अफसरशाही व रियल एस्टेट मालिकों पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक, दिखने लगा असर

12/2/2016 3:12:44 PM

कैथल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवम्बर को नोटबंदी की घोषणा से पहले एक और कानून में संशोधन किया है जो कि 1 नवम्बर 2016 से प्रभावी हो गया है लेकिन शोर नोटबंदी का अधिक है। बेनामी सम्पत्ति लेन-देन कानून 1988 में सरकार ने जो संशोधन किए हैं वे लागू हो चुके हैं। अफसरशाही और रियल एस्टेट के मालिकों की काली कमाई का रहस्य अब खुलने जा रहा है। अत्यंत भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार नए कानून को प्रधानमंत्री की पहल पर ही सख्त रूप प्रदान किया है यानि इस संशोधन के साथ वह सम्पत्ति बेनामी मानी जाएगी जो किसी और व्यक्ति के नाम हो या तबदील की गई लेकिन उसका प्रावधान या भुगतान किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किया गया हो। नए कानून में दोषी व्यक्ति को 1 साल से 7 साल तक की कठोर सजा का प्रावधान किया गया है। इस नए कानून के तहत उस पर आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है।

यह जुर्माना उक्त सम्पत्ति के बाजार भाव का 25 प्रतिशत तक हो सकता है। नए कानून में कोई भी कानूनी कार्रवाई केंद्रीय प्रत्यक्ष बोर्ड यानि सी.बी.डी.टी. की पूर्वानुमति के बिना शुरू नहीं की जाएगी। नए कानून की मदद से रीयल एस्टेट क्षेत्र में कालेधन के प्रवाह पर नजर रखने में सहायता मिलेगी। इस कानून में यह प्रावधान भी किया गया है कि सम्पत्ति को जब्त करने से पहले उसमें एक प्रशासक नियुक्त किया जाएगा। दंडनीय अपराधों की सुनवाई के लिए केंद्र सरकार एक या एक से अधिक सैशन अदालत या विशेष अदालतों की शक्तियां मौजूदा ढांचे में कार्यरत न्यायाधीश को दी जा सकेंगी।

प्रधानमंत्री से देश की जनता के यह हैं सवाल 
* सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में प्रधानमंत्री की जिस एस.आई.टी. ने जांच की तो वहां से चौका देने वाली रिपोर्ट प्रकाश में आई। प्रधानमंत्री के निकटतम होने का दम भरने वाले गौतम अदानी की ओर 15000 करोड़ रुपए का जुर्माना बकाया है, वह कब वसूला जाएगा? 
* हजारों करोड़ के सरकारी देनदार विजय माल्या का क्या हुआ?
* क्या भाजपा ने यह घोषित किया है कि उसके पास कहां से कितना चंदा आया है?
* प्रधानमंत्री राजनीतिक दलों को आर.टी.आई. के दायरे में लाने से क्यों हिचकिचा रहे हैं। 
* बेटी की शादी पर 500 करोड़ खर्च करने वाले हैदराबाद के जनार्दन रेडी पर कार्रवाई में केंद्र ने ढील क्यों बरती?
*15 अक्तूबर को देश छोड़कर भागे एक प्रमुुख हवाला कारोबारी के खिलाफ केवल लुक आऊट नोटिस दिया गया है जिसने नोटबंदी से कुछ सप्ताह पहले ही 5 देशों में महंगी सम्पत्तियां खरीदी हैं, क्या उसके प्रति केंद्र सरकार का नरम रवैया नहीं है?
*भारतीय स्टेट बैंक के डूबे 7016 करोड़ रुपए क्या देश की जनता के नहीं थे, उसकी वसूली की दिशा में ठोस कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

एन.ई.एफ.टी.
* एन.ई.एफ.टी. में 10 लाख रुपए तक का लेन-देन एक दिन में किया जा सकता है।
* 10 हजार रुपए तक 2.50 लाख रुपए और सेवा कर कटता है।
* 10 हजार से 1 लाख रुपए तक 5 रुपए और सेवा
* 1 से 2 लाख रुपए तक 15 रुपए और सेवा कर
* 2 लाख से 5 लाख रुपए तक के ट्रांसफर पर 25 रुपए और सेवा कर काटा जाता है।
* इसी प्रकार 5 से 19 लाख रुपए तक के ट्रांसफर पर 25 रुपए और सेवा कर देना पड़ता है।

आर.टी.जी.एस.
* इसमें 2 से 10 लाख रुपए तक राशि ट्रांसफर हो सकती है।
* 2 से 5 लाख रुपए तक के अंतरण पर 25 रुपए और सेवा कर
* 5 लाख से 10 लाख रुपए तक 50 रुपए और सेवा कर देना अनिवार्य किया गया है।

आई.एम.पी.एस.
* इसमें 10,000 रुपए तक 5 रुपए और सेवा करक लगता है जबकि 10 हजार से1 लाख तक 5 रुपए और सेवा कर तथा 1 लाख से 2 लाख रुपए तक 15 रुपए और सेवा कर देना अनिवार्य है।

क्या कहते हैं इन्कम टैक्स विभाग में स्वीकृत पदों के आंकड़े
विभाग में अतिरिक्त आयुक्त एवं आकलन अधिकारियों की संख्या 7294 है जिनमें 4204 आयकर अधिकारी भी शामिल हैं। अतिरिक्त आयुक्त एवं संयुक्त आयुक्त हर साल 30 से 40 बड़े मामलों को निपटा पाते हैं जबकि आयकर अधिकारी हर साल 100 से 150 मामलों का मूल्यांकन कर पाते हैं तथा यह मामले छोटे होते हैं। 

मोदी के जुमले की यूं निकली हवा
28 मई 2014 को प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले नरेंद्र मोदी ने कालेधन की जांच के लिए विशेष जांच समिति यानि एस.आई.टी. गठित की थी। भ्रष्टाचार से तंग आज चुकी देश की जनता से उन्होंने चुनावों के समय यह वायदा भी किया था कि वे प्रधानसेवक बनते ही देश में से भ्रष्टाचार मिटा देंगे और विदेशों में रखे काले धन को निकालकर हर देशवासी के खाते में 15 लाख रुपए पहुंचा देंगे। हालांकि सत्ता सम्भालते ही उन्होंने इसे चुनावी जुमला बता कर अपना पीछा छुड़वा लिया लेकिन जैसे ही 8 नवम्बर की मध्यरात्रि उन्होंने 500 व 1000 रुपए के चल रहे नोटों पर पाबंदी का ऐलान किया तो पूरे देश के हर वर्ग के लोगों के दिमाग में 15 लाख रुपए का जुमला घूम गया और वे मोदी के दीवाने दिखने लगे लेकिन ज्यों-ज्यों समय बीतता गया, उनके जुमले की हवा निकल गई। आज सड़कों पर लोग दुखी और हताश हैं।