सरबत खालसा में गतिरोध डाला तो मोगा में बादल की रैली नहीं होने देंगे: दादूवाल

12/4/2016 12:02:23 PM

सिरसा (नवदीप सेतिया): तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार संत बलजीत सिंह दादूवाल का कहना है कि 8 दिसम्बर को तलवंडी साबो में प्रस्तावित सरबत खालसा को लेकर बादल सरकार का रवैया नकारात्मक है। इससे पहले भी नवम्बर माह में होने वाले सरबत खालसा कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया था, पर अब ये कार्यक्रम होकर रहेगा। 

उन्होंने कहा कि अगर सरबत खालसा में सरकार ने किसी तरह की रुकावट डाली तो वे और सिख संगत भी 8 दिसम्बर को मोगा में होने वाली शिरोमणि अकाली दल की रैली नहीं होने देंगे। सतलुज-यमुना लिंक नहर पर पंजाब व हरियाणा में चल रहे सियासी घमासान पर संत दादूवाल ने कहा कि वे जत्थेदार हैं और जत्थेदार सभी सिखों के होते हैं, वे चाहे पंजाब में बसते हों, हरियाणा में बसते हों या फिर विदेश में। हरियाणा का हक उसे मिले और पंजाब का पंजाब को। दादूवाल ने कहा कि बादल सिख विरोधी डेरे से जुड़े हैं। पंजाब में स्थिति बेहद नाजुक है। उन्हें धार्मिक कार्यक्रम नहीं करने दिए जाते। वे जहां जाते हैं, गाड़ी में 2 बिस्तर साथ लेकर चलते हैं पता नहीं कब पुलिस हिरासत में ले ले। दशम पातशाही गुरुद्वारा साहिब में पत्रकारों से बातचीत में दादूवाल बादल पिता-पुत्र पर तल्ख टिप्पिणयां कीं। 

उन्होंने आरोप लगाया कि बादल ने पंजाब की किसानी को कर्ज में और जवानी को नशे में धकेल दिया है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से प्रकाश सिंह बादल एवं सुखबीर बादल का कब्जा हटवाने के लिए वे मुहिम चला रहे हैं। बादल ने तमाम कमेटियों का सियासीकरण कर दिया है। उन्होंने कहा कि सिख संगत की इच्छा के विपरीत 24 सितम्बर, 2015 को जत्थेदारों ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख का माफीनामा स्वीकार कर लिया। पर बाद में इसे वापस ले लिया। यह सब वोट लेने के लिए बादल के कहने पर किया गया।

उन्होंने कहा कि सरबत खालसा सभी के भले और आपसी भाईचारे के लिए होता है। बादल सरकार इसका विरोध कर रही है। अगर लोकतांत्रिक देश में बादल को सियासी रैली करने का अधिकार है, वैसे ही उन्हें सरबत खालसा करने का संवैधानिक अधिकार है। इस सरबत खालसा में अहम एवं मुख्य एजैंडे शामिल किए जाएंगे। इस कार्यक्रम में पांचों तख्तों के जत्थेदारों के अलावा लाखों की संख्या में सिख संगत पहुंचेगी। उन्होंने कहा कि बादल सरकार ने दस सालों में पंजाब को बहुत पीछे धकेल दिया है। 90 बार पंजाब में श्री गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी हुई है। उन्होंने एक प्रश्र के जवाब में यह भी कहा कि धर्म का बाजारीकरण एवं सियासीकरण नहीं होना चाहिए। 

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बादल की शह पर पंजाब में केबल, लैंड और रेता-बजरी माफिया पनपा। किसानी और जवानी कर्ज और नशे में धकेल दी। इन सबसे मुक्ति के लिए मुहिम चला रहे हैं और यह सारे एजैंडे सरबत खालसा में रखे जाएंगे। उन्होंने आसन्न विधानसभा चुनाव में स्वयं के स्टैंड पर कहा कि सरबत खालसा का विरोध शिरोमणि अकाली दल से है। स्वतंत्र शिरोमणि अकाली दल, अकाली दल 1920, शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) सरीखी सियासी जत्थेबंदिया सरबत खालसा में सहयोग करती हैं। जो अच्छा काम करेगा, जत्थेदार उसके पक्ष में वोट का आह्वान अवश्य करेंगे।