संतों-महापुरुषों के विचारों को जन-जन तक पहुंचा रहे हरियाणा के मुख्यमंत्री

6/12/2022 4:52:53 PM

चंडीगढ़( चन्द्र शेखर धरणी): हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल पर संतों-महापुरुषों के विचारों का गहरा प्रभाव है। वे खुद भी एक संत और फ़क़ीर की तरह अपनी जिंदगी जीते हैं। संतों और महापुरुषों के विचारों का अनुसरण करते हुए मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार के माध्यम से प्रदेश के लोगों के कल्याणार्थ विभिन्न योजनाएं एवं कार्यक्रम संचालित कर रहे हैं। अपने इसी संतरूपी और फ़क़ीरी वाले स्वभाव का परिचय देते हुए श्री मनोहर लाल ने आज मुख्यमंत्री निवास का नाम भी "संत कबीर कुटीर" कर दिया है। देश के इतिहास में ऐसा पहली बार है जब किसी राज्य के मुख्यमंत्री निवास का नाम बदलकर किसी संत के नाम पर रखा गया हो।

मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने अपना जीवन पूरी तरह से समाज सेवा को समर्पित कर दिया है। मुख्यमंत्री सादा जीवन जीना पसंद करते हैं। मुख्यमंत्री प्रदेश में सामाजिक समरसता व एकता के लिए लगातार कार्य कर रहे हैं। संत कबीर दास जी की तरह मुख्यमंत्री जाति-पाति में विश्वास नहीं रखते। उनका उद्देश्य समाज में भाईचारा और समरसता की भावना को मज़बूत करना है। जाति-पाति से ऊपर उठकर उन्होंने 'हरियाणा एक-हरियाणवी एक' का संकल्प लिया है। उनका कहना है कि सभी जाति-पाति के भेदभाव को भूलकर मानवमात्र से प्रेम करने का संकल्प लें।

संतों के विचारों पर चलने वाले मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने 'संत-महापुरुष विचार सम्मान एवं प्रसार योजना' शुरू कर महान विभूतियों की शिक्षाएं जन-जन तक पहुंचाने का काम किया है। मुख्यमंत्री अंत्योदय की भावना के साथ समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति की समस्या का समाधान करने में लगे हुए हैं। उनके नेतृत्व में हरियाणा सरकार गरीब, पीड़ित और वंचित को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। 

मनोहर लाल राजनीति में आने से पहले से समाजसेवा कर रहे थे और राजनीति में आने के बाद भी समाजसेवा में जुटे हुए हैं। उन्होंने बचपन में ही यह ठान लिया था कि वे अपना जीवन अपने या अपने परिवार के लिए नहीं बल्कि समाज के लिए समर्पित करेंगे। इसी विचार के साथ वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में आ गए और वहॉं प्रचारक के तौर पर समाज सेवा का कार्य किया। वे प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए लगातार प्रयासरत है। मुख्यमंत्री अपना ज्यादातर समय प्रदेश की सेवा में लगाते हैं।  मुख्यमंत्री दिन-रात प्रदेश के लोगों के कल्याण के लिए सोचते हैं और उनके लिए अपना परिवार भी नहीं बनाया। वे कहते हैं कि ढाई करोड़ हरियाणवी उनका परिवार हैं। उन्होंने उनके हिस्से आई परिवारिक खेती की जमीन भी समाज के नाम दान करके यह सिद्ध किया था कि उनके लिए खुद या परिवार से पहले समाज आता है।

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Isha