‘डैडलाइन’ की डोर से बंधा महकमा, सोशल साइट्स के जरिए दिए जा रहे टिप्स

12/11/2016 11:54:46 AM

हिसार (संजय अरोड़ा): पुलिसिया तंत्र में हर रोज सुधार करने के लिए आतुर हिसार रेंज के आई.जी. ओ.पी सिंह कई प्रयोग कर चुके हैं। हिसार रेंज की कमान संभालने के बाद से निरंतर प्रयोग के बाद अब उन्होंने सोशल साइट्स फेसबुक के जरिए थानों व चौकियों में आने वाली शिकायतों के निपटान को लेकर ‘फंडा’ अपनाया है और इसके माध्यम से उन्होंने अपने महकमे के हर अधिकारी को इन शिकायतों का निपटारा करने के लिए ‘डैडलाइन’ की डोर से बांधा है। खास बात ये है कि फेसबुक पर अपलोड की कई वीडियो के जरिए आई.जी. सिंह ने शिकायतों को निपटाने के टिप्स मसलन तरीकों के बारे में भी बताया गया है। 

गौरतलब है कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ओ.पी. सिंह ने इसी वर्ष अप्रैल माह के अंतिम दिनों में बतौर आई.जी. हिसार रेंज पुलिस की कमान संभाली थी। चार्ज लेते ही उन्होंने न केवल अपना वर्किंग स्टाइल दर्शा दिया था अपितु पूरे महकमे को भी चेता दिया था कि उनके सामने दौडऩे को खुला मैदान है मगर असली धावक वही कामयाब होगा जो उनके ‘ट्रैक’ पर दौड़ेगा। उन्होंने सबसे पहले पुलिस थानों में कार्यरत मुंशी से लेकर एस.पी. तक को व्हाट्सअप पर जोड़ा। इसके बाद युवाओं को पुलिस का मित्र बनाने के मकसद से कई एक्शन प्लान तैयार किए साथ ही गांव-गांव में पुलिस-पब्लिक के बीच बेहतर तालमेल बनाने के लिए गोल्फ विद सरपंच का प्रयोग किया। युवाओं को नशे से दूर करने के लिए पुलिस टीम को साथ लेकर सड़कें नापी और अपने साथ युवाओं को जोड़ा, जो हिसार में हाल ही हुई मैराथन में एक सैलाब के रूप में उभरा।

ऐसे दे रहे हैं टिप्स
आई.जी. इस बात को समझ चुके हैं आज का हर आदमी फेसबुक एवं व्हाट्सअप जैसी सोशल साइट्स से जुड़ा हुआ है। लिहाजा, समय के अनुरूप कम समय में अधिक से अधिक लोगों तक बात पहुंचाने का यह बढिय़ा जरिया है और इस साधन का सदुपयोग करते हुए आई.जी. सिंह ने फेसबुक पर एक पेज तैयार कर उसमें ऐसा वीडियो अपलोड किया है जिसमें शिकायतों के प्रकार व उन्हें निपटाने की विधि सुझाई है। खास बात ये है कि पिछले चार दिनों के अंतराल में इस वीडियो को करीब 35 हजार लोग देख चुके हैं और 900 लोगों ने कमेंट्स किए हैं और 2700 लोगों ने लाइक किया है साथ ही 300 से अधिक लोगों ने इस वीडियो को अपनी-अपनी वॉल पर शेयर भी किया है।

स वीडियो में आई.जी सिंह ने लोगों को साफ हिदायत दी है कि कानून मानने की बाध्यता हो, मगर पुलिस के आतंक में जीने की मजबूरी न हो। इसके अलावा इस वीडियो से पुलिस को बताया है कि यदि थानों एवं चौकियों में कोई शिकायत आती है तो सबसे पहले उसका मूल्यांकन करें और इसके तहत यदि शिकायत पुलिस से संबंधित नहीं है तो उसे सी.एम. विंडो तक भिजवाएं ताकि प्रतिवादी को इंसाफ मिल सके।

यदि शिकायतकर्ता बुजुर्ग या दिव्यांग है खुद उनके पास जाकर शिकायत सुने। इसके लिए 24 घंटे का ही वक्त लगना चाहिए। यदि कोई युवा अथवा सक्षम शिकायतकर्ता है तो उसे थाने में बुलाकर शिकायत का निदान करें। मामला ज्यादा गंभीर है तो एक हफ्ते में उसकी शिकायत का निपटारा करें। साथ ही मामला कोई झूठा है तो संबंधित को शिकायत वापस लेने का मौका दें और यदि वह गलत शिकायत को वापस नहीं ले रहा तो उसके खिलाफ दफा 182 के तहत केस दर्ज करें।