हरियाणा के कृषि मंत्री शाम सिंह राणा का पंजाब में किसानों के आंदोलन पर किसी भी मीडिया हाउस से पहला इंटरव्यू

punjabkesari.in Tuesday, Dec 17, 2024 - 08:50 PM (IST)

चंड़ीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी) : एमएसपी पर कानून बनाने समेत अन्य मांगों को लेकर हरियाणा-पंजाब की सीमा पर किसानों की ओर से किए जा रहे आंदोलन के बीच हरियाणा सरकार की ओर से किसानों के हित में किए जा रहे कार्यों को लेकर हमने कृषि मत्री श्याम सिंह राणा से बातचीत की। 

पिछले कईं महीनों से पंजाब में चल रहे किसान आंदोलन के दौरान किसी भी मीडिया हाउस के लिए हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने एक्सक्लूसिव बातचीत की। इस दौरान कृष्ण मंत्री ने प्रदेश सरकार की ओर से किसानों के हित में किए जा रहे कार्यों के साथ-साथ उनके लिए चलाई जा रही योजनाओं की भी विस्तार से जानकारी दी। राणा ने बताया कि क्यों हरियाणा का किसान इस आंदोलन में शामिल नहीं है। इसके अलावा किसानों को मिलने वाले समर्थन को लेकर भी उन्होंने खास वजह बताई। श्याम सिंह राणा से क्या बातचीत हुई, आप भी जानिए ?

सवालः-किसानों ने ट्रैक्टर मार्च के बाद अब 18 दिसंबर को रेल रोकने की बात कही है। हालांकि रेल पंजाब में रोकी जाएगी, लेकिन ट्रैक्टर मार्च का हरियाणा में कितना असर रहा ?

जवाबः-देखिए, रास्ता रोकने, रेल रोकने या सड़क रोकने से विकास कार्य बाधित होता है। लोगों को भी परेशानी होती है। परंतु हरियाणा में इस प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है। यहां सारी फसलें एमएसपी पर खरीदी जाती है और 72 घंटे में किसान को उसकी फसल का भुगतान भी हो जाता है। किसी को भी कोई परेशानी नहीं होती। अब यह मुद्दा पंजाब का है, इसलिए वहां की सरकार को इसे देखना चाहिए।

सवालः-हरियाणा में ट्रैक्टर मार्च का कितना असर रहा ?

जवाबः-हरियाणा में किसी भी किसान ने परेशानी या दिक्कत की वजह से किसी ने भी ट्रैक्टर मार्च नहीं किया, बल्कि भाईचारे के चलते इक्का-दुक्का किसी ने निकाला होगा।

सवालः-जगजीत सिंह डल्लेवाल को आमरण अनशन करते हुए 21 दिन हो चुके हैं। ऐसे में आप पंजाब सरकार से क्या अपील करते हैं ?

जवाबः-देखिए स्वास्थ्य की चिंता तो करनी चाहिए। हरियाणा और पंजाब में बहुत अंतर है। यहां किसान अपनी बात अपने विधायक, सांसद और मुख्यमंत्री तक से कर लेता है। मेरे पास भी कई किसान संगठन आते हैं, मैं भी उनकी बात सुनता हूं और जितना हो पाता है, उसे पूरा भी करता हूं। इसीलिए चुनाव होते हैं कि जनता के नुमाइंदे उनकी बात को सुने। इसलिए पंजाब में भी किसानों को उनके बात करनी चाहिए, उनके माध्यम से ही रास्ता निकलेगा।

सवालः-पहले भी रोक रोकी गई थी। उस समय 3500 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था।

जवाबः-जहां भी प्रदर्शन या आंदोलन होगा, उस प्रदेश और आंदोलन करने वाले दोनों का ही नुकसान होता है। पंजाब में जहां रास्ते रोके हुए है। वहां की इंडस्ट्री धीरे-धीरे दूसरे प्रदेशों में जा रही है। कईं राइस मिलर्स और कुछ अन्य उद्योग बिहार और यूपी समेत अन्य राज्यों में जा रहे है। इससे उस प्रदेश का ही नुकसान होता है, जहां आंदोलन चल रहा होता है। जहां ठीक ठीक वातावरण रहता है। व हां विकास हो जाता है। इन सबसे विकास वाधित होता है। प्रदेश का नुकसान होता है। किसान भाई भी इस बात को अच्छे से जानते हैं। इस पर उन्हें गौर करना चाहिए।

सवालः-कानून व्यवस्था ना बिगड़े इसलिए हरियाणा पुलिस भी चौकसी बरतते हुए अपनी नजर बनाए हुए हैं। किसान दिल्ली जाना चाहते हैं, लेकिन पुलिस उन्हें परमिशन नहीं होने की बात कहकर नहीं जाने देती।

जवाबः- देखिए, प्रशासन अफना काम देखता है। पुलिस की भी जो जिम्मेदारी है, वह अपना काम कर रही है।

सवालः-हरियाणा में नायब सिंह पार्ट-2 की सरकार ने किसानों के लिए क्या-क्या किया है ?

