हरियाणा सरकार ने मानसरोवर यात्रा पर गए 51 लोगों को बचाया, IAS रेणु ने जताया आभार

7/9/2018 1:39:42 PM

चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी): कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर गए 51 लोगों को हरियाणा सरकार ने बचा लिया है। हरियाणा सरकार की आईएएस अधिकारी महिला व बाल कल्याण विभाग की वरिष्ठ अधिकारी रेणु फुलिया जो 51 लोगों के साथ कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर गई हुई थी, हरियाणा सरकार द्वारा मिली मदद से  भेजे हेलीकॉप्टर से एयरलिफ्ट करवा सुरक्षित निकाल लिए जाने के बाद पंचकूला अपने घर पहुंच गई हैं। सुरक्षित घर वापसी के लिए रेनू फुलिया ने चीफ सेक्टरी हरियाणा, मुख्यमंत्री, एसीएस महिला व बाल कल्याण विभाग पी के महापात्र, भारत सरकार, नेपाली एम्बेसी का आभार व्यक्त किया।

रेणु फुलिया ने बताया कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा में मोबाइल नेटवर्क ने अगर साथ न दिया होता तो वह व उनके साथी घर वापिस नहीं पहुंच पाते।  फुलिया के अनुसार   कैलाश मानसरोवर की यात्रा नेटवर्क बहुत सी जगह काम नहीं करता। उनका बेटा भी इस यात्रा में उनके साथ था,जिसने मोबाइल के माध्यम से कनेक्टिविटी मिलते ही सूचित किया। 
     
रेणु फुलिया ने सुरक्षित घर पहुंचने के बाद बताया कि वह लोग 25 जून को यहां से लखनऊ अौर फिर नेपाल गंज गए, जहां से उन्हें सिमी कोट के लिए उड़न भरनी थी।वहां मौसम बहुत ख़राब था, जिसके कारण से थोड़ी परेशानी हुई व 26 जून की जगह 29 जून को वहां से टेकअप कर पाए। चीन का बॉर्डर पार करके मानसरोवर और   कैलाश पर्वत की यात्रा की। वहां से यात्रा पूरी करके जब वापिस आए तो पता लगा की नेपाल की एक जगह हिंसा है जहां चार-पांच दिन की लगातार बारिश से काफी लोग फंसे हुए हैं। वहां पर कोई भी हेलीकॉप्टर या चॉपर टेक-ऑफ नहीं कर पा रहा। वहां ठहरने व खाने की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी। वहां 1000 के करीब लोग फंसे हुए थे।तब उन्होंने अपने विभाग के एसीएसपी के महापात्र से बात की उनके सुझाव पर उन्होंने वहां से चीफ सेक्ट्री हरियाणा को मेसेज किया। जिन्होंने रेजिडेंट कमिश्नर हरियाणा भवन को मेसैज दिया। रेजिडेंट कमिशनर हरियाणा भवन ने उन्हें फोन कर बताया की नेपाल एम्बेसी से उनकी बातचीत हो गई है। उसके बाद नेपाल एम्बेसी से भी फोन आया तो उन्हें सारी स्थिति बताई गई। तीन दिनों बाद उन्हें वहां से निकाला गया।

रेणु फुलिया ने बताया की हिंसा से हेलीकॉप्टर से उन्हें सिमिकोट लाया गया, जहां इंडियन एम्बेसी के लोग मिले जो कार्गो का बड़ा हेलीकॉप्टर लेकर आए हुए थे। उन्होंने एयर लिफ्ट करके मिलेट्री एयरपोर्ट पर सुर्खेत में ड्राप किया। तब नेपाल के एयरपोर्ट में भी भरी बारिश के कारण पानी भरा हुआ था। सुर्खेत से सड़क मार्ग से इन लोगों ने नेपालगंज पहुंचकर लखनऊ तक सड़क मार्ग ही अपनाया। इनके अनुसार चीफ सेक्ट्री हरियाणा ने तुरंत कार्यवाही की और डीओ लेटर भी लिखा। इन लोगों का ग्रुप 51 लोगों का था। इन लोगों के लिए सुखद स्थिति यह भी है कि यह सभी कैलाश मानसरोवर के दर्शन करके लौटें हैं।
 
रेणु  के अनुसार कैलाश मानसरोवर यात्रा के पूरे रस्ते में छोटे-छोटे कमरे हैं, जिनमे 8 से 10 लोगों को एक साथ रुकना पड़ता है अौर कम्बाइन्ड टॉयलेट हैं। ट्रेवल एजेंट जो बताते हैं वह सुविधाएं वहां जरूर हैं। आस-पास कोई भी आबादी नहीं है। इनकी टीम के सभी 51 लोग एक परिवार की तरह से हर दुःख सुख में एक साथ रहे।  कैलाश पर्वत की यात्रा अत्यंत दुर्गम व कठिन है। इनकी सलाह है कि बजुर्ग लोग इसकी यात्रा न करें क्योंकि अॉक्सीजन की कैलाश मानसरोवर यात्रा पर भरी कमी रहती है। वह लोग भी अपने साथ दो आक्सीजन सिलेंडर खरीद कर ले गए थे। भारत सरकार भी 70 साल से अधिक आयु के व्यक्ति को  कैलाश मानसरोवर की यात्रा की अनुमति नहीं देती लेकिन कुछ ट्रेवल एजेंट ऐसा करते हैं जो गलत है।

रेणु ने बताया कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर हर शाम यात्री का अॉक्सीजन लेबल चेक किया जाता है। अगर किसी का 70 प्रतिशत से कम होता है तो उसे कैलाश मानसरोवर की यात्रा  की आगे अनुमति नहीं मिलती। इनकी टीम की सहायता सयोगवश यूएसए व रूस से आए डॉक्टर्स की अलग-अलग दो टीमों ने भी की।

Nisha Bhardwaj