PNB व SBP में जमा हुई 29 करोड़ की अमान्य करंसी, बंटे 11 करोड़

12/31/2016 4:34:10 PM

भूना (पवन): चलन से बाहर हो चुके 500 व 1000 रुपए के नोटों को बैंकों में जमा करवाने के आखिरी दिन तक शहर के पंजाब नैशनल बैंक व स्टेट बैंक आफ पटियाला शाखा में कुल 29 करोड़ रुपए जमा हुए। जबकि उपरोक्त दोनों बैंकों ने नोटबंदी के बाद 11 करोड़ रुपए ग्राहकों में वितरित किए। स्टेट बैंक आफ पटियाला के शाखा प्रबंधक आर.एस. राठौड़ ने बताया कि नोटबंदी के बाद बैंक में 15 करोड़ रुपए पुरानी करंसी जमा हुई। कुछ खाताधारकों ने 70 लाख रुपए की मान्य करंसी भी जमा करवाई है। नोटबंदी के बाद 5 करोड़ रुपए ग्राहकों में वितरित किए जा चुके हैं। शुक्रवार को बैंक ने प्रति व्यक्ति 4 से 6000 रुपए के हिसाब से 10 लाख रुपए की राशि ग्राहकों में वितरित की। पंजाब नैशनल बैंक के शाखा प्रबंधक राहुल ने बताया कि 30 दिसम्बर तक 14 करोड़ रुपए की अमान्य करंसी भूना शाखा में जमा हुई जबकि 6 करोड़ रुपए वितरित किए जा चुके हैं। 

बैंक में सोमवार को 8 लाख रुपए की नकदी आई थी। जो ग्राहकों में बांट दी गई। शुक्रवार को बैंक में कैश नहीं आया। जिस कारण ग्राहक परेशान रहे। सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक में शुक्रवार को मात्र 12,000 रुपए ही जमा हुए। बैंक के प्रबंधक आर.डी. बिश्नोई ने बताया कि बैंक में शुक्रवार को बचत खाताधारक को 4,000 रुपए व करंट अकाऊंट होल्डर को 10,000 रूपए के हिसाब से 3 लाख रुपए ग्राहकों में वितरित किए गए। 

नहीं मिली लोगों को राहत:- भले ही प्रधानमंत्री ने जनता से 50 दिन कठिनाई झेलने का आह्वान किया हो लेकिन बैंकों में कैश की कमी व लग रही लम्बी लाइनों को देखकर नहीं लगता कि लोगों को जल्दी ही कठिनाइयों से राहत मिल पाएगी। बैंकों द्वारा किए जा रहे दावों को पब्लिक मन बहलाने वाला करार दे रही है। हालांकि बैंक प्रचुर मात्रा में कैश वितरण करने का दावा कर रहे हैं लेकिन लाइनों में खड़े लोग असंतुष्ट है। लोगों का कहना है कि वे पिछले 50 दिनों से सारा कामकाज छोड़कर बैंकों के आगे डटे हैं लेकिन जरूरत के अनुसार कैश नहीं मिल रहा। पैसे के अभाव में उनका जीवन अस्त-व्यस्त होकर रह गया है। 

एक तो उन्हें काम छोड़ना पड़ रहा है, दूसरा अपने ही पैसे के लिए बैंक कर्मियों की मिन्नत करनी पड़ रही है। आरोप है कि कर्मचारी कैश मुहैया करवाने में भेदभाव कर रहे हैं। आम ग्राहकों को ऊपर से कम कैश आने की बात कहकर 2,000 से 4,000 रुपए दे रहे हैं जबकि पूंजीपतियों व चहेतों को कैबिन के अंदर बैठाकर थोक में कैश मुहैया करवा रहे हैं। कैश के अभाव में सबसे ज्यादा समस्या मजदूर तबके के समक्ष आ रही है। उन्हें समय पर दिहाड़ी नहीं मिल पाती और उनके परिवार साहूकारों के अधीन होकर रह गए हैं। लोगों ने नोटबंदी के बाद से अब तक का सभी बैंकों का रिकार्ड चैक करवाने की मांग की है, ताकि असलियत सामने आ सके।

ए.टी.एम्स में नहीं है कैश:- शहर के लगभग सभी बैंकों के ए.टी.एम्स में कैश नहीं है। कैश न होने के कारण ए.टी.एम. पर सन्नाटा छाया रहता है। विभिन्न विभागों के कर्मचारी ए.टी.एम. पर नकदी निकालने के लिए आते हैं लेकिन ए.टी.एम्स में कैश न होने के चलते उन्हें बैरंग लौटना पड़ता है। कैशलैस की आड़ में आजादी छीनने का आरोप:-लोगों का आरोप है कि सरकार कैशलैस की आड़ में उनकी आजादी छीनने का प्रयास कर रही है। नकदी के अभाव में उन्हें प्रत्येक वस्तु महंगे दामों पर खरीदनी पड़ रही है। उन्होंने राजनीतिक पाॢटयों को दिए जाने वाला चंदा भी बैंकिंग के जरिए देने व शुरूआत सत्ताधारी दल से करने की मांग की है।