हरियाणा चुनाव: निर्दलीय उम्मीदवार बिगाड़ सकते हैं गेम, डालें इतिहास पर नजर

10/19/2019 2:09:19 PM

डेस्क: हरियाणा विधानसभा चुनाव में कुछ प्रभावशाली निर्दलीय प्रत्याशी भी मुकाबले में बने दलों के प्रत्याशियों का गेम बिगाडऩे को बेताब है। ये निर्दलीय प्रत्याशी जीतें या हारें वो अलग बात है, मगर कुछ सीटों पर ये प्रभावशाली निर्दलीय प्रत्याशी समीकरण जरूर बिगाड़ सकते हैं। लिहाजा मुख्य मुकाबले में बने विभिन्न दलों के प्रत्याशी अपनी सीटों पर लड़ रहे निर्दलीयों की सक्रियता और उनके पक्ष में मौजूदा समीकरणों को भांपते हुए चुनाव के आखिरी दौर में अपनी रणनीति बदलकर आगे बढ़ रहे हैं।

हरियाणा विधानसभा चुनाव का इतिहास यदि देखें तो हर चुनाव में कुल मिलाकर 116 निर्दलीय प्रत्याशी जीतकर विधानसभा की दलहीज तक पहुंचे हैं। सन 1967 व 1982 के विधानसभा चुनाव में तो 16-16 निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी। जबकि वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में ही देखें तो पूंडरी, समालखा, पुन्हाना, कलायत, सफीदों विधानसभा सीटों से पांच निर्दलीय प्रत्याशी जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इस बार भी ये निर्दलीय प्रत्याशी फिर से मैदान में हैं और इन सीटों पर समीकरणों उलझाए हुए हैं।

दूसरी ओर, इनके अलावा इस बार बीस से अधिक विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां भाजपा और कांग्रेस के बागी हुए विधायकों नेता ने बतौर निर्दलीय ताल ठोक रखी है। यह सभी बागी भाजपा और कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लडऩे के इच्छुक थे। मगर ऐनवक्त पर इन नेताओं का टिकट कटने के बाद इन्होंने खुली बगावत का ऐलान करते हुए ये नेता बतौर निर्दलीय प्रत्याशी ही चुनावी जंग में कूद गए। अब इन सीटों पर इन बागी निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी समीकरणों का गणित उलझा रखा है।

हालांकि कांग्रेस ने तो अपने 17 बागियों को पार्टी से निष्कासित कर उनके खिलाफ कड़ा एक्शन ले लिया है। मगर भाजपा ने अभी कुछेक बागियों के खिलाफ ही कार्रवाई की है। बहरहाल, अब देखना यह है कि निर्दलीय प्रत्याशियों की मेहतन क्या रंग लाती है।

Edited By

vinod kumar