जवाबः- हरियाणा सरकार ने किसानों के लिए बहुत कुछ किया है। देश में 37 राज्य है। हरियाणा भी देश का एक कृषि प्रधान राज्य है। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने सबसे पहले 24 फसलों की एमएसपी पर खरीद शुरू की। हालांकि कुछ फसलें हरियाणा में नहीं होती है, लेकिन यदि कोई किसान भाई उन फसलों की खेती करता है तो उन्हें भी एमएसपी पर खरीदा जाएगा। सूखे और बाढ़ से हुए नुकसान पर भी सरकार से मदद मिलती है। पिछले साल काफी सूखा रहा। इस पर हर किसान को 2 हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा राशि दी  गई। पूरे भारत में हरियाणा में ही किसानों को मुआवजे के तौर पर 12 हजार करोड़ रुपए देकर उनकी मदद करने का काम सरकार ने किया। केंद्र की ओर से किसान निधि के जरिए भी किसानों की मदद की जा रही है। इसके साथ ही हर साल फसलों के एमएसपी बढ़ते है। उसी के आधार पर फसलों की बिक्री होती है। आज गन्ना 400 रुपए क्विंटल है। गेहूं, धान और अन्य फसलों के भी दाम बढ़ते है। मेरी फसत, मेरा ब्योरा डीबीटी के माध्यम से 12 लाख किसानों के खातों में फसल खरीद के 1 लाख 25 हजार करोड़ रुपये डाले गए। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत पात्र छोटे किसानों को 6000 रुपये वार्षिक दिए जाते हैं। अब तक 20 लाख किसानों के खातों में 6100 करोड़ रुपये से अधिक राशि ट्रांसफर की गई है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अब तक 33 लाख से अधिक किसानों को 8600 करोड़ रुपये से अधिक बीमा क्लेम के रूप में दिए जा चुके हैं। यह हरियाणा की डबल इंजन सरकार है कि प्राकृतिक आपदा से फसलें नष्ट होने पर किसानों की 13000 करोड़ रुपये से अधिक की मुआवजा राशि दी जा चुकी है, जबकि पिछली सरकार के 10 साल के कार्यकाल में मात्र 1158 करोड़ रुपये की राशि मुआवजे के रूप में दी गई थी। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अब तक 33 लाख से अधिक किसानों को 8600 करोड़ रुपये से अधिक बीमा क्लेम के रूप में दिए जा चुके हैं। यह हरियाणा की डबल इंजन सरकार है कि प्राकृतिक आपदा से फसलें नष्ट होने पर किसानों की 13000 करोड़ रुपये से अधिक की मुआवजा राशि दी जा चुकी है, जबकि पिछली सरकार के 10 साल के कार्यकाल में मात्र 1158 करोड़ रुपये की राशि मुआवजे के रूप में दी गई थी। 


सब्जियों व फलों की खेती करने वाले किसानों को बाजार भाव के अंतर की भरपाई के लिए भावांतर भरपाई योजना शुरू की गई। इसके तहत 16 हजार किसानों को 64 करोड़ रुपये की राशि दी जा चुकी है। अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे आवियाने को जड़ से खत्म किया तथा 134 करोड़ रुपये का बकाया आवियाना भी माफ किया। बारिश कम होने से किसानों के आर्थिक बोझ को कम करने के लिए खरीफ फसतों के लिए 2 हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से 825 करोड़ रुपये की बोनस राशि जारी की। गन्ने का भाव बढ़ाकर 386 रुपये प्रति क्रिटत तक किया गया है। पहले विधानसभा सत्र में ही किसान हित में 3 नए कानून बनाए हरियाणा कृषि भूमि पट्टा विधेयक-2024 पारित करके पट्टेदार किसानों और भूमि मालिकों के बीच विश्वास बहाली का काम किया है। ईस्ट पंजाब पुटित्ताइजेशन ऑफ लैंड एक्ट-1949 के तहत शामलात भूमि पर 20 वर्षों से काविळ कृषक पट्टेदारों को उस भूमि का मालिकाना हक दिया है।
सवालः-किसानों की प्रमुख मांग है कि एमएसपी पर कानून बनाया जाए।

जवाबः-किसानों की फसल एमएसपी पर ही खरीदी जा रही है। यदि कहीं नहीं मिल रहा है तो बात होगी ना।

सवालः- इनेलो नेता अभय़ सिंह चौटाला और कुछ अन्य खापों ने किसानों के आंदोलन को अपना समर्थन दिया है।

जवाबः-अभय चौटाला भी किसान है और हम भी किसान है। हमारे मन में भी है कि किसी का कोई नुकसान ना हो। यदि कोई बीमार हो तो उसका हालचाल पूछना देश की परंपरा है। कोई विरोधी भी बीमार हो जाए तो हम उसका भी हाल पता करते हैं। यह हमारे विरोधी नहीं, बल्कि किसान भाई है। इसलिए मानवता के नाते उनका हालचाल पूछना बनता है।


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Content Writer

Yakeen Kumar

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