सरकार के दावे फेल, एडवांस सैलरी देने का ऐलान मात्र ढकोसला

12/3/2016 1:49:54 PM

फतेहाबाद: बीती 8 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कालेधन पर रोक लगाने के लिए नोटबंदी के बाद से सरकार रोजाना नए नियम लागू कर रही है जिसके चलते आम जनता को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं बैंकों की कतार में सुधार नहीं हो पा रहा। 

 

सरकारी कर्मचारियों को सहूलियत देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कर्मचारियों को 10 दिन की एडवांस सैलरी देने का भी ऐलान किया और यह एडवांस सैलरी अगले महीने की सैलरी से काटी जानी थी, मगर प्रधानमंत्री द्वारा किया गया यह ऐलान मात्र ढकोसला साबित हुआ। रोडवेज के सरकारी कर्मचारियों को कोई एडवांस सैलरी नहीं दी जा रही। 

 

रोडवेज संघ के जिला उपप्रधान शिव कुमार ने बताया कि इस सैलरी के बारे में रोडवेज महाप्रबंधक से बात की गई तो उन्होंने इस बात को साफ इंकार करते हुए कहा कि रोडवेज विभाग के पास कोई बजट नहीं है जिससे कि रोडवेज कर्मचारियों को एडवांस तनख्वाह दी जाए। 

 

सैलरी व पैंशन न मिलने से कर्मचारी वर्ग में निराशा
खेती या मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पालने वाले लोगों ने ऐसा क्या गुनाह कर दिया कि उन्हें कई-कई दिनों से बैंकों के बाहर लाइन में खड़े रहना पड़ रहा है। काम धंधे चौपट हो चुके हैं। घर में ही लोग एक-दूसरे को चोर कह रहे हैं। आंखों में आंसू लिए लोग मोदी की जय जयकार करने को मजबूर हैं। कुछ ने कुछ भी बोल दिया तो उसकी देशभक्ति पर ही सवाल खड़ा हो जाता है। खेती करने वाला किसान, मजदूर, पशुपालक, रेहड़ी-रिक्शा चालक, पल्लेदार, छोटे कर्मचारी, व्यापारी सहित करोड़ों लोगों का धंधा चौपट हो चुका है। यह बात रिटायर्ड कर्मचारी एवं सर्व कर्मचारी संघ के पूर्व जिला प्रधान बेगराज ने कही। बेगराज ने बताया कि वे स्वयं 2 दिनों से बैंक के बाहर लाइन में लगे हैं लेकिन इसके बावजूद उन्हें पैंशन नहीं मिली। पहले दिन लाइन इतनी लंबी थी कि उनका नंबर नहीं आया और दूसरे दिन जब नंबर आया तो कैश खत्म हो गया।   

 

बुजुर्गों व पैंशनधारकों को हो रही परेशानी
हालांकि बुजुर्गों व पैंशनधारकों के लिए बैंकों को अलग से काऊंटर लगाने चाहिए लेकिन ऐसा न होकर एक ही काऊंटर से सभी को नकदी दी जा रही है जिसके कारण बुजुर्गों व पैंशनधारकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सुबह से लेकर बैंक में कैश खत्म होने तक लाइनों में लगना पड़ता है और जब तक बारी आती है, तब तक कैश खत्म हो जाता है। इसी के चलते उन्हें अगले दिन भी लाइनों में खड़ा होना पड़ रहा है। बुजुर्गों ने आरोप लगाया कि बैंक कर्मचारी मिलीभगत से बड़ी रकम पुराने जिनके खाते है या लिमिट है, उन्हीं को नकदी देते हैं जबकि उन्हें कैश खत्म होने का हवाला देकर वापस भेज देते हैं। शुक्रवार को भी कुछ बैंकों में कैश आया, मगर कुछ घंटों में ही कैश खत्म हो गया।