8 साल की सुहानी ने दी शहीद पिता को मुखाग्नि, राज्यमंत्री ने की 50 लाख की घोषणा (Pics)

12/3/2016 11:55:04 AM

जुलाना (पांचाल): गांव बुढ़ा खेड़ा में शुक्रवार को मेजर संजीव कुमार लाठर के अंतिम संस्कार के समय पूरे गांव की आंखें नम थीं। नम आंखों से राजकीय सम्मान के साथ मेजर को अंतिम विदाई दी। संजीव की अकस्मात मौत के बाद परिवार का इकलौता चिराग बुझ गया। बुधवार को पश्चिम बंगाल के सुकना में आर्मी कैम्प के निकट हैलीकॉप्टर हादसे में मेजर संजीव कुमार शहीद हो गए थे, जिनका गांव बुढ़ा खेड़ा में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। संजीव का जन्म भिवानी शहर में हुआ था लेकिन वह बालपन और सेना में नियुक्ति के बाद भी अपने पैतृक गांव बुढ़ाखेड़ा लाठर में आते-जाते रहे। 

मेजर के पिता महेंद्र सिंह लाठर ने बताया कि उसके बेटे मेजर संजीव लाठर ने हाल ही में कर्नल की ट्रेनिंग भी पूरी कर ली थी और अब उसकी कर्नल के पद पर पदोन्नति होनी थी लेकिन इससे पहले ही वह शहीद हो गया। शहीद मेजर संजीव लाठर की 2 बेटियां हैं जिनमें सुहानी 8 वर्ष की और परी मात्र 2 वर्ष की है। पिता की शहादत के बाद दोनों मासूम बेटियों के सिर से पिता का साया उठ गया।

संजीव की शादी वर्ष 2006 में कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता रणसिंह मान के भाई जगराम मान की बेटी शालिनी के साथ हुई थी। शहीद मेजर संजीव के अंतिम दर्शन के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा। अंतिम संस्कार में मनीष ग्रोवर राज्यमंत्री, उपायुक्त विनय कुमार, चौ. रणबीर सिंह यूनिवर्सिटी के वी.सी. रणबीर सिंह, विधायक परमेंद्र सिंह ढुल, तहसीलदार दलीप सिंह खर्ब, संजीव बुआना, पुष्पा तायल, सतीश सांगवान, धर्मेन्द्र ढूल, धर्मपाल कटारिया, आनंद लाठर, सतीश पहलवान, गुरदास सहित सैंकड़ों लोग मौजूद रहे। 

मेजर संजीव लाठर के अंतिम संस्कार में पहुंचे हरियाणा राज्यमंत्री मनीष ग्रोवर ने शहीद के परिजनों को 50 लाख रुपए देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि मेजर संजीव पर पूरे हरियाणा प्रदेश को गर्व है। यह अकेले एक परिवार की क्षति नहीं है यह पूरे प्रदेश की क्षति है। पहले हरियाणा में शहीदों के परिवार को 20 लाख ही दिए जाते थे लेकिन अब सरकार की ओर से 50 लाख की आर्थिक सहायता दी जा रही है। 

स्कूली बच्चों ने कतारबद्ध होकर किए पुष्प अॢपत : शहीद मेजर संजीव लाठर के अंतिम संस्कार के समय गांव के स्कूली बच्चों ने कतारबद्ध होकर हाथों में फूल लेकर शहीद के पाॢथव शरीर के आगमन पर जब तक सूरज-चांद रहेगा संजीव तेरा नाम रहेगा के नारे लगाते हुए शहीद को श्रद्धांजलि दी।  

शेर था मेरा बेटा: संतोष 
सैनिक संजीव की माता संतोष कहना है कि उनका बेटा शेर जैसा था। अगर उनका दूसरा बेटा होता तो उसे भी वह सेना में ही भेजती। रविवार को उनकी संजीव से बात हुई थी वह बता रहा था कि उसकी कर्नल की ट्रेङ्क्षनग पूरी हो गई है। जल्द ही वह कर्नल बनने वाला है लेकिन बुधवार को हैलीकॉप्टर हादसे का शिकार हो गया। संजीव का बचपन से ही सपना था कि वह देश के  लिए काम आए। मुझे मेरे बेटे पर गर्व है।