स्कूल द्वारा अभिभावकों को ‘लूटने’ के लिए लागू किया नया ड्रैस कोड

11/15/2016 1:12:42 PM

सिरसा: अभिभावकों की जेब काटने के लिए प्राइवेट स्कूल संचालक नए-नए हथकंडे अपनाते रहते हैं। बच्चों को एक निर्धारित दुकान से ही स्टेशनरी, वर्दी आदि सामान खरीदने को बाध्य किया जाता है। मोटा कमीशन कमाने के लालच में प्राइवेट स्कूल संचालक बच्चों के अभिभावकों की जेब खाली करने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देते। 

 

जानकारी के अनुसार बरनाला रोड स्थित डी.ए.वी. स्कूल का ऐसा ही एक कारनामा उजागर हुआ है। मौजूदा शैक्षणिक सत्र समाप्त होने को 3 माह ही शेष रह गए हैं। बच्चे किसी दूसरे स्कूल में एडमिशन न ले सकें, इसके लिए स्कूल प्रबंधन ने अभी से ही स्कूल में नया ड्रैस कोड लागू कर दिया है। साथ ही बच्चों पर यह दबाव डाला गया है कि वे ये ड्रैस सुभाष चौक के पास गली तेलियांवाली स्थित एक ड्रैस विक्रेता से ही खरीदें। 

 

दरअसल स्कूल प्रबंधन ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। एक तो यह है कि उक्त दुकान से ड्रैस खरीदने के बदले स्कूल प्रबंधकों को मोटा कमीशन मिलेगा और दूसरा यह है कि नया ड्रैस कोड लागू होने से अगले सत्र में भी अभिभावक अपने बच्चों को दूसरे स्कूल में भेजने की नहीं सोचेंगे। अनेक अभिभावकों ने डी.ए.वी. स्कूल के इस तुगलकी फरमान का कड़ा विरोध जताया है। एक बच्चे के अभिभावक मनीष ने बताया कि गत मार्च में एडमिशन करवाते वक्त बच्चे को नई ड्रैस दिलवाकर दी थी और इसके कुछ ही समय बाद मसलन गर्मियों की छुट्टियों के बाद फिर से नई ड्रैस लागू कर दी गई। यही नहीं अब सर्दी के चलते जैकेट भी बदल दी गई है। 

 

अहम बात ये है कि इस जैकेट का स्थानीय विक्रेता द्वारा तैयार किया गया डिजाइन डी.ए.वी. के पैट्रन से काफी भिन्न है लेकिन अभिभावकों ने कहा कि उन्हें जबरन उक्त विक्रेता के पास से ही यह ड्रैस लाने को कहा जा रहा है। अभिभावक ने बताया कि महंगाई के इस दौर में स्कूल द्वारा इस तरह बार बार नया ड्रैस कोड लागू करना सरासर ज्यादती है।

 

इस संदर्भ में डी.ए.वी. स्कूल के प्रिंसिपल राजीव उतरेजा ने कहा कि यह ड्रैस कोड हमने नहीं बल्कि स्कूल की हायर अथॉरिटी द्वारा लागू किया गया है। उन्होंने इस बात से इंकार किया कि अभिभावकों को एक निर्धारित दुकान से ड्रैस खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उतरेजा ने कहा कि अभिभावक जहां से चाहे वहीं से ड्रैस खरीद सकते हैं।