हरियाणा सरकार का दिल्ली प्रवास भी रहा बेअसर

2/12/2020 11:06:41 AM

चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री, उप-मुख्यमंत्री, मंत्री और  अन्य नेताओं ने दिल्ली विधानसभा चुनाव दौरान वहीं डेरा लगाया हुआ था। ऐसा लगता था कि राज्य के साथ लगती सीटों पर नेताओं का असर दिखाई देगा लेकिन दिल्ली प्रवास बेअसर रहा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल से लेकर गृह मंत्री अनिल विज तक भाजपा के लिए बड़े-बड़े दावे कर रहे थे लेकिन कसौटी पर खरे नहीं उतर पाए। माना जा रहा है कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी की जीत का असर प्रदेश की राजनीति के साथ-साथ भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की भविष्य की योजनाओं पर भी दिखाई दे सकता है।

हाईकमान ने 33 पार्टी नेताओं की लगाई थी ड्यूटी
दिल्ली विधानसभा चुनाव दौरान हाईकमान ने हरियाणा से 4 पूर्व मंत्रियों, 9 विधायकों सहित कुल 33 भाजपा नेताओं की जिम्मेदारी लगाई थी। इनमें पूर्व मंत्री कै.अभिमन्यु, पूर्व मंत्री ओम प्रकाश धनखड़, मनीष ग्रोवर, कर्णदेव कंबोज और कृष्ण लाल पंवार जैसे नेता भी शामिल थे।

मुख्यमंत्री ने 26 विधानसभा क्षेत्रों में 74 जबकि उप-मुख्यमंत्री ने 4 विधानसभा क्षेत्रों में जनसभाओं को संबोधित किया था। हरियाणा के नेताओं को  किराड़ी, तुगलकाबाद, आदर्श नगर, शालीमार बाग, नरेला, बादली, रिठाला, बवाना, रोहिणी, मुंडका, नांगलोई जाट, नजफगढ़, मोदीपुर, राजौरी गार्डन, हरी नगर,तिलक नगर और जनकपुरी समेत 17 विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। ज्यादातर सीटों पर भाजपा हार चुकी है।

मुख्यमंत्री ने जिन सीटों पर प्रचार किया उनमें मुख्य रूप से कृष्णा नगर, ग्रेटर कैलाश, गांधी नगर, विश्वास नगर, तिलक नगर, पालम, शालीमार बाग और सदर विधानसभा में चुनाव प्रचार किया था। इनमें केवल विश्वास नगर विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी ओ.पी. शर्मा को जीत हासिल हुई है। उप-मुख्यमंत्री ने झज्जर के साथ लगती नजफगढ़, किराड़ी और मटियामहल में प्रचार किया। साथ ही सोनीपत के साथ लगती बुराड़ी सीट पर दुष्यंत ने भाजपा प्रत्याशियों के लिए वोट मांगा था।

लोगों ने दिल्ली के विकास पर लगाई मोहर : जयहिंद
आम आदमी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नवीन जयङ्क्षहद ने कहा कि दिल्ली चुनाव परिणाम दर्शाता है कि लोगों ने दिल्ली के लिए काम करने 
वाली पार्टी की नीतियों पर मोहर लगाई है।

जजपा भाजपा के साथ गठबंधन कर लडऩा चाहती थी चुनाव
जजपा ने दिल्ली चुनाव के लिए भाजपा के साथ गठबंधन करने के खूब प्रयास किए थे। जजपा को लगता था कि जाट बाहुल्य सीटों पर जजपा प्रत्याशी लडेंग़े लेकिन भाजपा की दिल्ली यूनिट ने गठबंधन से स्पष्ट इंकार कर दिया। उसके बाद तय हुआ कि जजपा चुनाव नहीं लड़ेगी,बल्कि भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करेगी। यही नहीं,दुष्यंत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सांझा जनसभाएं भी की थीं लेकिन फिर भी असर शून्य ही रहा।  

Isha