159 सालों से श्राप मुक्त होने की बाट जोह रहा हरियाणा का ये गांव(Pics)

3/14/2017 2:24:52 PM

गुहला-चीका(कपिल देव):जहां पूरे देश के लोगों में होली पर्व को लेकर हर्षोल्लास का माहौल था, वहीं उपमंडल गुहला के गांव दुसेरपुर में सन्नाटा पसरा हुआ था। दुसेरपुर में पिछले 159 वर्षो से होली का पर्व नहीं मनाया गया। लोगों ने बताया कि लगभग 159 वर्ष से पहले उनके गांव दुसेरपुर में भी होली का त्यौहार बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता था। परन्तु एक दिन गांव में ऐसी घटना घटी जिसने गांव के लोगों से उनकी होली मनाने की सारी उम्र की खुशियां छीन ली।
 

लोगों ने बताया कि जिस दिन घटना घटी उस दिन गांव के लोगों में होली मनाने के लिए हर्ष व उल्लास का माहौल था और लोगों ने मिलजुल कर एक स्थान चुन कर होलिका दहन के लिए सुखी लकड़ी, उपले व अन्य समान इकट्ठा करके रखा हुआ था। परन्तु होलिका दहन के निश्चित समय से पहले गांव के ही कुछ युवाओं को शरारत सुझी और वे समय से पहले ही होलिका दहन करने लगे। जिसके कारण वहां मौजूदा बाबा श्री राम स्नेही ने उन्हें समय से पहले होलिका दहन करने से रोकना चाहा। बाबा ठिगने कद का था जिसके चलते वहां पर मौजूदा युवा न केवल उसके ठिगनेपन का मजाक उड़ाने लगे बल्कि उन्होंने समय से पहले ही होली का दहन भी कर दिया। जिस पर बाबा गुस्से से आग बबूला हो गया और उनका गुस्सा इतना बढ़ गया कि उन्होंने जलती होली में छलांग लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। इतना ही नहीं बाबा ने वहीं होलिका में जलते-जलते गांव के लोगों को श्राप भी दे दिया कि आज के बाद इस गांव में होली का पर्व नहीं मनाया जाएगा और यदि किसी ने होली का पर्व मनाने की हिम्मत की तो उसे इसका खमियाजा भुगतना पड़ेगा।


दूसरी चर्चा यह भी है कि बाबा ने होली के एक दिन पहले गांव के लोगों से कोई ऐसी मांग की थी कि जिसे वहां के लोग पूरा न कर सके, जिसके कारण गुस्साए बाबा ने होली के दिन जलती होली में छलांग लगा दी। सच्चाई कुछ भी रही तो उक्त घटना से गांव में हड़कंप मच गया और लोगों ने बाबा से गलती के लिए माफी मांगी। परंतु बाबा ने माफी देने से इंकार कर दिया। गांव वालों को श्राप से मुक्त होने का वरदान देते हुए बाबा ने कहा कि होली वाले दिन गांव में किसी भी ग्रीमाण की गाय को बछड़ा व किसी भी बहू को एक साथ लड़का पैदा होगा तो उस दिन के बाद गांव के लोग श्राप से मुक्त हो जाएंगे। गांव के लोगों ने बताया कि यह कहकर बाबा तो परलोक सिधार गए। 159 वर्ष बीत जाने के बाद आज तक गांव में होली का पर्व नहीं मनाया गया। 

उन्होंने बताया कि घटना के बाद उसी स्थान पर बाबा की समाधि बना दी गई। लोगों ने उसकी पूजा करनी शुरू कर दी जिसके चलते अब जब भी गांव में कोई शुभ कार्य होता है तो ग्रामीण सबसे पहले बाबा की समाधि पर माथा टेकते हैं और खुशहाली की दुआ मांगते हैं। इसे आस्था कहे या फिर अंधविश्वास।