अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के अंतिम दिन 'द्रौपदी' के रूप में नजर आएंगी 'ड्रीम गर्ल'

12/7/2016 12:20:50 PM

कुरुक्षेत्र: धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में कल से शुरु हुए अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में अभिनेत्री हेमा मालिनी 10 दिसंबर को द्रोपदी के रूप में अपनी एक खास परफॉर्मेंस लेकर आ रही हैं। 

मिली जानकारी के अनुसार हेमा अब उम्र के 7वें दशक के करीब हैं, लेकिन आज भी उनकी प्रस्तुति में उनकी उम्र का एहसास कोसों दूर रहता है। हालांकि हेमा को कुचिपुड़ी और ओडिसी का खासा ज्ञान है, लेकिन बीते वर्षों की बात है, जब उन्होंने वह भरतनाट्यम का भी विधिवत प्रशिक्षण लिया था। अब वह देश-विदेश में कई स्टेज शो पेश कर चुकी हैं, लेकिन अब वह कुरुक्षेत्र में स्टेज पर द्रौपदी के रूप में नजर आएंगी। 

हेमा की सबसे नई प्रस्तुति ‘द्रौपदी’
हेमा पिछले 20 साल से भारतीय पौराणिक आस्थाओं की कहानियों पर जो प्रस्तुतियां दे रही हैं, उनमें ‘द्रौपदी’ उनकी सबसे नई प्रस्तुति है। द्रौपदी का असल नाम ‘कृष्णा' था और वो ‘कृष्ण' की सहेली थीं। इस नृत्यनाटिका के दूसरे सीन में द्रौपदी का यही रूप नजर आता है। इसमें बताया गया कि द्रौपदी यानि कृष्णा के मन में जिस पहले प्यार की कल्पना अंकुरित हुई वो प्यार कृष्ण के प्रति था।

- द्रौपदी के चाहने के बावजूद कृष्ण ने स्वयंवर के माध्यम से उस प्रेम को शुरू में ही समाप्त कर दिया अर्थात, कृष्णा ने कृष्ण से प्रेम किया और कृष्ण ने कृष्णा को सखा मानकर उसे अर्जुन से विवाह करने का निर्देश दिया। ये कृष्णा का पहला बलिदान था। 

- कृष्ण के निर्देश के बावजूद स्वयंवर में द्रौपदी ने खुद को अर्जुन को समर्पित नहीं किया। बल्कि अर्जुन से पहले जो योद्धा द्रौपदी की नजर में स्वयंवर की शर्त पूरा कर सकता था वो ‘कर्ण' था, लेकिन कृष्ण और सभा के दबाव में द्रौपदी ने न चाहकर भी कर्ण को मना कर दिया था और कहा था कि वह सूत पुत्र के सात विवाह नहीं कर सकती। इसके बाद शुरू होता है द्रौपदी के त्याग और बलिदान का सफर जो चीरहरण के रूप में अपने चरम पर आकर खत्म होता है। इस प्रस्तुती से ये साबित होता है कि महाभारत के ज्वार में द्रौपदी भगवान का एक हथियार बन जाती है।