आज 54 साल का हुआ म्हारा हरियाणा, जानिए कैसा रहा इसका इतिहास

11/1/2020 11:44:20 AM

डेस्कः हरियाणा को पंजाब से 1966 में अलग किया गया था। हरियाणा आज अपना 54वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है।  भारतीय राजधानी दिल्ली के तीन तरफ भी हरियाणा की सीमाएं लगी हैं। जिसकी वजह से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली का एक बड़ा हिस्सा हरियाणा में शामिल है। हरियाणा प्रदेश की राजधानी चंडीगढ़ है जो कि एक केंद्र शासित प्रदेश होने के साथ साथ पंजाब की भी राजधानी है। हालांकि हरियाणा अब पंजाब का एक हिस्सा नहीं है पर यह एक लंबे समय तक ब्रिटिश भारत मे पंजाब प्रांत का एक भाग रहा है और इसके इतिहास में इसकी एक महत्वपूर्ण भूमिका है। हरियाणा के बनावाली फतेहाबाद जिले में और राखीगढ़ी, जो की हिसार में हैं, सिंधु घाटी सभ्यता का हिस्सा रहे हैं, जो कि 5000 साल से भी ज्यादा पुराने हैं।

22 दिसम्बर 1953 में न्यायाधीश फजल अली की अध्यक्षता में पहले राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन हुआ। इस आयोग ने 30 सितंबर 1955 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस आयोग के तीन सदस्य- जस्टिस फजल अली, हृदयनाथ कुंजरू और केएम पाणिक्कर थे। 1955 में इस आयोग की रिपोर्ट आने के बाद ही 1956 में नए राज्यों का निर्माण हुआ और 14 राज्य व 6 केन्द्र शासित राज्य बने।

सिंधु घाटी जितनी पुरानी है तो वहीं कई सभ्यताओं के अवशेष सरस्वती नदी के किनारे पाए गए हैं। जिनमें नौरंगाबाद और मिट्टाथल भिवानी में, कुणाल फतेहाबाद मे, अग्रोहा और राखीगढी़ हिसार में, रूखी रोहतक में और बनावाली फतेहाबाद जिले में प्रमुख है। प्राचीन वैदिक सभ्यता भी सरस्वती नदी के तट के aपास फली फूली है। ऋग्वेद के मंत्रों की रचना भी यहीं से हुई है। जवाहर लाल नेहरू भाषाई आधार पर राज्यों के गठन का विरोध करते रहे थे। लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता पोट्टी श्रीरामालू की मद्रास से आंध्र प्रदेश को अलग किए जाने की मांग को लेकर 58 दिन के आमरण अनशन के बाद मौत और संयुक्त मद्रास में कम्युनिस्ट पार्टियों के बढ़ते वर्चस्व ने उन्हें अलग तेलुगू भाषी राज्य बनाने पर मजबूर कर दिया था।


बंटवारे के बाद बने 2 राज्य
फिर 1960 में पुनर्गठन का दूसरा दौर चल पड़ा। लिहाजा 1960 में बंबई राज्य को तोड़कर महाराष्ट्र और गुजरात बनाए गए। 1966 में पंजाब का बंटवारा हुआ और हरियाणा और हिमाचल प्रदेश दो नए राज्यों का गठन हुआ। इसके बाद अनेक राज्यों में बंटवारे की मांग उठती रही। लेकिन कांग्रेस ने अपने राजनीतिक हितों को ध्यान में रखकर बड़े राज्यों के विभाजन पर विचार-विमर्श किया। फिर क्या बस जरूरत होने पर ही धीरे-धीरे इन्हें स्वीकार किया गया।

Isha