हरियाणा का शहीद जवान अमरजीत पंचतत्व में विलीन, ड्यूटी के दौरान सर्विस राइफल से लगी थी गोली

punjabkesari.in Tuesday, Nov 04, 2025 - 07:06 PM (IST)

नरवाना (गुलशन) : जम्मू-कश्मीर के पुंछ में ड्यूटी के दौरान शहीद हुए नरवाना तहसील के गांव जाजनवाला के जवान अमरजीत नैन का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। शहीद जवान अमरजीत नैन का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान स्थानीय लोगों ने भाई अमरजीत नैन अमर रहे के नारों से इलाका गूंज उठा। 

सर्विस राइफल से गोली चलने से हुए थे घायल

जानकारी के अनुसार जम्मू-कश्मीर के पुंछ में ड्यूटी के दौरान सोमवार को अचानक नायब अमरजीत सिंह की सर्विस राइफल से गोली चल गई, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। गोली चलने की आवाज सुनते ही कैंप में अफरा-तफरी मच गई और साथी जवान तुरंत मौके पर पहुंचे, तो देखा अमरजीत शहीद हो चुके थे। उनका पोस्टमार्टम करवा दिया गया और उनके पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव में लाया गया, जहां सैन्य संम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।

2 साल पहले हुई थी अमरजीत की शादी

अमरजीत का जन्म 11 मार्च 1996 को हुआ था। बचपन से ही उनमें देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी थी। स्कूल के दिनों में एनसीसी कैडर से जुड़ने के बाद ही उन्होंने सैनिक बनने का सपना देखा था। 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने आईटीआई की पढ़ाई पूरी की। देश सेवा के जज्बे से ओतप्रोत अमरजीत ने 23 सितंबर 2015 को भारतीय सेना में भर्ती होकर अपने जीवन का लक्ष्य पूरा किया। वर्तमान में वे 7 जाट बटालियन में पोस्ट नायक के पद पर तैनात थे। पिछले कई वर्षों से जम्मू-कश्मीर के पूंछ सेक्टर में अपनी सेवाएं दे रहे थे। अमरजीत का परिवार एक साधारण किसान परिवार है, लेकिन उनके बेटे ने अपने कर्म और समर्पण से इस परिवार को विशेष बना दिया।

 पिता रमेश कुमार खेतीबाड़ी करते हैं। परिवार में दो भाई और एक बहन है। बड़े भाई बलिंद्र निजी अस्पताल में नौकरी करते हैं, जबकि बड़ी बहन कविता की शादी हो चुकी है। बहनोई रामदिया भी भारतीय सेना में हैं। तीनों भाई-बहनों में अमरजीत सबसे छोटे थे और परिवार के लाडले भी। जब भी छुट्टी पर गांव आते, तो उनके आने की खबर से घर-आंगन में रौनक लौट आती थी। 

अमरजीत का विवाह लगभग 2 वर्ष पहले हिसार जिले के नहला गांव की रहने वाली प्रियंका के साथ हुआ था। प्रियंका गृहिणी हैं और सात महीने पहले ही दोनों एक प्यारी सी बेटी के माता-पिता बने थे। अमरजीत के घर लौटने की उम्मीद हर बार उनकी पत्नी और माता-पिता की आंखों में झलकती थी। करीब एक माह पहले ही वे मात्र एक दिन के लिए घर आए थे। उन्होंने बताया था कि दिल्ली से आर्मी की डाक लेने आए हैं, इसलिए कुछ समय निकालकर परिवार से मिलने आ गए। उस एक दिन में उन्होंने अपनी छोटी बेटी को भी गोद में उठाया था, और परिवार ने तब क्या जाना कि वह मुलाकात आखिरी होगी।

परिजनों ने बताई ये बात

परिवार के सदस्यों ने बताया कि घटना से दो दिन पहले अमरजीत ने घर पर फोन किया था। कॉल आर्मी के नंबर से आया था। उन्होंने माता-पिता और भाई-बहन सभी का हालचाल पूछा। बातचीत के दौरान उन्होंने कहा था कि "अब दो दिन तक मोबाइल जमा रहेंगे, फिर बात करेंगे। लेकिन दो दिन बाद घर पहुंची खबर ने सबको झकझोर दिया। सोमवार को सूचना मिली कि अमरजीत राइफल की सफाई करते हुए घायल हो गए थे और इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। शहीद अमरजीत की शहादत की खबर फैलते ही पूरा गांव शोक में डूब गया। ग्रामीणों की भीड़ उनके घर के बाहर जुट गई। हर कोई इस वीर सपूत को श्रद्धांजलि देने पहुंचा। गांव की गलियों में सन्नाटा और हवा में दुख की लहर थी, पर साथ ही गर्व का भाव भी  कि उनका बेटा देश की मिट्टी के लिए कुर्बान हुआ।

अमरजीत के ताऊ के बेटे टेकराम ने बताया कि जब भी अमरजीत गांव आता, तो सेना भर्ती की तैयारी कर रहे युवाओं को गाइड करता था। वह खुद उन्हें दौड़ और शारीरिक अभ्यास के टिप्स देता था। "वो हमेशा कहता था मेहनत करो, फौज में जाने का सपना जरूर पूरा होगा। टेकराम ने बताया कि सोमवार दोपहर बड़े भाई बलिंद्र के पास आर्मी का फोन आया कि अमरजीत राइफल की सफाई करते हुए घायल हो गए हैं। कुछ देर बाद सूचना मिली कि इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। यह सुनते ही परिवार का रो-रोकर बुरा हाल हो गया।

अधिकारियों ने दी श्रद्धांजलि

मंगलवार को अमरजीत के पार्थिव शरीर को सेना के जवान पूरे सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव लाए। इस दौरान हजारों की भीड़ ने "भारत माता की जय" और "अमर शहीद अमरजीत अमर रहें" के नारे लगाए। उपमंडल अधिकारी (ना.) जगदीश चंद्र ने मौके पर पहुंचकर शहीद को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और परिवार को ढांढस बंधाया। उन्होंने कहा अमरजीत जैसे वीर सैनिकों के कारण ही देश सुरक्षित है। उनकी शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। शहीद अमरजीत का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। पिता रमेश कुमार ने अश्रुपूर्ण नेत्रों से अपने बेटे को मुखाग्नि दी। पूरे क्षेत्र ने इस क्षण में मौन होकर अपने वीर सपूत को अंतिम विदाई दी। परिवार के सदस्यों का कहना है कि भले ही उनका बेटा आज इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उन्हें गर्व है कि उसने देश की सेवा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर किए। गांव के लोगों ने कहा कि अमरजीत हमेशा उनके दिलों में जिंदा रहेंगे — एक सच्चे सैनिक, एक सच्चे देशभक्त के रूप में।
 


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Content Editor

Deepak Kumar

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