम्प्लैक्स ब्ल्यू बर्ड में बर्ड फ्लू ने दस्तक दे दी है। इनफ्लूंजा ए वायरस के सब टाईप एच5 एन8 की पुष्टि होने के बाद अब शुक्रवार को 10 टीमें ब्ल्यू बर्ड के एक कि.मी. के दायरे में कलिंग (मुर्गियों को मारना) अभियान चलाएंगी। इसके लिए वीरवार को सर्वे किया गया है। पशुपालन विभाग और लुवास के वैज्ञानिकों की टीम भी सतर्क हो गई है। इसी के साथ ही लोगों ने मीट अथवा चिकन खाना बंद कर दिया है। वहीं झील के साथ लगते पुलिस आवासीय क्षेत्र व हाऊसिंग बोर्ड, अनाज मंडी आदि क्षेत्रों में लोगों के बीच भय का माहौल है। उधर जिला प्रशासन ने भी विभिन्न विभागों के अधिकारियों को इस मामले से संबंधित दिशा निर्देश जारी किए है। बर्ड फ्लू की पॉजीटिव रिपोर्ट का असर ब्ल्यू बर्ड के साथ लगते पैट्रोल पंप पर भी पड़ा। ग्राहक यहां से तेल लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाह रहे है।

 

पशु पालन विभाग महानिदेशक डॉ. जी.एस.जाखड़ ने मौके का जायजा लिया था। उसके बाद अब पशुपालन विभाग ने झील के एक कि.मी. के दायरे में पक्षियों के बारे में सर्वे शुरू करवा दिया है। इस सर्वे के लिए पशुपालन विभाग द्वारा गठित 7 से ज्यादा टीमों ने मुर्गा फार्म आदि का सर्वे किया। यह सर्वे रिपोर्ट विभाग को भेजी जाएगी। कलिंग अभियान के तहत बर्ड को मार कर जमीन में 2 मीटर गहरे गड्ढे में चूना डाल कर दबाया जाएगा।

 

पुष्टि करने से कतराते रहे अधिकारी
पशुपालन एवं डेयरी विभाग से संबंधित व जिम्मेदार स्थानीय अधिकारियों में से वीरवार को किसी ने यह कह कर बचने की कोशिश की कि वे तो आऊट ऑफ स्टेशन है तो किसी ने बर्ड फ्लू की पुष्टि से ही अनभिज्ञता जाहिर कर दी। एक ने तो यहां तक कह दिया कि ये तो खतरनाक काम है, ऐसे में उनका मौके पर जाना भी ठीक नहीं है।

 

भारत सरकार को भेजी रिपोर्ट
जानकारी के मुताबिक शहर के सरकारी टूरिस्ट काम्पलैक्स ब्ल्यू बर्ड की झील में हुई पक्षियों की मौत के मामले में भोपाल स्थित नैशनल इंस्टीच्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीजिज ने पुष्टि की है कि ब्ल्यू बर्ड झील में मृत पाई गई बत्तखों में बर्ड फ्लू पाया गया है। इसकी किस्म एच5 एन8 बताई गई है। इसकी रिपोर्ट भारत सरकार को भेजी गई है।

 

क्या है बर्ड फ्लू के लक्षण
बर्ड फ्लू का संक्रमण सबसे ज्यादा फेफड़ों पर होता है। बुखार, कंपन तथा सिर दर्द के अलावा खांसी व कमजोरी इसके दूसरे लक्ष्ण है। इस वायरस को पहली बार 1983 में आयरलैंड में पाया गया था।

 

कैसे फैलता है
इस वायरस का डायरैक्ट कांटेक्ट में आने से तुरंत फैलने का खतरा रहता है। हालांकि हवा के माध्यम से भी इसका प्रभाव होता है लेकिन ज्यादा असर उन लोगों में होता है जिनको पहले से जुकाम अथवा फेफड़ों से संबंधित बीमारी रही हो।